मध्यप्रदेश के शिशु गृह में बच्चों के जबरन धर्मांतरण का पर्दाफाश
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से लगे हुए रायसेन जिले के गौहरगंज में मां-बाप से बिछड़े 3 हिंदू बच्चों को मुस्लिम बना दिया गया है। तीनों बच्चे भाई-बहन हैं, जो साल 2020 में कोविड के कारण लगे पहले लॉकडाउन के पहले मंडीदीप में अपने माता-पिता से बिछड़ गए थे।
मध्यप्रदेश के रायसेन के गोदी शिशु गृह गौहरगंज में रहने वाले शाहरुख, सुहाना और रुखसाना (नए नाम) के पिता मंडीदीप में किसी फैक्ट्री में गार्ड हैं। आपसी विवाद के बाद मां और पिता के साथ नहीं रहते। मां बच्चों को लेकर भोपाल चली गई थी। यहां वह ताजुल मस्जिद के पास किसी मुस्लिम फकीर के साथ भीख मांगने लगी। कोविड में बच्चे मां से बिछड़ गए।
भोपाल की मातृ-छाया संस्था (एनजीओ) को बच्चे लावारिस नजर आए। उन्होंने बच्चों को बाल कल्याण समिति भोपाल के सामने पेश किया। मामला रायसेन जिले का था, इसलिए बाल कल्याण समिति भोपाल ने यह केस रायसेन बाल कल्याण समिति के पास ट्रांसफर कर दिया। बाल कल्याण समिति रायसेन ने इन बच्चों को गोदी शिशु गृह गौहरगंज को तब तक के लिए हवाले कर दिया, जब तक इनके पेरेंट्स नहीं मिल जाते।
महिला बाल विकास विभाग ने बच्चों की एसआईआर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए। जांच करने पर पता चला कि बच्चों के माता-पिता हिंदू हैं। इसके बावजूद, शिशु गृह संचालक हसीन परवेज ने उनका नाम परिवर्तित न करा कर स्कूल और आधार कार्ड पर उनका नाम मुस्लिम ही लिखवा दिया।
मामले का खुलासा तब हुआ, जब शिकायत पर राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो इस शिशु गृह का निरीक्षण करने पहुंचे। बाल आयोग ने हसीन परवेज को इस मामले में आरोपी बनाया है।
तीनों बच्चे बीते 3 साल से गौहरगंज में सरकारी अनुदान पर चलने वाले शिशु गृह में रह रहे हैं। बच्चे हिंदू हैं और पिछड़ा वर्ग से हैं। इनकी उम्र 4, 6 और 8 साल है। इनमें दो बहन और एक भाई है। बच्चों ने बताया कि पहले उनके नाम दूसरे थे, अब यहां के टीचर ने उनके दूसरे नाम रख दिए हैं। आधार कार्ड में बच्चों के माता-पिता के बजाए केयर टेकर के रूप में शिशु गृह के संचालक हसीन परवेज का नाम दर्ज है।
इस शिशु गृह में 5 बच्चे रहते हैं। इनमें से तीन सगे भाई-बहन हैं। राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शिशु गृह के संचालक को फटकार लगाते हुए शिशु गृह के सभी दस्तावेज जब्त करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही महिला बाल विकास विभाग को जांच कर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश भी दिए हैं।
राष्ट्रीय बाल आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने कहा- बच्चों की आइडेंटिटी बदली गई। यह भारत के संविधान का उल्लंघन है। हमने मौके से डीपीओ से बोला कि यहां से पूरे कागज जब्त तक कर लीजिए। निर्देश दिए हैं कि एफआईआर दर्ज कराएं। बच्चों के परिवार को ढूंढकर रीस्टोर करें। जो इस तरह की संस्था का संचालन कर रहा है, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करें। पुलिस अधीक्षक से भी फोन पर बात की है।
शिशु गृह के संचालक हसीन परवेज का कहना है कि बच्चे यहां भोपाल से ट्रांसफर हुए हैं। बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने जो आदेश दिए हैं, वही नाम संस्था में रखे गए। हम तब तक नाम नहीं बदल सकते, जब तक सीडब्ल्यूसी आदेश नहीं दे।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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