मुस्लिम आबादी नेपाल, बांग्लादेश बॉर्डर इलाकों में 32% बढ़ी! खुफिया एजेंसियों ने इसे खतरनाक बताया!

नेपाल की सीमा से लगते यूपी के पांच जिलों पीलीभीत, खीरी, महराजगंज, बलरामपुर और बहराइच में मुस्लिमों की आबादी 2011 के राष्ट्रीय औसत अनुमान के मुकाबले 20% से ज्यादा अधिक बढ़ी है।

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मुस्लिम आबादी की बेहिसाब बढ़ोतरी सुरक्षा के लिए खतरा
मुस्लिम आबादी की बेहिसाब बढ़ोतरी सुरक्षा के लिए खतरा

मुस्लिम आबादी की बेहिसाब बढ़ोतरी सुरक्षा के लिए खतरा

यूपी और असम में इंटरनेशनल बॉर्डर से लगते जिलों में पिछले सिर्फ 10 साल में अप्रत्याशित डेमोग्राफिक (जनसांख्यिक) बदलाव हुआ है। मुस्लिम आबादी की अप्रत्याशित बढ़ोतरी को लेकर खुफिया एजेंसियां परेशान हैं। ग्राम पंचायतों के ताजा रिकॉर्ड के आधार पर यूपी और असम की पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अलग-अलग रिपोर्ट भेजी हैं।

दोनों ही रिपोर्ट में कहा गया है कि बॉर्डर के साथ लगते जिलों में मुस्लिम आबादी 2011 के मुकाबले 32% तक बढ़ गई है, जबकि पूरे देश में यह बदलाव 10% से 15% के बीच है। यानी, मुस्लिम आबादी सामान्य से 20% ज्यादा बढ़ी है।

सुरक्षा एजेंसियों और राज्यों की पुलिस ने इस बदलाव को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील माना है। इसलिए दोनों राज्यों ने सिफारिश की है कि बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का दायरा 50 किमी से बढ़ाकर 100 किमी किया जाए। यानी बीएसएफ को सीमा से 100 किमी पीछे तक जांच और तलाशी करने का अधिकार होगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी ने बताया कि इतना ज्यादा डेमोग्राफिक बदलाव सिर्फ आबादी बढ़ने का मसला नहीं है। यह भारत में घुसपैठ का नया डिजाइन हो सकता है। इसलिए राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हमें अभी से पुख्ता तैयारी रखनी होगी। इसीलिए यूपी और असम की सुरक्षा एजेंसियों ने बीएसएफ का दायरा बढ़ाने की सिफारिश की है।

गुजरात को छोड़कर अन्य सीमावर्ती राज्यों पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम, यूपी और उत्तर-पूर्वी राज्यों में पहले बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र 15 किमी के दायरे तक सीमित था। अक्टूबर 2021 में जांच का दायरा बढ़ाकर 50 किमी कर दिया गया। कुछ राज्यों ने इस पर आपत्ति भी जताई थी। अब असम और यूपी जांच का दायरा 100 किमी करने की मांग कर रहे हैं। सूत्र बता रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे लेकर तैयारी भी शुरू कर दी है।

नेपाल की सीमा से लगते यूपी के पांच जिलों पीलीभीत, खीरी, महराजगंज, बलरामपुर और बहराइच में मुस्लिमों की आबादी 2011 के राष्ट्रीय औसत अनुमान के मुकाबले 20% से ज्यादा अधिक बढ़ी है।

राज्यों की पुलिस के सामने सबसे बड़ी चुनौती अब यह पता लगाना है कि जो लोग पंचायतों के रिकॉर्ड में नए दर्ज हुए हैं, उनमें कितने वैध और कितने अवैध हैं। क्योंकि, सुरक्षा एजेंसियों को यह भी संदेह है कि बाहर से आकर लोग बस गए हैं। इनके कागजात की जांच बेहद जटिल है।

यूपी के 5 सीमावर्ती जिलों में 1000 से अधिक गांव बसे हुए हैं। इनमें से 116 गांवों में मुस्लिमों की आबादी अब 50% से ज्यादा हो चुकी है। कुल 303 गांवों ऐसे हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 30 से 50% के बीच है।

यूपी के सीमावर्ती जिलों में मस्जिदों और मदरसों की संख्या अप्रैल 2018 से लेकर मार्च 2022 तक 25% बढ़ी है। 2018 में सीमावर्ती जिलों में कुल 1,349 मस्जिदें और मदरसे थे, जो अब बढ़कर 1,688 हो गए हैं।

पुलिस रिपोर्ट में इस बात की ओर भी इशारा किया गया है कि सीमाई इलाकों में काफी समय से घुसपैठ जारी है। बाहर से आने वाले लोग ज्यादातर मुस्लिम हैं। समय-समय पर ऐसी खुफिया रिपोर्ट्स मिलती रही हैं।

बांग्लादेश से लगते असम के जिले धुवरी, करीमगंज, दक्षिण सलमारा और काछर में मुस्लिम आबादी 32% तक बढ़ी है। 2011 में हुई जनगणना के राष्ट्रीय औसत अनुमान के लिहाज से आबादी में बढ़ोतरी 12.5% और राज्य स्तरीय अनुमान के मुताबिक 13.5% होनी चाहिए थी।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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