जबकि संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) वाणिज्य दूतावास के राजनयिक सामान से जब्त की गई 30 किलो सोने की शलाखों (बार्स) के साथ केरल की राजनीति एक-दूसरे पर कीचड़ उछालने में उलझी हुई है, यूएई का अधिकारी रशीद खमीस मुसाईकरी अल्शमेली 7 जुलाई को दुबई चला गया। वह पांच जुलाई की शाम, तिरुवनंतपुरम में एयर कस्टम (हवाई सीमा शुल्क) अधिकारियों द्वारा पूछताछ के घंटों बाद, आरोपी सरिथ के साथ दिल्ली पहुँचा, सरिथ वाणिज्य दूतावास के एक पूर्व जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) हैं और अब हिरासत में हैं। राजनयिक के बैगो की सुपुर्दगी यूएई अधिकारी रशीद खमीस अली मुसाईकरी अल्शमेली के नाम पर थी और उन्होंने कस्टम्स को दावा किया कि उन्हें सोने की छड़ें के बारे में जानकारी नहीं थी और उन्होंने केवल खाद्य पदार्थों का ऑर्डर दिया था और ये आरोपी स्वप्ना और सरिथ द्वारा की गयी धोखाधड़ी है। फिर यह सवाल उठता है कि दुबई से राजनयिक सामान में 30 किलो सोने की छड़ें अधिकारी के लिए किसने रखीं?
यह पहली बार नहीं है
दिलचस्प बात यह है कि यह पहली बार नहीं है जब यूएई के राजनयिक भारत में सोने की तस्करी के लिए पकड़े गए हैं। मार्च 2013 में, दिल्ली हवाई अड्डे पर, एक यूएई दूतावास के राजनयिक को एक भारतीय व्यापारी कमल जैन के साथ 37 किलोग्राम सोने की शलाखों की तस्करी करते पकड़ा गया था[1]। कमल जैन दिल्ली में एक आभूषण व्यवसाय चला रहा था और इससे पहले भी सोने की तस्करी से संबंधित मामलों में राजस्व खुफिया विभाग द्वारा पकड़ा गया था। हालाँकि कमल जैन पर तस्करी के मामलों के आरोप दर्ज किये गए थे, लेकिन राजनयिक जिन्होंने सोने की छड़ें सामान में रखकर अपने पद का दुरुपयोग किया था, उनके भागने का रास्ता साफ कर दिया गया था। उन्हें जल्द ही भारत से कार्य मुक्त कर दिया गया और यूएई ने दावा किया कि उन्होंने उसे वापस बुला लिया है और भ्रष्ट राजनयिक की जांच की है[2]।
उसके नौकरी छोड़ देने के बाद वाणिज्य दूतावास ने उससे संबंध क्यों बनाये रखा? स्पष्ट रूप से यूएई के राजनयिकों के पास भारत में सोने की तस्करी के प्रकरणों में छिपाने के लिए कुछ है।
अब केरल से मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, आरोपी स्वप्ना, संदीप नायर (क्लियरिंग एजेंट/निकासी) और सरिथ ने सीमा शुल्क और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के अधिकारियों के सामने कबूल किया है कि उन्होंने इसी तरह के तरीकों का इस्तेमाल करके 12 बार सोने की तस्करी की है। विवादास्पद महिला स्वप्ना सुरेश 2016-2018 की अवधि के दौरान संयुक्त अरब अमीरात के कौंसल जनरल (वाणिज्य दूत) जमाल हुसैन अलजाबी की कार्यकारी सचिव थीं। बाद में स्वप्ना सुरेश ने संयुक्त अरब अमीरात में अपनी नौकरी छोड़ दी। लेकिन यहाँ सवाल यह है कि वाणिज्य दूतावास छोड़ने के बाद, वह राजनयिक सामान में सोने की शलाखों की तस्करी में कैसे शामिल है? उसके नौकरी छोड़ देने के बाद वाणिज्य दूतावास ने उससे संबंध क्यों बनाये रखा? स्पष्ट रूप से यूएई के राजनयिकों के पास भारत में सोने की तस्करी के प्रकरणों में छिपाने के लिए कुछ है।
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क्या यूएई के कुछ राजनयिकों को राजनयिक सामान का दुरुपयोग करके आसानी से पैसा बनाने की खुजली थी? अगर एक किलोग्राम सोने की छड़ भारत में तस्करी की जाती है, तो गैर-कराधान और मूल्य निर्धारण में भिन्नता के कारण, सात लाख रुपये से अधिक का लाभ होता है। ये प्रकरण इस तथ्य को उजागर करते हैं कि भ्रष्ट राजनयिक ज्वैलर्स के साथ मिलकर पैसा कमाने के लिए गलत कारोबार कर रहे हैं। यह एक सरल उत्तर है।
संदर्भ:
[1] UAE diplomat, trader held with gold worth Rs. 11 crore – Mar 13, 2013, The Times of India
[2] UAE diplomat detained in New Delhi – Mar 13, 2013, Khaleej Times
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