एक गाँव है नगर से दस किमी दूर। दोनो के बीच कोई सड़क नहीं है। सड़क महँगी होती है। न गाँव बना सकता है न नगर बना सकता है। केवल केंद्र या राज्य सरकार बना सकती है।
लेकिन सड़क बन गयी तो गाँव से दूध व सब्ज़ियाँ रोज़ नगर में बिकेंगी। गाँव की आय बढ़ जाएगी व नगर वालों को दूध व सब्ज़ियाँ अधिक व सस्ते मिलेंगे। गाँव के बच्चे नगर के बड़े कॉलेज में पढ़ पाएँगे। गाँव के लोग नगर के डॉक्टर के पास जा पाएँगे। गाँव में एक छोटी दुकान खुल जाएगी जिससे लोग रोज की चीज़ें नगर जाये बिना ही ख़रीद पाएँगे।ये सब आर्थिक गतिविधि होंगी तो केंद्र/राज्य सरकार का कर बढ़ जाएगा व सड़क की लागत निकल आएगी।
केजरीवाल व उद्धव आते है। कहते है कि किसान आत्महत्या कर रहे है उनके बच्चे भूखे मर रहे है, सड़क बंद करो और उन्हें बैठाकर खिलाओ। सड़क बंद हो जाती है। लोगों को मुफ़्त मिलने लगता है क़र्ज़े माफ़ हो जाते है। वो रहा सहा काम भी बंद कर देते है व नये क़र्ज़े भी ले लेते है। केजरीवाल उद्धव फिर चुनाव जीत जाते है। लेकिन नए क़र्ज़े है व माफ़ करने को व ऊपर लिखी आर्थिक गतिविधि भी नहीं हो पायी सड़क न बन पाने की वजह से । इसलिए उद्धव व केजरीवाल भी इमरान खान के पीछे खड़े हो जाते है कटोरा लेकर दुनिया से भीख माँगने।
खेती एक लो इंकम व्यवसाय है। न अमीर होने देगी व न भूखा मरने देगी। इसके बाद भी कोई किसान आत्महत्या करता है तो वह आय से अधिक जी रहा था।
इस देश में हर व्यक्ति को सौ दिन का रोज़गार गैरंटीड है। दो रुपया गेंहु/चावल गैरंटीड है। दसवीं तक मुफ़्त शिक्षा गैरंटीड है कॉन्वेंट स्कूल में। पाँच लाख तक का मुफ़्त इलाज गैरंटीड है।
फिर भी लोग हर पाँच साल में क़र्ज़े माफ़ी की लाइन में खड़े हो जाते है व अन्य चीज़ें भी मुफ़्त माँगने लगते है व उद्धव व केजरीवाल उन्हें देने पहुँच भी जाते है, सड़क निर्माण बंद करके।
खेती एक लो इंकम व्यवसाय है। न अमीर होने देगी व न भूखा मरने देगी। इसके बाद भी कोई किसान आत्महत्या करता है तो वह आय से अधिक जी रहा था। उसका क़र्ज़ा माफ़ होगा तो उसके बच्चे बिना सड़क वाले गाँव में ही रहेंगे व परिणामत ग़रीब व भूखे ही रहेंगे उसकी तरह। लेकिन उसमें इतनी अक़्ल नहीं है तो नहीं है।
इस दुनिया में जो देश ग़रीब है वो इसलिए ग़रीब है क्यूँकि उसके नागरिक मूर्ख है। उनकी ग़रीबी के लिए न अंग्रेज़ ज़िम्मेदार है न colonialism ज़िम्मेदार है न पूँजीवाद ज़िम्मेदार है न शोषण ज़िम्मेदार है न प्रकृति ज़िम्मेदार है। उनकी ग़रीबी के लिए वे जो चुनाव से पहले की रात में छक कर शराब पीते है वो ज़िम्मेदार है।
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