2021 बजट में एफडीआई, विनिवेश पर सरकार की नीतियों से निराश: बीएमएस

चंद अच्छी बातों को छोड़कर, आरएसएस से जुड़े व्यापारी संघ बीएमएस ने 2021 बजट की कटु आलोचना की!

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चंद अच्छी बातों को छोड़कर, आरएसएस से जुड़े व्यापारी संघ बीएमएस ने 2021 बजट की कटु आलोचना की!
चंद अच्छी बातों को छोड़कर, आरएसएस से जुड़े व्यापारी संघ बीएमएस ने 2021 बजट की कटु आलोचना की!

बीएमएस ने अपनी ही सरकार के बजट प्रस्तावों पर निराशा व्यक्त की

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े व्यापार संघ – भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) – ने विनिवेश और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के बारे में अपनी ही सरकार के बजट प्रस्तावों पर निराशा व्यक्त की, खासकर बीमा क्षेत्र में। हालांकि, बीएमएस ने बड़े पैमाने पर टीकाकरण कार्यक्रम, पश्चिम बंगाल और असम में चाय श्रमिकों के लिए विशेष योजना, निर्माण क्षेत्र में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर श्रमिक उन्मुख प्रोत्साहन और पांच प्रमुख मछली उत्पादन बंदरगाहों – कोच्चि, चेन्नई, विशाखापत्तनम, पारादीप, और पेटूघाट का आर्थिक गतिविधियों आदि के लिए केंद्र के रूप में विकसित करने हेतु सरकार की सराहना भी की।

अन्य बजट प्रस्तावों पर, इसने एक बयान में कहा कि “केंद्रीय बजट में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) और विनिवेश के साथ आत्मनिर्भर भारत की सुंदर अवधारणा को मिलाना कर्मचारियों के लिए निराशाजनक है।” बीएमएस ने सुझाव दिया कि बीमा क्षेत्र में एफडीआई को 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के लिए बीमा अधिनियम में संशोधन करने के सरकार के प्रस्ताव के साथ-साथ बुनियादी ढांचा क्षेत्र में विदेशी निवेश की छूट विदेशी निर्भरता को बढ़ाएगी और इस पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए।

बीएमएस ने एक बयान में कहा – बड़े कपड़ा उद्योगों (मेगा टेक्स्टाइल पार्क), मछली उत्पादन के प्रमुख बंदरगाहों आदि के लिए नए प्रयास स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन ऐसे क्षेत्रों में मौजूदा करोड़ों श्रमिकों और मछुआरों के लिए कोई समर्थन नहीं है।

सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक जनरल इंश्योरेंस कंपनी को विभाजित करने, लाइफ इंश्योरेंस कंपनी (एलआईसी) को सार्वजनिक करने (आईपीओ), नीति आयोग को विनिवेश के लिए नई कंपनियों की सूची बनाने के लिए कहना, गैर-रणनीतिक और रणनीतिक क्षेत्रों में विनिवेश को मंजूरी देना, व्यवसायीकरण (कॉरपोरेटाइजेशन) के लिए रेलवे योजना, राजकोषीय घाटे को पूरा करने के लिए भूमि जैसी 12 लाख करोड़ रुपये की सरकारी संपत्ति का मुद्रीकरण, सार्वजनिक निजी भागीदारी आदि आत्म निर्भर भारत और बजट में कुछ अच्छे प्रस्तावों के आकर्षणों को कम करेगा, कहा गया। कई लोगों को लगता है कि सरकार इंडियन ओवरसीज बैंक और पंजाब एंड सिंध बैंक को बेच देगी, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

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बीएमएस ने एक बयान में कहा – बड़े कपड़ा उद्योगों (मेगा टेक्स्टाइल पार्क), मछली उत्पादन के प्रमुख बंदरगाहों आदि के लिए नए प्रयास स्वागत योग्य कदम हैं, लेकिन ऐसे क्षेत्रों में मौजूदा करोड़ों श्रमिकों और मछुआरों के लिए कोई समर्थन नहीं है। बीएमएस ने वित्त मंत्रालय द्वारा की गयी बजट से पहले की चर्चा पर नाराजगी व्यक्त की – “बीएमएस और अन्य व्यवसायी संघों द्वारा उठाई गयी मांगों में से कोई भी बजट में शामिल नहीं की गयी है, पश्चिम बंगाल और असम में चाय श्रमिकों के लिए एक विशेष योजना को छोड़कर, इस प्रकार परामर्श प्रक्रियाओं को एक मजाक बना दिया गया है,” वित्त मंत्रालय की पूर्व बजट चर्चाओं पर नाराजगी व्यक्त करते हुए बीएमएस ने कहा।

इसमें कहा गया है कि बहुप्रतीक्षित कर्मचारी पेंशन योजना 95 (ईपीएस) पेंशन राशि या पेंशनरों के लिए चिकित्सा योजना में कोई वृद्धि नहीं की गई है जैसा कि बीएमएस द्वारा मांग की गई है। बीएमएस ने न्यूनतम ईपीएस (कर्मचारी भविष्य योजना) पेंशन के रूप में 5,000 रुपये और इसे मुद्रास्फीति के साथ जोड़ने की मांग की थी। बीएमएस ने मनरेगा और शहरी रोजगार गारंटी योजना के लिए और अधिक समर्थन की मांग की थी। यह भी कहा गया – “महिला श्रमिकों को रात की शिफ्ट करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। महामारी की स्थिति के प्रतिकूल प्रभाव के बावजूद आयकर में कोई राहत नहीं है, जबकि व्यवसाय (कॉर्पोरेट) कर कम कर दिया है।”

बीएमएस ने कहा – “मजदूरी या श्रमिकों की बुनियादी आय को बढ़ाने जैसे मांग पक्ष को प्रोत्साहित करने के लिए कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है। इस प्रकार दावा किया गया ‘आर्थिक टीका‘ बीमारी से अधिक हानिकारक है। ऐसे प्रस्ताव वित्तीय वर्ष में वृद्धिदर बढ़ाने या राजकोषीय घाटे को कम करने में सक्षम नहीं होंगे।” बीएमएस के कथनानुसार, बजट 2021 की कार्ययोजना का निर्णय 12-14 फरवरी, 2021 तक चेन्नई में होने वाली बीएमएस की राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में विस्तृत चर्चा के बाद किया जाएगा।

[पीटीआई इनपुट्स के साथ]

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