सीबीआई ने बताया कि विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर कम से कम आधे दर्जन मामलों की जाँच की जा रही है एवँ उन्होंने लालू को बचाने हेतु जनहित याचिका दर्ज की है

सीबीआई के निदेशक के खिलाफ विशेष निदेशक अस्थाना ने सीवीसी को शिकायत कि, सीबीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अस्थाना और उनके उद्देश्यों को लताड़ा

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सीबीआई के निदेशक के खिलाफ विशेष निदेशक अस्थाना ने सीवीसी को शिकायत कि, सीबीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अस्थाना और उनके उद्देश्यों को लताड़ा
सीबीआई के निदेशक के खिलाफ विशेष निदेशक अस्थाना ने सीवीसी को शिकायत कि, सीबीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में अस्थाना और उनके उद्देश्यों को लताड़ा

केन्द्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को घोषित किया कि उनके विशेष निदेशक राकेश अस्थाना पर कम से कम आधे दर्जन मामलों की जाँच चल रही है। उनके द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी)को की गई ओछी शिकायत के पीछे मंशा थी कि जाँच अधिकारियों पर दबाव बना सके [1]

क्या अस्थाना ने लालू को बचाने का प्रयास किया?

सीबीआई ने अपने बयान में यह भी कहा कि आईआरसीटीसी घोटाले में, जिसमें पूर्व रेलमंत्री एवँ उनका परिवार शामिल है, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा खारिज की गई जनहित याचिका के याचिकाकर्ता से अस्थाना के संबंध हैं। 21 सितंबर 2018 का सीबीआई का प्रेस बयान सीबीआई के इतिहास में एक काला दिन है क्योंकि उनको अपने ही विशेष निदेशक द्वारा सीवीसी निदेशक को की गई नकली शिकायत का जवाब देना पड़ा, जबकि ऐसी नकली शिकायतों पर सीवीसी को ध्यान देना ही नहीं चाहिए। यह सीबीआई में चल रहीं असभ्य गतिविधियों का परिणाम है, जिसके लिए उसके वास्तविक नियंत्रण प्राधिकारी प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की जवाबदेही है।

सीबीआई अस्थाना द्वारा सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा पर सीवीसी को की गई शिकायत पर समाचारपत्रों में प्रकाशित हुई खबर का जवाब दे रहे थे, जो बेशक अस्थाना ने स्वयं इकनॉमिक टाइम्स में छपवाया [2]। सवाल यह है कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने अस्थाना की ऐसी तुच्छ शिकायत को सीवीसी के वी चौधरी के पास, जो स्वयं कई सारे मामलों में फसे हुए हैं, क्यों भेजा? इससे स्पष्ट होता है कि कुछ गुजरात संवर्ग के अधिकारी ईमानदार सीबीआई निदेशक अलोक वर्मा के खिलाफ गंदी चालें चल रहे थे।

अब सीबीआई ने पीएमओ में स्थित कुछ गुजरात संवर्ग के अधिकारीयों, जो भ्रष्ट राकेश अस्थाना जिसे 2011 में कांग्रेस नेता अहमद पटेल से जुड़े संदेसारा ग्रुप एवँ स्टर्लिंग बायोटेक से 3.8 करोड़ लेते हुए पकड़ा गया था, का समर्थन कर रहे हैं, के खिलाफ मुहिम शुरू की है [3]

नयी दिल्ली से प्रकाशित हो रहे एक समाचारपत्र में सीबीआई निदेशक के खिलाफ सतर्कता आयोग (सीवीसी) के समक्ष दर्ज हुई शिकायत को लेकर कुछ आरोप लगाए गए हैं। इस समाचारपत्र की रिपोर्ट को कई टीवी चैनलों पर भी प्रसारित किया गया है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे निराधार एवँ तुच्छ आरोप सार्वजनिक रूप से, बिना तथ्यों को जाँचें, सीबीआई निदेशक की छवि को हानि पहुंचाने एवँ अधिकारियों को धमकाने के लिए फैलाये जा रहे हैं।

सीबीआई ने अपने प्रेस बयान में कहा कि “सीवीसी ने सीबीआई के विशेष निदेशक की शिकायत के चलते सीबीआई से कुछ जाँच फ़ाइल मंगवाई हैं। सीवीसी के पत्र के जवाब में सीबीआई ने मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) को बताया कि यह शिकायत उनके अधिकारियों, जो शिकायतकर्ता के खिलाफ आधे दर्जन मामलों की जाँच चला रहे हैं, को धमकाने का प्रयास है। सीबीआई ने कहा कि सीवीसी को शिकायत की वास्तविकता को ध्यान में रखना चाहिए एवँ उसे जाँच एजेंसी की अखंडता को बचाने के लिए दुर्भावनापूर्ण और तुच्छ करार देना चाहिए।”

प्रधानमंत्री कार्यालय ने मध्य रात्रि के आदेश द्वारा अस्थाना को विशेष निदेशक नियुक्त किया

आश्चर्य की बात है कि पीएमओ ने राकेश अस्थाना के पदोन्नति के लिए मध्य रात्रि को आदेश पारित किया। उस रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली में नहीं थे। इससे स्पष्ट होता है कि पीएमओ में काम कर रहे गुजरात संवर्ग के आईएएस अधिकारी ने अपने मित्र राकेश अस्थाना को बचाने का प्रयास किया। सीबीआई निदेशक ने अस्थाना की पदोन्नति पर रोक लगाते हुए सीवीसी को पत्र लिखा जिसमें स्टर्लिंग डायरी भुगतान उद्धृत किया गया है [4]

अपने बयान में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव से जुड़े आईआरसीटीसी घोटाले में राकेश अस्थाना के जनहित याचिका दर्ज करा कर गंदी चाल खेलने का भी खुलासा किया है। “सीबीआई ने सीवीसी को लिखे पत्र में यह भी बताया कि आईआरसीटीसी घोटाले के मामले को उन्होने पहले भी उजागर किया है एवँ सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष पहले भी दो बार यह मुद्दा उठाया है। याचिकाकर्ताओं के पास अति गोपनीय आंतरिक दस्तावेज में से प्राप्त जानकारी थी जो एक गंभीर अपराध है। इसके बावजूद कि शिकायत में कोई तथ्य नहीं है, सीबीआई ने सीवीसी को वो सारी फ़ाइलें दीं जो उन्होंने मंगवाई एवँ बाकी फ़ाइल जल्द ही जमा कर दी जाएंगी। सीबीआई जांच में सहायता नहीं कर रहा कहने वाले मीडिया रिपोर्ट्स गलत हैं। आईआरसीटीसी घोटाले में आरोपियों पर छापों पर बाधा पैदा करने के आरोप भी पूर्णतः झूठे हैं। मामले की जाँच करने पर निर्धारित न्यायालय के समक्ष आरोप-पत्र दर्ज किया गया है। यह सीबीआई निदेशक के स्पष्ट स्वीकृति के बिना संभव नहीं होता ” सीबीआई ने अपने बयान में बताया।

इन सारी संदिग्ध घटनाओं से एक बात स्पष्ट है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को शासन प्रबंधन में काम कर रहे बदमाशों को हटाना होगा। मोदी को उन धूर्त अधिकारियों को दंडित करना होगा जिन्होंने कई भ्रष्टाचार विरोधी मामलों में विलंब किया जैसे नेशनल हेराल्ड, चिदंबरम परिवार संबंधित एयरसेल मैक्सिस घोटाला एवँ काले धन की जाँच और अहमद पटेल से जुड़े संदेसारा ग्रुप द्वारा 5000 करोड़ रुपये के बैंक घोटाले।

प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री कार्यालय में स्थित उन बदमाशों को सबक सिखाना चाहिए जो स्थानांतरण एवं प्रविष्टि को नियंत्रित करते हैं। ये बदमाश राकेश अस्थाना जैसे दुष्ट अधिकारियों का समर्थन कर रहे हैं।

संदर्भ:

[1] CBI says Asthana’s plaint against its chief is malicious, frivolousSep 21, 2018, The Hindu Business Line

[2] CBI chief Alok Verma under CVC lens after second-in-command Rakesh Asthana files complaintSep 21, 2018, The Economic Times

[3] Ahmed Patel directly received money from Sterling-Sandesara Group, confesses the accused hawala operator JohnyAug 5, 2018, PGurus.com

[4] Government to face wrath of Supreme Court on Promotion of Asthana as CBI Special Director?  Oct 24, 2017, PGurus.com

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