पीएम की दीवाली लाएगी सीमावर्ती गांवों में रोशनी की सौगात
चीन से लगी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) को नागरिक प्रहरियों से चाक-चौबंद करने के लिए भारत सरकार और सेना बड़ा कदम उठाने जा रही है। देश की आंख-नाक-कान माने जाने वाले सरहदी इलाकों के गांवों को फिर से रहने लायक बनाने, वहां से पलायन रोकने और टूरिस्ट को सीमा के अंतिम छोर के गांव की सैर कराने के लिए 500 गांवों को फिर से आबाद करने का फैसला लिया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 21-22 अक्टूबर को बद्रीनाथ-केदारनाथ के दर्शन कर सकते हैं। इसी दौरान वे माणा में ग्रामीणों और जवानों से चर्चा कर सकते हैं। पीएम मोदी माणा जाकर उसे वाइब्रेंट विलेज का दर्जा देंगे।
सूत्रों के अनुसार, चीन के साथ लगी विवादित सीमा के आसपास के ये गांव लद्दाख से लेकर हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक फैले हैं। भारतीय सेना और प्रशासन इन गांवों को संयुक्त रूप से विकसित करेंगे। भारतीय सेना इन गांवों के बाशिंदों का विशेष ख्याल तो रखेगी ही। गांववासियों को भी ऐसी तमाम सुविधाएं दी जाएंगी कि उन्हें फिर से गांव छोड़कर दूसरी जगह जाने को मजबूर न होना पड़े।
एलएसी के गांवों को लेकर यह पहल ऐसे समय की जा रही है जब चीन अपने इलाकों में कृत्रिम गांव बसाकर दावे मजबूत करने में जुटा है। ऐसे कुछ गांव अरुणाचल प्रदेश की एलएसी के पार बसाए जाने के सैटेलाइट फोटो सामने आते रहे हैं। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में दूसरे चरण का अभियान चलाया जाएगा।
एलएसी के गांवों को उनके सबसे निकट के शहरों से सीधे रोड कनेक्टिविटी देने का प्रस्ताव है। वहीं, मिनिस्ट्री ऑफ टूरिज्म की मदद से टूरिस्ट फ्रेंडली एन्वायर्नमेंट भी तैयार किया जाएगा। सरकार की योजना के मुताबिक, इन सभी गांवों में टूरिस्ट की आमद बढ़ाकर सीमा की निगरानी खुद ब खुद सुनिश्चित हो जाएगी। इसके अलावा एलएसी पर तैनात सैनिकों के लिए ये इलाके सुनसान-वीरान नहीं रहेंगे। टूरिस्ट के आने से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा।
शुरुआती साल 100 गांवों को आदर्श गांव बनाया जाएगा। यही नहीं, उन्हें संचार के सभी माध्यमों से भी जोड़ा जाएगा ताकि टूरिस्ट इन दुर्लभ गांवों में जाकर देश की सीमा की सैर कर सकें। वाइब्रेंट एलएसी विलेज प्रोग्राम की अगुआई गृह मंत्रालय करेगा और बॉर्डर डेवलपमेंट प्रोग्राम से इसकी फंडिंग की जाएगी। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सेना और गृह और रक्षा मंत्रालय की साझा पहल और स्थानीय प्रशासन की सक्रिय सहायता से इन बियाबान गांवों को आबाद किया जाएगा।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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