यूएस सांसदों ने बिडेन को लिखा पत्र: तिब्बती अधिकारों को सुनिश्चित करने का आग्रह किया

तिब्बत पर कब्जे के 70 साल बाद भी चीन की पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई है, जितना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है

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यूएस सांसदों ने बिडेन को लिखा पत्र: तिब्बती अधिकारों को सुनिश्चित करने का आग्रह किया
यूएस सांसदों ने बिडेन को लिखा पत्र: तिब्बती अधिकारों को सुनिश्चित करने का आग्रह किया

यूएस सांसदों ने बाइडेन से तिब्बती मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देने और दलाई लामा से मुलाकात करने का आग्रह किया

यूएस सांसदों के दो पार्टियों वाले एक प्रभावशाली समूह ने बाइडेन प्रशासन से तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के साथ बात करने का अनुरोध किया है। उन्होंने अमेरिका से तिब्बत के मुद्दे को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की मांग की है। सांसदों ने कहा है कि ऐसी नीति बनाने की आवश्यकता है जो तिब्बत की विशिष्ट राजनीतिक, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मान्यता दे।

तिब्बत पर कब्जे के 70 साल बाद भी चीन की पकड़ उतनी मजबूत नहीं हो पाई है, जितना चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है। इसी कारण जिनपिंग प्रशासन अब तिब्बत में धर्म का कार्ड खेलने की तैयारी कर रहा है। चीन अगले दलाई लामा के चयन में तिब्बती लोगों को अपने पक्ष में करने की कोशिश कर रहा है। इसलिए, यहां के लोगों के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए चीन अब पंचेन लामा का सहारा लेने की तैयारी कर रहा है।

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तेनजिन ग्यात्सो, जिन्हें हम 14वें दलाई लामा के नाम से जानते हैं, वे इस साल जुलाई में 86 साल के हो गए हैं। उनकी बढ़ती उम्र और खराब होती सेहत के बीच अगले दलाई लामा के चुनाव को लेकर भी घमासान मचा हुआ है। तिब्बती बौद्ध धर्म में दलाई लामा को एक जीवित बुद्ध माना जाता है जो उनकी मृत्यु के बाद पुनर्जन्म लेते हैं। परंपरागत रूप से जब किसी बच्चे को दलाई लामा के पुनर्जन्म के रूप में चुन लिया जाता है, तब वह अपनी भूमिका को निभाने के लिए धर्म का विधिवत अध्ययन करता है। वर्तमान दलाई लामा की पहचान उनके दो साल के उम्र में की गई थी।

चीन ने ऐसे संकेत दिए हैं कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन ही करेगा। चीन की इन चालाकियों को देखते हुए दलाई लामा नजदीकियों ने पहले ही बताया है कि परंपरा को तोड़ते हुए वे खुद अपने उत्तराधिकारी का चयन कर सकते हैं। अमेरिका पहले ही इस मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के सामने रखने की मांग कर चुका है। इस पूरे मामले पर अमेरिका और भारत की पहले से नजर है। पिछले साल यूएस दूत सैम ब्राउनबैक ने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की थी। 84 वर्षीय दलाई लामा से मीटिंग के बाद ब्राउनबैक ने कहा था कि दोनों के बीच उत्तराधिकारी के मामले पर लंबी चर्चा हुई थी।

अमेरिका और चीन में नए दलाई लामा के चयन पर भारी मतभेद है। चीन अपनी मनमर्जी से दलाई लामा को चुनना चाहता है, जिससे तिब्बत पर उसकी पकड़ मजबूत हो। वहीं अमेरिका का मानना है कि नए दलाई काम का चुनाव करना वर्तमान दलाई लामा, तिब्बती बौद्ध नेताओं और तिब्बती लोगों का अधिकार अधिकार है। अमेरिका ने संसद से पारित तिब्बती नीति और समर्थन कानून (टीपीएसए) 2020 ने इसे अपनी आधिकारिक नीति बना दिया है।

यूएस सांसदों ने नागरिक सुरक्षा, लोकतंत्र और मानवाधिकार मामलों की उप मंत्री अजरा जिया को लिखे एक पत्र में कहा कि तिब्बत अमेरिका के लिए काफी मायने रखता है। भारतीय मूल की जिया को तिब्बती मुद्दों के लिए विशेष समन्वयक के रूप में नियुक्त किए जाने की संभावना है। सांसदों ने तिब्बत के प्रति एक अमेरिकी नीति की वकालत की है जो तिब्बती लोगों के अधिकारों, स्वायत्तता और गरिमा की रक्षा करे। पत्र में ऐसी नीति का भी आह्वान किया गया है जो तिब्बत की विशिष्ट राजनीतिक, जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को और अधिक मान्यता देती है।

पत्र में कहा गया है कि जैसा कि आप (जिया) विशेष समन्वयक के कर्तव्यों को संभालने के लिए तैयार हैं, हम इस बारे में विचार व्यक्त करना चाहते हैं कि कैसे बाइडन प्रशासन और कांग्रेस (संसद) 2002 के तिब्बती नीति कानून और 2020 के तिब्बत पर अमेरिकी नीति और समर्थन कानून (टीपीएसए) के अनुरूप कार्य के लिए सहयोग कर सकते हैं।

सीनेटर मार्को रुबियो के नेतृत्व में सांसदों ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडन दलाई लामा के नैतिक संदेश और उदाहरण के महत्व को प्रदर्शित कर सकते हैं। दलाई लामा को ओवल कार्यालय में भेंट के लिए आमंत्रित कर साझा हितों और रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए आमंत्रित किया जा सकता है। पत्र में कहा गया है कि यदि दलाई लामा यात्रा करने में असमर्थ हैं तो राष्ट्रपति को भारत में उनसे मिलने का अवसर तलाशना चाहिए या उनके स्थान पर एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधि, जैसे कि उपराष्ट्रपति या कैबिनेट अधिकारी को ऐसा करने के लिए भेजना चाहिए।

चीन पर तिब्बत में सांस्कृतिक और धार्मिक स्वतंत्रता को दबाने का आरोप है। चीन आरोपों को खारिज कर चुका है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बत पर सुरक्षा नियंत्रण बढ़ाने की एक दृढ़ नीति अपनाई है। चीन बौद्ध भिक्षुओं और दलाई लामा के अनुयायियों के खिलाफ कठोर कदम उठाता रहा है और 86 वर्षीय दलाई लामा को अलगाववादी मानता है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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