धोखाधड़ी के बाद ईडी द्वारा गिरफ्तार, मुसीबत में केडी सिंह
आखिरकार केडी सिंह, मनी लॉन्ड्रिंग (काले धन को वैध बनाना) व्यवसायी एवं राजनेता और पूर्व राज्यसभा सांसद को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 1,900 करोड़ रुपये की पोंजी (फर्जी/बनावटी) योजना में धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तार किया। टर्बो इंडस्ट्रीज, चिकन रिपब्लिक और अल्केमिस्ट समूह की शुरुआत करने वाले कंवर दीप सिंह (59) झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) पार्टी से 2010 में झारखंड से राज्यसभा सांसद बनकर राजनीति में आए फिर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) में चले गए और 2014 में उसके सांसद बन गए। यह मत पूछिए कि चंडीगढ़ के एक पंजाबी व्यापारी का जनजातीय पार्टी जेएमएम और कोलकाता स्थित तृणमूल कांग्रेस के साथ क्या लेना देना है – यह एक आउट-ऑफ-सिलेबस प्रश्न है। वह 10 साल के लिए टीएमसी सांसद बने रहे। बस इतना ही।
जब भाजपा सत्ता में आई, केडी सिंह कई भाजपा नेताओं के साथ मित्रता बढ़ा रहे थे और टीएमसी में एक प्रतिबंधित व्यक्ति बन गए और यह एक ज्ञात रहस्य है कि उन्होंने टीएमसी सांसदों पर नारदा स्टिंग के रूप में जाना जाने वाले कुख्यात स्टिंग ऑपरेशन को वित्तपोषित किया। यह स्टिंग विवादास्पद नारदा वेब पोर्टल के मालिक मैथ्यू सैमुअल द्वारा किया गया था जो ब्लैकमेलिंग के लिए जाने जाते हैं। पीगुरूज ने बताया है कि किस तरह नारदा ने स्टिंग ऑपरेशन करने के लिए कई बिकाऊ महिलाओं का इस्तेमाल लोगों को शारीरिक व्यभिचार में फंसाने के लिए किया। केडी सिंह ने टीएमसी में अपने दुश्मनों के राजनीतिक भविष्य को खत्म करने के लिए इस स्टिंग ऑपरेशन को वित्त पोषित किया। 2008 से तहलका मैगज़ीन के मुख्य धन मुहैया कराने वाले (फंडर) केडी सिंह थे और बाद में 2011 से प्रमुख प्रमोटर (मालिक) बन गए।
वह पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली के अच्छे दोस्त थे और वित्त मंत्रालय के तहत ईडी ने जेटली की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद ही केडी सिंह के खिलाफ अपनी जांच सितंबर 2019 में शुरू कर दी थी।
केडी सिंह, जो चंडीगढ़ मंडली (लॉबी) के हैं, कई राजनेताओं के पैसे भी संभाल रहे थे और माना जाता है कि उनके पास 3 या 4 कार्यकारी जेट हैं जो भारत और विदेश में पंजीकृत हैं। मूल रूप से केडी सिंह कांग्रेस समर्थक थे लेकिन उन्होंने सभी पार्टियों और कई मीडिया हाउसों में सभी का करीबी रहने के लिए हर जगह पैसे की बारिश की। उनके करीबी दोस्तों के अनुसार, व्यवसायी केडी सिंह कम रिश्वत का भुगतान करने और तेजी से काम कराने के लिए राजनीति में शामिल हुए थे।
वह पूर्व वित्त मंत्री स्वर्गीय अरुण जेटली के अच्छे दोस्त थे और वित्त मंत्रालय के तहत ईडी ने जेटली की मृत्यु के कुछ सप्ताह बाद ही केडी सिंह के खिलाफ अपनी जांच सितंबर 2019 में शुरू कर दी थी। एजेंसी ने अल्केमिस्ट लिमिटेड के 59 वर्षीय संस्थापक पर जांच में असहयोग करने का आरोप लगाया और मंगलवार रात धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया। कोर्ट ने 16 जनवरी तक हिरासत की मंजूरी दे दी।
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केंद्रीय जांच एजेंसी ने सितंबर 2019 में सिंह की दिल्ली और चंडीगढ़ में उनसे जुड़े लोगों के परिसरों में तलाशी ली थी और तब 32 लाख रुपये नकद और 10,000 अमरीकी डालर की नकदी जब्त की थी। व्यवसायी अल्केमिस्ट लिमिटेड का अध्यक्ष था, जो 2012 में केडी के इस्तीफा देने से पहले फार्मास्यूटिकल्स और अन्य क्षेत्रों में काम करती थी। उन्हें ससम्मान सेवामुक्त अध्यक्ष और वर्तमान व्यवसाय समूह का संस्थापक बताया जाता है। ईडी उनसे दो मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के हिस्से के रूप में जांच कर रही है और अतीत में भी उससे पूछताछ की गयी है।
केडी सिंह ने अपने संदिग्ध धन सौदों के लिए कई शेल कंपनियों को बनाया था और भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा पकड़े गए। उन्होंने कई मीडिया कंपनियों में निवेश किया और कई प्रमुख मीडिया घरानों के लिए एक नियमित दानदाता थे, आंशिक रूप से तहलका में उनके स्वामित्व से। वह भारतीय हॉकी महासंघ के अध्यक्ष भी थे। संक्षेप में, केडी सिंह को पद पाने के लिए चारों ओर पैसा फेंकना पसंद था। टीएमसी सांसदों के खिलाफ नारदा स्टिंग ऑपरेशन के प्रायोजन के कारण, वह 2015 से टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी की आँख की किरकिरी बने हुए थे। तब वह वित्त मंत्री अरुण जेटली के माध्यम से भाजपा नेतृत्व को मक्खन लगा रहे थे, लेकिन सफल नहीं हो सके।
2018 में शुरू हुए इस आपराधिक मामले में, कोलकाता पुलिस ने सिंह, उनके बेटे करनदीप सिंह, अल्केमिस्ट टाउनशिप इंडिया लिमिटेड, अल्केमिस्ट होल्डिंग्स लिमिटेड और समूह की विभिन्न अन्य कंपनियों और निदेशकों को हजारों ग्राहकों को धोखा देने के लिए आरोपित किया था।
ईडी के अनुसार, मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 1,900 करोड़ रुपये का है और एजेंसी ने 2019 में अल्केमिस्ट इंफ्रा रियल्टी लिमिटेड की 239 करोड़ रुपये की संपत्ति संलग्न की थी। केडी सिंह पर आरोप है कि कंपनी ने एक अवैध सामूहिक निवेश योजना शुरू की, जिसे पोंजी (फर्जी/धोखाधड़ी) या एक चिट फंड योजना भी कहा जाता है, और 2015 से पहले के वर्षों में जनता से लगभग 1,916 करोड़ रुपये की धनराशि जुटाई। उसके और अन्य लोगों के खिलाफ धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का अन्य मामला कोलकाता पुलिस द्वारा दर्ज की गई एक प्राथमिकी (एफआईआर) पर आधारित है।
2018 में शुरू हुए इस आपराधिक मामले में, कोलकाता पुलिस ने सिंह, उनके बेटे करनदीप सिंह, अल्केमिस्ट टाउनशिप इंडिया लिमिटेड, अल्केमिस्ट होल्डिंग्स लिमिटेड और समूह की विभिन्न अन्य कंपनियों और निदेशकों को हजारों ग्राहकों को धोखा देने के लिए आरोपित किया था। “कंपनियों के माध्यम से सिंह ने हजारों ग्राहकों को प्लॉट्स और फ्लैटों की बिक्री और बुकिंग के साथ निवेश की आड़ में प्रलोभन देकर भारी रकम जुटाई।”
ईडी ने कहा, “अब तक की जांच में पता चला है कि सार्वजनिक रूप से जुटाई गई इन धनराशि का इस्तेमाल किसी अपेक्षित उद्देश्य के लिए नहीं किया गया और समूह की विभिन्न कंपनियों में लगा दिया गया।” मासूम जनता से वसूल किया गया धन,”धोखाधड़ी” और घुमावदार तरीके से स्थानांतरित किया गया है।
ईडी ने कहा – “आगे, इस प्रक्रिया में शामिल संस्थाओं के विभिन्न तन्त्रों में डमी (बनावटी) निर्देशक हैं। इन निदेशकों को उस उद्देश्य के बारे में कुछ भी ज्ञात नहीं है, जिसके लिए उक्त धन एकत्र और स्थानांतरित किया जा रहा था।”
संदर्भ:
[1] Narada News portal owner Mathew Samuel caught blackmailing officials using honey traps – Jan 13, 2017, PGurus.com
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