उत्तर प्रदेश की राजनीति में खजूर का वृक्ष

उत्तर प्रदेश में किसी को भी अपने धर्म को मानने की छूट है लेकिन धर्म - परिवर्तन का प्रयास वर्जित है।

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उत्तर प्रदेश की राजनीति में खजूर का वृक्ष
उत्तर प्रदेश की राजनीति में खजूर का वृक्ष

उत्तर प्रदेश को मिले यकीन!

आज मैंने पढ़ा कि भारत के सबसे लम्बे व्यक्ति, धर्मेन्द्र प्रताप सिंह, जिनकी लम्बाई 8 फीट 1 इंच है, उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी में शामिल हो गये। उनको बधाई। लेकिन मुझे याद आया बचपन में पढ़ा दोहा जो कबीर जी ने लिखा था –

बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं फल लागे अति दूर॥

46 वर्ष के इस नौजवान का सपा में आना तो ठीक है और व्यक्तिगत रूप से वह हर मीडिया की सुर्ख़ियों में आ गये। मुझे भी अमेरिका में बैठे यह लेख लिखने का मौका मिला। क्या इससे सपा को कोई लाभ होने वाला है क्यो कि खजूर के वृक्ष से ना छाया मिलती है, और उसके फल को पाना तो अति दुर्लभ होता है। ऐसे वृक्ष की जड़ें भी बहुत मजबूत नहीं होती।

अवश्य ही सपा के प्रमुख अखिलेश यादव जो कद में काफी छोटे हैं और धर्मेन्द्र की जोड़ी अच्छी रहेगी प्रचार के लिये, लेकिन इस से सपा की दूरदर्शिता में कोई लाभ नहीं होने वाला। शायद अखिलेश जी ने कबीर के दोहे को ठीक से समझा ही नहीं कि खजूर का वृक्ष ना तो दया (compassion) का प्रतीक है और ना ही सहायता का। हाँ इसके खजूर का कुछ महत्व विशेष समाज वालों के लिये अवश्य है जो सपा के साथ जुड़े हुये हैं। उदाहरण के तौर पर, इस्लाम धर्म में खजूर का महत्व बताया गया कि रमादान के महीने में रोजा खोलने में। कबीर के दोहे में विस्तृत खजूर का शायद सपा को लाभ हो जाये क्योंकि इस्लाम धर्म में इसका महत्व है।

अगर बात करें उत्तर प्रदेश में प्रथम पार्टी भाजपा और कर्मयोगी मुख्यमंत्री योगी की – वह स्वयं में बहुत मजबूत हैं क्यों कि उनके द्वारा किये गये कार्य प्रगतिशील होने का संदेश हैं। उन्हें अपने प्रचार के लिये किसी भी ऐसे व्यक्ति विशेष की आवश्यकता नहीं है। उनकी नीति धर्म निरपेक्ष हैं लेकिन उनका अपने सनातन धर्म के साथ अखंड विश्वास उनकी शक्ति है। उन के साथ हैं भारत के, विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के सभी सहनशील और भगवान में आस्था रखने वाले लोग। जो मैं समझता हूँ कि भाजपा में हर इन्सान का आदर है अगर वह सहनशील और धर्म निरपेक्षता में विश्वास रखते हैं। किसी को भी अपने धर्म को मानने की छूट है लेकिन धर्म – परिवर्तन का प्रयास वर्जित है। इसीलिये सनातम धर्म का महत्व है और वह सब अन्य लोगों के मुकाबले में सहनशील हैं।

जैसे कहा जाता है कि मोदी जी है तो मुमकिन है, योगी हैं तो यकीन है। अगर इन दोनों राम लक्ष्मण जैसी जोड़ी उत्तर प्रदेश को 2022 में मिलेगी तो सब कुछ “मुमकिन भी होगा और “यकीनन” पूर्ण भी होगा | आज के दिन जो हमारे सपने हैं जैसे हर जनपद में मेडिकल कॉलेज और अच्छी स्वास्थ्य संबंधी सुविधायें, हर व्यक्ति के लिये पीने का साफ पानी और पोषक भोजन, उत्तम शिक्षा के साधन, बढ़ती हुई सुरक्षा और अच्छा लॉ एंड ऑर्डर आदि – इनको साकार करने में योगी जी यकीनन सफल होंगे, मेरा ऐसा विश्वास है।

उत्तर प्रदेश के लिये आवश्यकता है योगी+मोदी जैसे मजबूत जड़ वाले एक वृक्ष की जिससे सभी को विश्वास के साथ विकास मिलेगा। अगर इस जैसे योगी + मोदी वृक्ष को हम हर राज्य में स्थित कर पाये तो भारत का प्राचीन गौरव फिर से निखर जायेगा और दूध की नदियाँ बहने लगेंगी। उत्तर प्रदेश को आज खजूर के वृक्ष की न तो आवश्यकता है और ना ही वहाँ की मिट्टी और जलवायु उसके अनुकुल है।

मैं एक बार फिर से धर्मेन्द्र जी का स्वागत करता हूँ एक व्यक्तिगत रूप में, लेकिन उत्तर प्रदेश की राजनीति में उनकी 8 फीट की लम्बाई केवल एक मनोरंजन ही है। उत्तर प्रदेश को आवश्यकता “एक विशेष” की नहीं बल्कि “अनेक” मतदाताओं की है जिनको ‘योगी = यकीन’ की आने वाली एक सरकार में विश्वास है। उत्तर प्रदेश को भले ही खजूर कम मिले लेकिन उनको सभी का साथ, विश्वास, विकास, और सहनशीलता यकीनन मिलेगी। जय भारत।

ध्यान दें:
1. यहां व्यक्त विचार लेखक के हैं और पी गुरुस के विचारों का जरूरी प्रतिनिधित्व या प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

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