तलवार प्रफुल्ल पटेल का आदमी था
विवादास्पद बिचौलिया दीपक तलवार के गुरुवार सुबह के अप्रत्याशित प्रत्यर्पण ने कई भ्रष्ट पत्रकारों और नौकरशाहों को डरा दिया है। अब तलवार प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सात दिन की हिरासत में है और उम्मीद की जा रही है कि वह इस बात की पूरी सूचना देगा कि उसने कैसे कई संपादकों और शीर्ष नौकरशाहों को पैसे दिए थे, विशेषकर नागरिक विमान क्षेत्र में। कई पत्रकार और संपादक जुड़े हुए थे और दीपक तलवार की फर्मों जैसे डीटीए, प्रबुद्ध मंडल संगठन एडवांटेज इंडिया और जनसंपर्क फर्म इंटीग्रल पीआर से बड़े पैमाने पर उदारता प्राप्त की।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्यों मीडिया ने कोई शोर शराबा नहीं किया, जब दीपक तलवार पिछले 20 महीनों से दुबई में ही था और भारतीय एजेंसियों से बच रहा था।
यह सभी जानते हैं कि एक पूर्व संपादक जिन्होंने इकोनॉमिक टाइम्स, फाइनेंशियल एक्सप्रेस के साथ काम किया था और अब एक न्यूज़ पोर्टल चला रहे है, दीपक तलवार के संपर्क और बिचौलिया गतिविधियों से जुड़े थे और उनकी फर्मों डीटीए, एडवांटेज इंडिया और इंटीग्रल पीआर से भी जुड़े थे। दीपक तलवार 2017 के मध्य में भारत से भाग गया, जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), आयकर और गृह मंत्रालय ने उसके खातों में निशाना लगाना शुरू कर दिया। उसके निकलने पर एमएसएम की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। क्यों? क्योंकि विमानन क्षेत्र में काम करने वाले कई संपादकों और पत्रकारों को तलवार से बहुत पैसे मिले।
दीपक तलवार, जो नीरा राडिया, टोनी जेसुदासन, ए एन सेथुरमन, वी बालासुब्रमण्यम, दिलीप चेरियन और सुहेल सेठ जैसे दिल्ली के शक्तिशाली बिचौलियों के संगत में हैं, ने पूर्व चेतावनी देने के लिए पत्रकारों और नौकरशाहों को काम पर रखा था। यह एक ज्ञात रहस्य है कि मंत्रिमंडल बैठक से पहले ही कैबिनेट नोट उनके पास पहुंचते थे।
तलवार ने 90 के दशक में कोका कोला ब्रांड के साथ अपने बिचौलिया पेशे की शुरुआत की थी और वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के विवादास्पद पालक दामाद रंजन भट्टाचार्य के काफी करीबी थे। 2004 में जब प्रफुल्ल पटेल नागरिक विमानन मंत्री बने तब उनके व्यवसाय को भारी बढ़ावा मिला। नगर विमानन क्षेत्र में तलवार को पटेल का खास आदमी माना जाता था।
सीबीआई ने पहली बार नवंबर 2017 में गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से धन की निकासी के लिए गृह मंत्रालय की शिकायत पर तलवार पर प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की[1]। तब सीबीआई ने एयर एशिया मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की और पीगुरूज ने बताया कि तलवार पत्रकारों और नौकरशाहों का समर्थन प्राप्त करने के लिए एयर एशिया से प्रति माह 35 लाख रुपये लेता था[2]।
ईडी की हिरासत में दीपक तलवार
गुरुवार को ईडी ने न्यायालय में बताया कि तलवार ने विदेशी निजी एयरलाइंस का पक्ष लेने के लिए बातचीत में एक बिचौलिए के रूप में काम किया, जिससे राष्ट्रीय वाहक एयर इंडिया को भारी नुकसान हुआ। एजेंसी ने अदालत को बताया कि तलवार से पूछताछ करके उसे नागरिक विमानन मंत्रालय, नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड और एयर इंडिया के अधिकारियों का नाम पता लगाना है, जिन्होंने कतर एयरवेज, अमीरात और एयर अरबिया सहित विदेशी एयरलाइनों का पक्ष लेते हुए लाभदायक मार्ग और लाभदायक समय को छोड़ने के लिए राष्ट्रीय वाहक को मजबूर किया था।
“यह आरोप लगाया गया है कि नागरिक विमानन मंत्रालय, एनएसीआईएल, एयर इंडिया के अधिकारियों ने सरकारी कर्मचारी होकर अपने सरकारी पदों का दुरुपयोग किया और अवैध संतुष्टि प्राप्त करके, अन्य सरकारी कर्मचारियों, निजी घरेलू और विदेशी एयरलाइनों के साथ मिलकर, राष्ट्रीय वाहक के लाभदायक मार्ग और कलाभदायक समय अन्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय घरेलू और विदेशी निजी एयरलाइनों के लिए छोड़ने को मजबूर किया।
ईडी ने विशेष न्यायाधीश संतोष स्नेही मान को बताया, “इससे राष्ट्रीय वाहक को बाजार हिस्सेदारी का भारी नुकसान हुआ और निजी घरेलू और विदेशी एयरलाइनों को लाभ भी मिला।”
ईडी के विशेष लोक अभियोजकों डी पी सिंह और नितेश राणा ने अदालत को बताया कि भारत ने दुबई, शारजाह और कतर के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं, जिसके बाद दोनों देशों के लिए सीट हकों में वृद्धि हुई और विदेशी वाहकों के लिए अवतरण स्थानों के अंक में वृद्धि हुई है।
ईडी ने अपने तर्कों के दौरान एक चार्ट भी प्रस्तुत किया जिसमें 23 अप्रैल, 2008 से 6 फरवरी, 2009 के बीच तलवार के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्वामित्व वाले फर्मों को प्राप्त कुल अमेरिकी डॉलर 60.54 मिलियन के विवरण थे। एजेंसी ने उन्हें आदतन अपराधी बताया और अन्य विभिन्न मामलों में आरोपी करार दिया।
अब जब दीपक तलवार ईडी की हिरासत में हैं, मीडिया जगत और नौकरशाह यह जानने के लिए उत्सुक हैं कि वह किसका पर्दाफाश करने वाले हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्यों मीडिया ने कोई शोर शराबा नहीं किया, जब दीपक तलवार पिछले 20 महीनों से दुबई में ही था और भारतीय एजेंसियों से बच रहा था। इसका उत्तर यह है कि कई बड़े संपादक दीपक तलवार के साथ मिले हुए थे और 2017 के मध्य तक उनकी उदारता का लाभ उठाया।
संदर्भ:
[1] Who is Deepak Talwar, the lobbyist caught for siphoning funds through NGOs? Nov 18, 2017, PGurus.com
[2] Deepak Talwar charged more than Rs.35 lakhs monthly from AirAsia for lobbying with officials, media houses, journalists – Jun 1, 2018, PGurus.com
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