चीन के कर्ज जाल में फंसकर श्रीलंका हुआ बेहाल, भारत आया मदद के लिए आगे

भारत के सहयोग वाली परियोजनाओं पर भी बातचीत हुई जिन्हें मजबूती देकर श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है।

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चीन के कर्ज जाल में फंसकर श्रीलंका हुआ बेहाल, भारत आया मदद के लिए आगे
चीन के कर्ज जाल में फंसकर श्रीलंका हुआ बेहाल, भारत आया मदद के लिए आगे

चीन के कर्ज में फंसे श्रीलंका की मदद करेगा भारत

चीन के कर्ज जाल में फंसकर श्रीलंका इन दिनों काफी परेशान है। कोविड महामारी ने श्रीलंका के आर्थिक स्थिति को और अधिक खराब कर दिया है। इसी परेशानी से निपटने के लिए भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर और श्रीलंका के वित्त मंत्री बासिल राजपक्षे के बीच 15 जनवरी को वर्चुअल वार्ता में आर्थिक स्थिति पर व्यापक चर्चा हुई। इस चर्चा में भारतीय विदेश मंत्री ने राजपक्षे को आश्वस्त किया कि भारत हर स्थिति में श्रीलंका के साथ है और हरसंभव तरीके से मुश्किल हालातों से उबरने में उसकी मदद करेगा। इस वार्ता में एस. जयशंकर ने दोनों देशों के प्राचीन संबंधों का हवाला देते हुए कहा कि भारत उन संबंधों को हमेशा कायम रखेगा। इस दौरान भारत के सहयोग वाली परियोजनाओं पर भी बातचीत हुई जिन्हें मजबूती देकर श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाया जा सकता है।

इस वार्ता में बासिल राजपक्षे ने भारत के हमेशा से रहे सहयोगी रुख की प्रशंसा की और उसके लिए आभार भी व्यक्त किया। इस दौरान उन्होंने बंदरगाह, बुनियादी सुविधाओं, ऊर्जा और औद्योगिक क्षेत्र में श्रीलंका में भारत के निवेश की विशेष आवश्यकता बताई। वार्ता में भारत ने श्रीलंका को आश्वासन दिया कि दो महीने के अंदर वह करीब चार हजार करोड़ रुपये की आर्थिक मदद करेगा। इसके अतिरिक्त 11 हजार करोड़ रुपये की कीमत से ज्यादा का जरूरी सामान कर्ज पर देगा।

उल्लेखनीय है कि श्रीलंका पर चीन का लगभग 37 हजार करोड़ रुपये का कर्ज चढ़ गया है। यह रकम श्रीलंका को इसी वर्ष चुकानी है। श्रीलंका के लिए परेशानी की बात यह है कि वर्तमान में उसके पास लगभग 11 हजार करोड़ रुपये का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा है। श्रीलंका पर कुल 54 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है। इसे देखते हुए श्रीलंका पर चीन का कर्ज उसके कुल कर्ज का लगभग 68 प्रतिशत है। स्थिति यह है कि चीन की खाद्य महंगाई दर इस समय 22 फीसद से अधिक हो गई है। आर्थिक आपातकाल की स्थिति की घोषणा के बीच श्रीलंका में सेना की निगरानी में जनता को राशन बांटना पड़ रहा है। लोगों के पास खाने की चीजें खरीदने के लिए पैसे नहीं रह गए हैं। दुकान वाले एक किलो दूध पाउडर को 200-200 ग्राम के पैकेट में बांटकर बेच रहे हैं, क्योंकि लोग एक किलो का पैकेट खरीद नहीं पा रहे हैं। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना काल में ही सवा दो करोड़ की जनसंख्या वाले श्रीलंका में तकरीबन पांच लाख लोग गरीबी की रेखा से नीचे चले गए हैं।

उम्मीद है कि श्रीलंका को इस महीने भारत की ओर से लगभग 90 करोड़ डालर के दो वित्तीय पैकेज मिलेंगे। बीते दिनों एक अखबार ने भारत सरकार के सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी थी कि श्रीलंका को कुल राशि में लगभग 30 अरब की रकम मुद्रा की अदला-बदली की सुविधा के तहत दी जाएगी, जबकि शेष रकम ईंधन से जुड़ी है। श्रीलंका सरकार के वित्तीय सहायता निवेदनों पर भारत सरकार जल्द ही राहत पैकेज की तैयारी में है। राहत पैकेज भेजने में देरी का प्रमुख कारण यह है कि भारत ने उत्पादों के लिए ऋण सीमा बंद कर दी थी। श्रीलंका सरकार के अनुरोध पर इसे दोबारा शुरू किया गया है।

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