भारत का आयुर्वेद संस्थान और जापानी संस्थान मिलकर पारंपरिक औषधियों को बढ़ावा देने के प्रयास में
भारत में पारंपरिक दवाओं और चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय लगातार काम कर रहा है। इतना ही नहीं आयुर्वेद के क्षेत्र में रिसर्च और अनुसंधान के लिए भी आयुष मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला आयुर्वेद का शीर्ष संस्थान अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान यानि एआईआईए अब जापान के सहयोग से रिसर्च को बढ़ावा देगा।
हाल ही में एआईआईए ने राष्ट्रीय उन्नत औद्योगिक विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी संस्थान (एआईएसटी), जापान के साथ अकादमिक स्थापना के लिए एक समझौता किया है। जिसके तहत एआईएसटी जापान यहां आयुर्वेद में रिसर्च के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग प्रदान करेगा। बता दें कि जापान का यह संस्थान प्रतिष्ठित और सबसे बड़े सार्वजनिक अनुसंधान संगठनों में से एक है जो प्रौद्योगिकियों पर और इनोवेटिव तकनीकी बीजों और व्यावसायीकरण के बीच की खाई को पाटने पर ध्यान केंद्रित करता है।
गौरतलब है कि इस एमओयू पर एआईआईए की निदेशक प्रो. तनुजा नेसारी और जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग के महानिदेशक डॉ. तामुरा तोमोहिरो ने हस्ताक्षर किए हैं। इस दौरान जीव विज्ञान एवं जैव प्रौद्योगिकी विभाग, एआईएसटी-इंडिया डीएआईएलएबी की हेड, प्राइम सीनियर रिसर्चर रेणु वाधवा ने भी हिस्सा लिया जिनकी कोशिशों ने इस सहयोग को एक हकीकत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ एआईआईए का उद्देश्य अपने संस्थान की अनुसंधान गतिविधियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर बढ़ावा देना है। ये समझौता ज्ञापन दोनों देशों को पारंपरिक दवाओं की भारतीय आयुर्वेदिक प्रणाली के क्षेत्र में अनुसंधान सहयोग और निर्माण क्षमता बढ़ावा देने में सक्षम करेगा। इन सभी गतिविधियों को आयुष मंत्रालय के सहयोग से पूरा किया जाएगा।
प्रतिभागियों द्वारा लक्षित गतिविधियों के दायरे में आयुर्वेद के क्षेत्र की अनुसंधान गतिविधियां शामिल हैं। इनमें भारत के पारंपरिक चिकित्सा के साथ आयुर्वेदिक सिद्धांतों और प्रथाओं को एकीकृत करने के लिए साक्ष्य-आधारित दिशा-निर्देश विकसित करने के उद्देश्य से डिजाइन और निष्पादन में अध्ययन करना। चिकित्सा दिशा-निर्देशों के अनुरूप जापान में आयुर्वेद के उपयोग के लिए सुरक्षा मानकों और प्रोटोकॉल को विकसित करना। प्रोजेक्ट-टू-प्रोजेक्ट आधार पर सहयोगियों द्वारा निर्धारित वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और कर्मचारियों का आदान-प्रदान करना। वैज्ञानिक प्रगति, उपकरणों और तकनीकों को हासिल करने की दिशा में आयुर्वेद में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए सहयोगी गतिविधियों में छात्रों की भागीदारी करना आदि शामिल हैं।
एआईआईए के पास इससे पहले जर्मनी की यूरोपियन एकेडमी ऑफ आयुर्वेद, बर्नस्टीन, वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रेलिया, ग्राज मेडिकल यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रिया; कॉलेज ऑफ मेडिकल, यूके, लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन, यूके और फेडरल यूनिवर्सिटी ऑफ रियो डी जनेरियो, ब्राजील के साथ एमओयू हैं।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]