रजनीकांत की राजनीति में पदार्पण के क़यासों के बीच में एक कहावत याद आती है “जिसका काम उसी को साजे।” वे अभिनय में माहिर हैं इसमें कोई शक नहीं लेकिन राजनीति से उनका अब तक दूर दूर का कोई रिश्ता नहीं रहा है तो यह सलाह एक कहानी के द्वारा देने की कोशिश है।
आशा है सुपर स्टार रजनीकांत इस कहानी से शिक्षा लेकर अच्छा फ़ैसला लेंगे।
एक बार गाँव में अलताफ़ और ताहिर नाम के दो भाई रहते थे, बड़ा अलताफ़ खेती करता था और छोटा ताहिर दुकान चलाता था| अल्ताफ़ का गुज़ारा जहाँ ठीक-ठाक था वहीं अलताफ़ की दुकान से तगड़ी कमाई हो रही थी|
गाँव में सरपंच के चुनाव की घोषणा हुई तो ताहिर अपने भाई पास गया और चुनाव लड़ने की बात कही। इस बात पर अलताफ़ ने उसे चुनाव ना लड़ने की नसीहत दी लेकिन ताहिर ज़िद्द पे अड़ गया कि चुनाव तो लड़ूँगा ही| लाख बार समझाने पर भी ताहिर नहीं माना और अपने भाई से बोला की तुम मुझे सरपंच बनते नी देखना चाहते क्यूँकि तुम मेरी कामयाबी से जलते हो|
अंत में दुखी होके अलताफ़ बोला भाई कुछ बात थी जो में तुझे बताना नहीं चाहता था लेकिन अब बतानी पडेगी। सुन, जब तू 2 साल का था तब अपनी अम्मी सलमा पड़ोस के रामलाल चाचा साथ भाग गई थी और ये बात अब सिर्फ़ 2-3 बूढ़े लोग जानते हैं जो ये बात किसी को नी बताते और बाक़ी जो जानते थे सब मार गये हैं| लेकिन तू चुनाव लड़ेगा तो तेरे विपक्षी उम्मीदवार सब बातें खोज निकालेंगे और अपनी अच्छी ख़ासी इज़्ज़त पे दाग़ लग जाएगा इसलिए चुनाव का चक्कर छोड़ और दुकानदारी कर क्यूँकि कहावत है जिसका काम उसी को साजे|
यह सुनकर ताहिर ने चुनाव ना लड़ने की ठानी और दुकानदारी में ही मन लगाके काम करने लगा।
आशा है सुपर स्टार रजनीकांत इस कहानी से शिक्षा लेकर अच्छा फ़ैसला लेंगे।
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