पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बेहाल, ईसाई और हिन्दू बुरी तरह प्रभावित!

प्रदर्शनकारियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्टों के अनुसार जबरन धर्म परिवर्तन के असूचित मामलों का प्रतिशत बहुत अधिक है।

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पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बेहाल, ईसाई और हिन्दू बुरी तरह प्रभावित!
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक बेहाल, ईसाई और हिन्दू बुरी तरह प्रभावित!

पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए नर्क बन चुका है!

महँगाई की मार झेल रहे पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति हर दिन बदतर होती जा रही है। पाकिस्तानी समाज जहां अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की प्रासंगिकता को समझने में विफल है और सरकार इस संबंध में आगे आने की इच्छुक नजर भी नहीं आती। इस संबंध में पाकिस्तानी ईसाई समुदाय और हिन्दू समुदाय सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है।

बीते सालों में पाकिस्तान का हिन्दू समुदाय बलात्कार, हिंसा, जबरन धर्म परिवर्तन जैसी बर्बरताओं से जूझता आया है और पाकिस्तानी सरकार के साथ साथ मानव अधिकार संगठन भी इस मामले को कुछ खास तब्बजो नहीं देते। आये दिन होने वाले प्रदर्शनों में अब ईसाई समुदाय भी अपनी आवाज बुलंद करने लगा है।

पाकिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। पाकिस्तान में तीन दिन पहले एक हिन्दू मंदिर तोड़े जाने से बवाल मच गया था। कुछ युवकों द्वारा हथौड़े से मूर्तियों को तोड़ने की बात कही जा रही है। पुलिस और मीडिया पर मामले को दबाने का आरोप लगाया जा रहा है। पिछले 22 महीनों में हिंदू मंदिर पर यह 9वां हमला है।

पाकिस्तानी सरकार या सुप्रीम कोर्ट लाख दिलासा दे मगर हकीकत सबको सामने नजर आ रही है। दरअसल स्थानीय हिंदू सैकड़ों की तादाद में एक मंदिर को तोड़े जाने से नाराज हैं। इस बार मंदिर पर हमला पाकिस्तान के कराची में हुआ है। इन मूर्तियों को तोड़ने के लिए भारी हथौड़े का इस्तेमाल किया गया। इस घटना के विरोध में कराची में विरोध- प्रदर्शन शुरू हो गये हैं।

तो वही दूसरी ओर विदेशों में छोटा पाकिस्तानी ईसाई समुदाय अपने ऊपर हो रहे जुल्मों के मुद्दे से निपटने में असहाय है और उनकी गतिविधियां विदेश में विरोध प्रदर्शन करने तक ही सीमित हैं और स्थानीय सरकार का ध्यान उनके निवास स्थान पर और पाकिस्तानी सरकार को मामले को गंभीरता से देखने के लिए आकर्षित करती हैं।

इस सिलसिले में 10 दिसंबर को पाकिस्तानी मूल के डच ईसाइयों के एक समूह ने पाकिस्तानी मिशन के सामने हेग में विरोध प्रदर्शन किया और पाकिस्तान में ईसाई समुदाय के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के लिए जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने की मांग की और उनकी सुरक्षा के लिए त्वरित समाधान की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने अल्पसंख्यकों के मामलों में न्याय की मांग करने वाले नारों के साथ बैनर और पोस्टर लिए थे।

प्रदर्शनकारियों ने हाल ही में श्रीलंकाई नागरिक की लिंचिंग, अपहरण, बलात्कार, जबरन धर्म परिवर्तन और पाकिस्तान में ईसाई नाबालिग लड़कियों की शादी, झूठे ईशनिंदा के मामलों को गढ़ने की घटनाओं की निंदा की और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कानून की मांग की।

प्रदर्शकारियों ने ईसाई, हिंदू और अन्य समुदायों की लड़कियों के जबरन धर्मातरण और विवाह को रोकने के लिए एक त्वरित संघीय कानून की आवश्यकता की मांग की। प्रदर्शनकारियों द्वारा तैयार की गई रिपोर्टों के अनुसार जबरन धर्म परिवर्तन के असूचित मामलों का प्रतिशत बहुत अधिक है। इनमें से कई नाबालिग लड़कियों को अपने तथाकथित अपहरणकर्ताओं से शादी करते देखा जा सकता है, जो ज्यादातर मामलों में उनसे कई साल बड़े होते हैं।

इसके अलावा, लड़कियों और उनके परिवारों को उनकी गरीबी, चरमपंथी धार्मिक और राजनीतिक नेताओं के प्रभाव, जांचकर्ताओं और न्यायपालिका द्वारा भ्रष्टाचार और दुर्व्यवहार के कारण न्याय नहीं मिल पाता है।

प्रदर्शनकारियों यह भी मांग की कि राष्ट्रीय ध्वज पर सफेद रंग से प्रतिनिधित्व करने वाले दस मिलियन से अधिक गैर-मुस्लिम आबादी वाले पाकिस्तानियों को बचाना और सुरक्षित करना और पाकिस्तान के विकास में सक्रिय भूमिका निभाना समय की मांग है।

याचिकाकर्ताओं ने मांग की कि पाकिस्तानी संसद और सरकार को मानवता के खिलाफ इस जघन्य अपराध को रोकने के लिए कठोर दंड और जुर्माने के साथ संघीय अधिकार क्षेत्र का कानून बनाने और लागू करने के लिए तेजी से कार्य करना चाहिए।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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