जयराम रमेश ने मानहानि मामले में विवेक डोभाल से माफी मांगी
जाड़े के सर्द शनिवार को दिल्ली में कड़ाके की ठंड हो सकती है, लेकिन एक खबर माहौल को गर्म कर रही थी! कारवां मैगज़ीन में एक हमलावर लेख के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा मानहानि मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के बेटे विवेक डोभाल से माफी मांगने की असली वजह क्या थी? एक ब्रिटिश नागरिक और भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के बेटे विवेक डोभाल ने जयराम रमेश की माफी को स्वीकार कर लिया और कारवां पत्रिका और उसके रिपोर्टर कौशल श्रौ़फ के, केमैन टैक्स हेवन (कर आश्रय) में विवेक की फर्म के बारे में हमलावर लेख लिखने के खिलाफ मानहानि का मामला आगे बढ़ाने का फैसला किया[1]।
माफी का कारण
जयराम रमेश के बदले रुख और माफी के लिए क्या कारण था? और लेख में क्या गलत है? शायद यह एक हेडलाइन से शुरू होता है – “द डी-कंपनी”। एक बहुत ही उत्तेजक शीर्षक है क्योंकि भारत में डी-कंपनी शब्द आतंकवादी दाऊद इब्राहिम से जुड़ा है। लेकिन यह बहुत बड़ी मानहानि नहीं है, क्योंकि मुकदमे में सभी यह तर्क दे सकते हैं कि उनका मतलब डोभाल से था। लेख केमैन द्वीप समूह स्थित फंड कंपनी के बारे में है, जिसे जीएनवाई एशिया के नाम से जाना जाता है, जिसमें विवेक डोभाल एक निदेशक हैं और इस लेख में कारवां मैगज़ीन का भी जिक्र है, जिसने सत्तारूढ़ पार्टी (भाजपा) विरोधी पक्ष अपनाया है। मैगज़ीन के अनुसार, इस कंपनी का गठन डिमोनेटाइजेशन (नोटबंदी) के ठीक 13 दिन बाद हुआ था और इसमें डोभाल के बड़े बेटे शौर्य डोभाल के अन्य क्रियाकलापों को भी बीजेपी के साथ जोड़ा गया। लेकिन जैसा कि भारत और अन्य लोकतांत्रिक देशों में होता है, ये चीजें आमतौर पर मानहानि के मामले में नहीं टिकती हैं।
यूसुफ अली का दिल्ली आना जाना लगातार बना रहता है और वे कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं। यह किसी भी बिजनेस टाइकून की खासियत है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।
फिर माफी की क्या जरूरत थी? जयराम रमेश ने न केवल माफी मांगी, बल्कि उन्होंने यह भी कहा कि वह कारवां पत्रिका के लेख के तुरंत बाद पार्टी की वेबसाइट में अपलोड की गई प्रेस कॉन्फ्रेंस के विवरण को हटाने के लिए कांग्रेस पार्टी से आग्रह करेंगे। कारवां के संपादक विनोद जोस पहले ही कह चुके हैं कि वे अपने लेख के समर्थन में हैं। जयराम रमेश के खेद व्यक्त करने के पीछे क्या कारण है?
इस खबर को अंग्रेजी में यहाँ पढ़े।
असली कारण यह है
कई लोगों का कहना है कि जयराम रमेश को शीर्ष कांग्रेस नेतृत्व द्वारा केवल इसलिए माफी मांगने के लिए दबाव डाला गया, क्योंकि जीएनवाई एशिया फंड के प्रमुख शेयरधारक कोई और नहीं बल्कि मध्य पूर्व में व्यापार चला रहे केरल के दिग्गज व्यवसायी एमए यूसुफ़ अली के भतीजे मोहम्मद अल्ताफ हैं। मई 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस और माकपा नेताओं के लिए काम आने वाले युसुफ अली ने भी अपने पंख फैलाने शुरू कर दिए। अबू धाबी स्थित इस बड़े एनआरआई व्यवसायी के सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों से बहुत अच्छे रिश्ते हैं। 2016 के उत्तरार्ध में बनाई गयी जीएनवाई एशिया में 90 प्रतिशत से अधिक शेयर अल्ताफ के और 5 प्रतिशत से कम शेयर विवेक डोभाल के हैं।
अली गांधी परिवार के खातिरदार हैं
यूसुफ अली एक दशक से भी अधिक समय से सोनिया गांधी के परिवार के सदस्यों की खातिरदारी कर रहे हैं और 2019 की शुरुआत में अबू धाबी के उनके महलनुमा घर पर राहुल गांधी का एक शानदार स्वागत किया गया था। इंटरनेट पर उपलब्ध सैकड़ों तस्वीरें राहुल गांधी के स्वागत की गवाह हैं। यूसुफ अली का दिल्ली आना जाना लगातार बना रहता है और वे कई बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिल चुके हैं। यह किसी भी बिजनेस टाइकून की खासियत है। इसमें कुछ भी गलत नहीं है। स्पष्ट रूप से जयराम रमेश डर गए और अब इस सर्वदलीय बड़े टाइकून के संबंधों के लिए खतरा बन गए।
संदर्भ:
[1] The D-Companies – Ajit Doval’s sons run a web of companies including a Cayman Islands hedge fund even as father demands crackdown on tax havens – Jan 16, 2019, The Caravan
- मुस्लिम, ईसाई और जैन नेताओं ने समलैंगिक विवाह याचिकाओं का विरोध करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश और राष्ट्रपति को पत्र लिखा - March 31, 2023
- 26/11 मुंबई आतंकी हमले का आरोपी तहव्वुर राणा पूर्व परीक्षण मुलाकात के लिए अमेरिकी न्यायालय पहुंचा। - March 30, 2023
- ईडी ने अवैध ऑनलाइन सट्टेबाजी में शामिल फिनटेक पर मारा छापा; 3 करोड़ रुपये से अधिक बैंक जमा फ्रीज! - March 29, 2023