जाँच एजेंसियों को पता है कि वर्षा मानव कौन है… हर दिन वह आजादी से घूम रहा है, योजनाएं बना रहा है और उन्हें अंजाम दे रहा है।
वैदिक भूमि का मूल निवासी, यह सफेद पोशाक पहननेवाला राजनेता जो शुरुआत में वामपन्थी था और फिर लालची पूंजीवाद की तरफ चल पड़ा, जिस भी दल के साथ होता है उसके लिए एक उत्तम निधिवर्धक होता है। अब इस वैदिक भूमि के सभी राजनेता, जो वहां स्थित है जहाँ तीन सागरों का संगम होता है, सिर्फ सफेद रंग के कपड़े पहनते हैं। विशिष्ट रूप से कहूँ तो यह राजनेता बाहर से शिष्ट है एवँ इससे कई महिला पत्रकारों (जिन्हें गंगा तट के राजनेता उनकी अपरिष्कृत शैली की वजह से पसंद नहीं) को अपने वश में करता है और इस तरह जाल बुनता है कि वे बच नहीं सकतीं। उन्हें अक्सर पैसे या अन्य संपत्तियां दी जाती है जिसके बदले में वह अच्छे लेख लिखें।
नए प्रधानमंत्री को वर्षा मानव को “पैसे बनाने का मंत्रालय” देने के लिए मनाया गया और उसने वास्तव में अपना वादा निभाया! एक नया आकार पट्ट बनाया गया जो आनेवाले कई वर्षों तक जारी रखा गया
1996 चुनावों में हुआ क्षमता प्रदर्शन
एक नया दिन, वैदिक भूमि पर एक नए दल का जन्म हुआ जिसका मध्य अक्षर एम था। सबसे पुराने दल (जीओपी) के कई असंतुष्ट नेताओं ने अपने पुराने दल को छोड़कर नए दल का निर्माण किया। 1996 के चुनावों के कुछ हफ्तों पहले घटित दल को बड़े पैमाने पर वित्त की जरूरत थी ताकि वह आरोपित प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ लड़ सके। दल के नेता जीओपी के समस्या-समाधान करने के लिए प्रसिद्ध थे और अब वह अपने स्वयं का रास्ता तय कर रहे थे। परंतु वित्त की कमी थी और जीओपी उन पर दबाव बना रही थी। अब हुआ वर्षा मानव का प्रवेश। जो वर्षा मानव से परिचित नहीं है, इसका मतलब है एक व्यक्ति जो बारिश ला सकता है – वह नहीं जो मेघ मल्हार या अमृतावर्षिनी गाये अपितु वह जो पैसों की वर्षा करवा सके।
वर्षा मानव ने इस जीओपी के पूर्व नेता को यह आश्वासन दिया कि वह उसे एक वर्ष में 5000 करोड़ रुपये दिलाएगा (1996-7 में यह बहुत बड़ी राशि थी) और अपनी गंभीरता दिखाने के लिए, 1996 के चुनाव लड़ने के लिए 400 करोड़ रुपये दिये। वर्षा मानव ने 400 करोड़ रुपये कैसे कमाये? यह मान्यता है कि वैदिक भूमि के एक बैंक से धनराशि प्राप्त किया गया (जी हाँ लंबे समय से पीड़ित भारतवासियों की मेहनत की कमाई) एवँ “बेहतर” उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया गया।
1996 चुनाव में त्रिशंकु फैसले आए। जीओपी, शातिर चाणक्य से सरोकार करने में असमर्थ, ने खुदकुशी करने का फैसला किया, केवल उसे हराने के लिए, तारकीय आर्थिक प्रदर्शन के बावजूद। जीओपी, जो वास्तव में दलालों का दल है, ने अपने बुनियादी जरूरत खो दिए जब चाणक्य ने लाइसेंस राज पर रोक लगा दिया और चाणक्य को जाते देख खुश हो गए। किसी स्पष्ट नेता के अभाव में एवँ 13 दिन के सत्ता के बाद बहुमत मिले पार्टी के इस्तीफ़ा देने पर, गठबंधन सरकार बनाने का समय आ गया। वैदिक भूमि पर एक और दल था (जिसका मध्य अक्षर भी एम था) जिसके प्रधान को यह पता था कि वे ऐसे गठबंधन के प्रधानमंत्री नहीं बन सकते थे। परंतु उसने यह सुनिश्चित किया कि उसके वैदिक भूमि के प्रतिद्वंद्वी, जीओपी के पूर्व नेता प्रधानमंत्री नहीं बने और एक पड़ोसी का समर्थन किया, जिसने स्वयं को, केवल कुछ सांसद होने के बावजूद, अचानक प्रधानमंत्री के कुर्सी पर पाया।
वर्षा मानव और उसके एक वर्ष में 5000 करोड़ रुपए दिलाने के वादे पर लौटते हुए – नए प्रधानमंत्री को वर्षा मानव को “पैसे बनाने का मंत्रालय” देने के लिए मनाया गया और उसने वास्तव में अपना वादा निभाया! एक नया आकार पट्ट बनाया गया जो आनेवाले कई वर्षों तक जारी रखा गया…
सहभागी नोटों द्वारा, वर्षा मानव सत्ता बाजार को गिरा सकता है और दलालों को पहले से सूचित किया जाएगा ताकि वे अच्छे स्टॉक को कम कीमत पर खरीद सकें।
2004 में अप्रत्याशित विजय
वर्षा मानव को यह उम्मीद नहीं थी कि 2004 में जीओपी सत्ता में लौटेगी और इसलिए उन्हें चुनाव लड़ने के लिए केवल कुछ सो करोड़ रुपये ही दिए। वर्षा मानव, अपने प्रतिष्ठा के चलते, जल्द ही नई व्यवस्था में शामिल हो गया परंतु इसके लिए उसे अपना गर्व निगलना पड़ा और जीओपी के सर्वोच्च परिवार को श्रद्धा अर्पित करना पड़ा। भारत के भावनाओं से जुड़े राजनीति में नाम का बहुत महत्व है।
जादुई शक्ति
अगले चार साल वर्षा करवाने की कला के लिए स्वर्ण युग माना जा सकता है। वर्षा मानव को कोरा कागज दिया गया और उसने अवसर का पूर्ण लाभ उठाते हुए केवल पार्टी के ही नहीं स्वयं के ख़ज़ाने भी भर लिए। कोई सौदा छोटा नहीं था और ना ही कोई क्षेत्र पुण्यमय। जो सब लूटा जा सकता था वह सब लूटा गया – केवल बैंक ही नहीं अपितु लाभदायक सार्वजनिक संस्थान भी लूटे गए। वह अधिकारी जो बाधक थे उन्हें हटा दिया गया – कुछ पर गलत आरोप भी लगाए गए। समृद्ध करना और समृद्ध होना ही लक्ष्य था।
2009 चुनाव और पैसे की आवश्यकता
2004-09 के दौरान जीओपी का ज्यादातर प्रदर्शन पिछले सरकार (1999-2004 के) के अच्छे कार्यों की वजह से थे और इसलिए जीओपी को फिर सत्ता प्राप्त करने का यकीन नहीं था। दल के कोषाध्यक्ष ने यह घोषित किया कि सहयोगी दलों को मनाने के लिए और गठबंधन को सुरक्षित रखने एवँ चुनाव जीतने के लिए बहुत सारी धनराशि की जरूरत थी। वर्षा मानव ने 12000 करोड़ दिए और जीओपी जीत गयी (हालांकि कई लोगों ने इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के संग खिलवाड़ का दावा किया)। कार्य संपन्न हुआ और जीओपी के नेतृत्व में गठबंधन पाँच वर्ष के लिए सत्ता में आ गई। तत्पश्चात सारे घोटालों का खुलासा हुआ जिससे जनता के बीच सत्तारूढ़ व्यवस्था के खिलाफ आक्रोश पैदा हुआ। भविष्य स्पष्ट था – जीओपी 2014 के चुनाव हारनेवाली थी। तब वर्षा मानव ने क्या किया?
वर्षा मानव ने 2014 में किसका समर्थन किया?
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक वर्षा मानव को फैसले का अंदाजा हो गया और उसने विरोधी गठबंधन को 6000 करोड़ रुपए दिए! इसे सिद्ध करना कठिन होगा परंतु वर्तमान सरकार के अनिच्छे व्यवहार से ऐसा लगता है कि शायद कोई निः शब्द सहमति थी। नहीं तो वर्षा मानव आज़ाद क्यों घूमता, जबकि उसके घोटालों का खुलासा हो चुका है? क्या ना खाऊँगा ना खाने दूँगा की प्रतिज्ञा इस सरकार के कार्यकाल शुरू होने से पहले ही टूट गई?
2019 – वर्षा मानव का अंतिम मौका?
नोटबंदी से शायद आम जनता पीड़ित हुई थी परंतु जागीरदारों द्वारा चलाए जा रहे छोटे क्षेत्रीय दलों को ज्यादा पीड़ा हुई। घोटाले में कमाई गयी अधिकतर संपत्ति नकद राशि थी जो नवम्बर 8, 2016 को बेकार हो गए। कुछ नेताओं द्वारा धनराशि नेपाल के बैंकों में जमा करने की योजना, नेपाल सरकार के कुछ लोगों की सहायता से, पर रोक लगा दी गई। वास्तविक स्थिति यह है कि वर्तमान सरकार के खिलाफ सबके एकजुट होने के बावजूद 2019 चुनाव लड़ने के लिए पैसे नहीं हैं। वर्षा मानव का आगमन।
वैदिक भूमि के राजधानी के विश्वसनीय सूत्रों ने गुमनामी के शर्त पर बताया कि 2019 के चुनाव में विपक्ष को समर्थन देने के लिए वर्षा मानव 50000 करोड़ रुपए जोड़ने वाला है बशर्ते वे उसे प्रधानमंत्री बनाए अगर उन्हें बहुमत मिले। धनराशि अभी देश में नहीं है परंतु वर्षा मानव के पास योजना है जिससे वह रुपये के धनी दलालों (जिनमें बहुत सत्ता बाजार घोटालों में दोषी पाए गए हैं परंतु आजाद है) के साथ सौदा करके विदेशी संपत्तियों के बदले नकद प्राप्त कर सके। रिवर्स हवाला चाल। शायद आपका सवाल है कि यह कैसे मुमकिन है? नीचे दी गयी आकृति को देखें:

वर्षा मानव के पैसे कई जगहों पर अटके हुए हैं और इन्हें बाहर निकालने के लिए कुछ “हानिरहित” आयोजन किए जा सकते हैं ताकि पूर्ण लेन-देन कानूनी तौर पर सही लगे –
* वर्षा मानव के पास बेनामियों के माध्यम से मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) में 30% और नेशनल स्टाक एक्सचेंज (एनएसई) में 40% भागीदारी है। यदि एनएसई को एनसीएक्स विलीन कर दिया गया या
* एनसीएक्स को बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में विलीन किया गया
यदि इनमें से कोई एक घटना भी साकार हो जाए तो
वर्षा मानव को पैसे निश्चिंत रूप से मिलेंगे। पैसों को निवेश संविभाग प्रबंधन कर्ताओं द्वारा अंतरराष्ट्रीय दलालों, जो मॉरिशस या सिप्रेस/ केमन आईलेंड/ सिंगापुर /एसटी. किट्स आईलेंड में स्थित है, के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा। 30% छूट पर देसी दलाल (जिनके पास बहुत सारी नकद राशि है) गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के माध्यम से बेचेंगे। यह धनराशि तत्पश्चात गठबंधन के मित्र पक्षों में बांट दिया जाएगा। पहले कुछ धनराशि दी जाएगी, वादे के तौर पर एवँ वर्षा मानव के प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद बाकी की राशि दी जाएगी। एक बार इस प्रक्रिया के शुरू होने के बाद स्टॉक एक्सचेंज में बहुत ज्यादा गतिविधि होगी और उसे कभी भी गिराया जा सकेगा।
क्या सत्ता बाजार का गिरना तय है?
सहभागी नोटों द्वारा, वर्षा मानव सत्ता बाजार को गिरा सकता है और दलालों को पहले से सूचित किया जाएगा ताकि वे अच्छे स्टॉक को कम कीमत पर खरीद सकें। यदि दीपावली के समय (अक्टूबर – नवम्बर) गिराया गया और मध्य वर्ग अपने सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) को गिरता देख दुखी होगा एवँ सत्ता में जो दल है उन्हें दोषी करार देगा। एक ही तीर से दो निशाने।
क्या सरकार कार्यवाही करेगी?
जाँच एजेंसियों को पता है कि मौसम भविष्यवक्ता कौन है… हर दिन वह आजादी से घूम रहा है, योजनाएं बना रहा है और उन्हें अंजाम दे रहा है। इस व्यक्ति ने काफी सारे गैरकानूनी काम किए हैं जिसके लिए जाँच एजेंसियां इसे जेल भेज सकती हैं और एक के बाद एक सारे घोटालों का आराम से खुलासा कर सकती हैं। यदि वर्तमान सरकार ने यह कदम नहीं उठाया तो वह 2019 के चुनाव हार जाएगी जो उसके शीर्ष नेतृत्व के लिए विनाशकारी होगा। क्या वे कार्यवाही करेंगे? केवल समय ही बताएगा।
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