बिहार शिक्षा विभाग और मुख्यमंत्री पर भाजपा का हमला
बिहार का शिक्षा विभाग एक बार फिर से सुर्खियों में है। किशनगंज में बिहार शिक्षा बोर्ड में सातवीं कक्षा की अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में ऑप्शन के साथ पूछा गया इन देशों के लोगों को क्या कहते हैं। फिर जो ऑप्शन दिए गए हैं उसमें चीन, नेपाल, इंग्लैंड के साथ भारत का तो जिक्र किया ही गया है। चौथे ऑप्शन के तौर पर कश्मीर का जिक्र किया गया है। जबकि इस लिस्ट में किसी और राज्य का नाम नहीं है।
अब इसको लेकर सियासत होने लगी है। विपक्ष में बैठी बीजेपी अब सरकार के मंसूबे पर सवाल खड़ा कर रही है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष कहते हैं कि अब बिहार के सीमांचल के इलाकों में यह एजेंडा चलाया जा रहा कि कश्मीर देश का अंग नहीं है। संजय जायसवाल ने सरकार शिक्षा विभाग के तरफ से जारी किए गए प्रश्न पत्र पर सवाल खड़े किए हैं।
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने कहा कि ये राज्य में जदयू और राजद का गठबंधन पीएफआई समर्थक है। जदयू में बैठे सरकारी पदाधिकारी और राजद के वोट बैंक में बैठे पीएफआई समर्थकों के नापाक गठजोड़ का नतीजा है। पूरे सीमांचल क्षेत्र में हिंदी स्कूलों को शुक्रवार को बंद करना और अब बिहार शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा सातवीं कक्षा का यह प्रश्नपत्र है। यह पूछता है कि नेपाल, चाइना, इंग्लैंड, हिंदुस्तान और कश्मीर में रहने वाले लोगों को क्या कहते हैं? यह प्रश्न ही बताता है कि बिहार सरकार के सरकारी पदाधिकारी और बिहार सरकार कश्मीर को भारत का अंग नहीं मानती है।
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि बिहार सरकार के इन अफसरों का एक ही सपना है कि 2047 में बिहार के पूर्वांचल को कम से कम हम इस्लामिक राष्ट्र में बदल दें। इसका सबसे बड़ा सबूत सातवीं कक्षा का बिहार शिक्षा परियोजना परिषद का प्रश्न पत्र है जो बच्चों के दिमाग में यह डालने का काम कर रहा है कि जिस प्रकार चीन, इंग्लैंड, भारत, नेपाल एक देश हैं वैसे ही कश्मीर भी एक राष्ट्र है। रबर स्टैंप मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की यह हैसियत भी नहीं है कि इस सरकारी कर्मचारी पर कोई कार्रवाई कर सकें क्योंकि पीएफआई समर्थक सरकारी कर्मचारियों के बदौलत ही वह मुख्यमंत्री हैं।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]