पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर करना वैश्विक राजनीति की सोची समझी चाल!
आतंकवादियों की फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर काबू न पाने के लिए वैश्विक निगरानी संस्था की “ग्रे लिस्ट” में डाले जाने के चार साल बाद पाकिस्तान का नाम आखिरकार इससे हटा दिया गया है। वहीं भारत के एक अन्य पड़ोसी देश म्यांमार को ब्लैक लिस्ट कर दिया है। ब्लैक लिस्ट में उच्च जोखिम वाले उन देशों को रखा जाता है, जहां कार्रवाई किए जाने की जरूरत है।
एफएटीएफ की ओर से जारी बयान में मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय आतंकवाद से निपटने में पाकिस्तान की महत्वपूर्ण प्रगति का स्वागत किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ प्रयासों को मजबूत किया है, वह आतंकवाद को मिल रहे वित्त पोषण से लड़ रहा है, तकनीकी खामियों को दूर किया गया है।
एफएटीएफ ने 20-21 अक्टूबर को पेरिस में हुई अपनी पूर्ण बैठक में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने का फैसला लिया। इस वैश्विक कार्यबल ने कहा, ‘पाकिस्तान ने मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग से निपटने के अपने तंत्र को अधिक प्रभावी बनाया है और रणनीतिक कमियों के संबंध में अपनी कार्य योजनाओं की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए उन तकनीकी कमियों को दूर किया है, जिनका जिक्र एफएटीएफ ने जून 2018 और जून 2021 में किया था। उसने संबंधित प्रतिबद्धताओं को तय समयसीमा से पहले पूरा किया है, जिसमें कुल 34 कार्य बिंदु शामिल थे।’
एफएटीएफ ने कहा, ‘इसलिए पाकिस्तान अब एफएटीएफ की बढ़ी हुई निगरानी प्रक्रिया के अधीन नहीं है। पाकिस्तान मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग से निपटने के अपने तंत्र को और बेहतर बनाने के लिए एपीजी के साथ काम करना जारी रखेगा।’
ग्रे लिस्ट से बाहर होने के बाद पाकिस्तान अपनी लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) और यूरोपीय संघ (ईयू) से वित्तीय मदद हासिल करने की कोशिश कर सकता है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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