इसरो ने रचा इतिहास, नया रॉकेट एसएसएलवी लॉन्च

इसकी मदद से धरती की निचली कक्षा में 500 किलोग्राम वजन तक सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा।

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इसरो ने रचा इतिहास, नया रॉकेट एसएसएलवी लॉन्च
इसरो ने रचा इतिहास, नया रॉकेट एसएसएलवी लॉन्च

इसरो ने किया 120 टन वजनी एसएसएलवी.डी1 को लॉन्च

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो ने आज देश का नया रॉकेट लॉन्च किया है। इसरो अपने पहले स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एसएसएलवी ने रॉकेट के श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपण के साथ आज नया इतिहास बना दिया है। इस प्रक्षेपणयान से आजादीसैट उपग्रह को प्रक्षेपित किया जाएगा। इसरो के अनुसार 34 मीटर लंबा और 120 टन वजनी एसएसएलवी.डी1 श्रीहरिकोटा के प्रक्षेपण केंद्र से सुबह 9.18 बजे उड़ान भरी। इसरो ने 500 किलोग्राम से कम वजन वाले उपग्रहों को पृथ्वी की कम ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित करने के लिए एसएसएलवी को विकसित किया है।

एसएसएलवी का फुल फॉर्म है स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए अब इस रॉकेट का इस्तेमाल किया जाएगा। यह एक स्मॉल-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। इसकी मदद से धरती की निचली कक्षा में 500 किलोग्राम वजन तक सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेजा जाएगा।

आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश के 75 स्कूलों की 750 छात्राओं ने मिलकर आजादीसैट का निर्माण किया है। इस उपग्रह का वजन आठ किलोग्राम है। इसमें सौर पैनल, सेल्फी कैमरे हैं। इसके साथ ही लंबी दूरी के संचार ट्रांसपोंडर भी लगे हैं। यह उपग्रह छह महीने तक सेवाएं देगा। एक रिपोर्ट के अनुसार, इसके प्रक्षेपणयान की लागत 56 करोड़ रुपए है।

– सस्ता और कम समय में तैयार होने वाला।
– 34 मीटर ऊंचे एसएसएलवी का व्यास 2 मीटर है, 2.8 मीटर व्यास का पीएसएलवी इससे 10 मीटर ऊंचा है।
– एसएसएलवी 4 स्टेज रॉकेट है। पहली 3 स्टेज में ठोस ईंधन उपयोग होगा।
– चौथी स्टेज लिक्विड प्रोपल्शन आधारित वेलोसिटी ट्रिमिंग मॉड्यूल है जो उपग्रहों को परिक्रमा पथ पर पहुंचाने में मदद करेगा।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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