
राज्यसभा में लिखित जवाब ने बलों के भीतर सुधारों को अपनाये जाने की आवश्यकता
रक्षा मंत्रालय ने सोमवार को संसद को सूचित किया कि तीन सेनाओं में 2014 के बाद से लगभग 800 सैनिकों ने आत्महत्या की, इसके अलावा फ्रेट्रिसाइड (साथी सैनिकों की हत्या) के 20 मामले भी हुए। मंत्रालय ने कहा कि थलसेना ने 591 मामले दर्ज किए, जबकि भारतीय वायुसेना ने 160 रिपोर्ट की जबकि भारतीय नौसेना ने पिछले सात वर्षों में 36 मामले दर्ज किये। राज्यसभा में इस लिखित जवाब ने एक नैतिकता को विकसित करने के लिए सशस्त्र बलों के भीतर सुधारों को अपनाये जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया, जिससे ऐसी घटनाओं में तुरंत कमी आए।
रक्षा बलों ने कुछ साल पहले कई कदम उठाए थे जब फ्रेट्रिकाइड के मामले आये थे जिसमें सैनिकों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों और सहयोगियों की हत्या और आत्महत्या की थी। कदमों में अधिक सुगम अवकाश मानदंड जो सैनिकों को दूर दराज के गांवों में उनके परिवारों से मिलने जाने की अनुमति देते थे, उग्रवाद और आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों में तनाव प्रबंधन और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ नियमित रूप से बातचीत शामिल थे।
यहां यह सवाल शिकायतों और सैनिकों की छुट्टी की गुहार से निपटने वाले अधिकारियों के रवैये पर उठता है।
सशस्त्र बलों के ज्यादातर सैनिक ग्रामीण पृष्ठभूमि से आते हैं, इस तथ्य को देखते हुए, रक्षा बलों ने उनके गांवों के स्थानीय प्रशासन से आग्रह भी किया कि यदि उनका कोई विवादित मामला हो तो समानुभूति और गति के साथ उनका निपटारण हो।
इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।
सुरक्षा बलों के कई आंतरिक अध्ययनों के अनुसार, कई सैनिक आधिकारिक ड्यूटी पर शिविरों में रहते हुए घरेलू मुद्दों से संबंधित भावनात्मक आघात से गुजरते हैं। घरेलू मुद्दों, परिवार की समस्याओं के कारण वे एकाग्रता खो सकते हैं और मुद्दों को निपटाने के लिए परिवार से मिलने के लिए अवकाश प्राप्त करना चाहते हैं। वे नाराज हो जाते हैं और अपना आपा खो देते हैं, जब उन्हें ड्यूटी से छुट्टी नहीं दी जाती है, जिससे श्रेष्ठ अधिकारियों के खिलाफ गुस्सा पैदा होता है। कई अध्ययनों ने सैनिकों की परेशानी को हल्का करने के लिए शिविरों में मानवीय दृष्टिकोण और मनोवैज्ञानिक परामर्श की मांग पर जोर दिया।
सीआरपीएफ (केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल), बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) आदि जैसे अर्धसैनिक बलों में आत्महत्या के मामले में भी ऐसा ही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पिछले साल संसद को सूचित किया था कि 2019 में अकेले केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के 128 सैनिकों ने आत्महत्या की थी। अर्धसैनिक बलों पर सैन्य अध्ययन के अनुसार कारण समान थे परिवारों से दूर शिविरों में रहना[1]।
यहां यह सवाल शिकायतों और सैनिकों की छुट्टी की गुहार से निपटने वाले अधिकारियों के रवैये पर उठता है। सैनिकों को केवल मनोवैज्ञानिक परामर्श देने के लिए ही नहीं, उनके अधिकारियों को व्यथित सैनिकों के साथ मानवीय दृष्टिकोण अपनाने के लिए भी परामर्श दिया गया है।
संदर्भ:
[1] Why are suicides increasing in the CAPF? – Feb 04, 2020, PGurus.com
- मुस्लिम, ईसाई और जैन नेताओं ने समलैंगिक विवाह याचिकाओं का विरोध करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को पत्र लिखा - March 31, 2023
- 26/11 मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा पूर्व परीक्षण मुलाकात के लिए अमेरिकी न्यायालय पहुंचा। - March 30, 2023
- ईडी ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी में शामिल फिनटेक पर मारा छापा; 3 करोड़ रुपये से अधिक बैंक जमा फ्रीज! - March 29, 2023