केरल के राज्यपाल का आरोप स्मगलिंग करने वालों को सीएम ऑफिस से संरक्षण मिल रहा है।
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन और गवर्नर आरिफ मोहम्मद खान आमने-सामने आ गए हैं। गवर्नर ने गुरुवार को आरोप लगाया कि राज्य में स्मगलिंग करने वालों को सीएम ऑफिस से संरक्षण मिल रहा है। इसके साथ ही गवर्नर ने कहा कि मुझ पर मुख्यमंत्री आरोप लगा रहे हैं कि मैं विश्वविद्यालय के पदों पर आरएसएस के लोगों की भर्ती करना चाहता हूं। अगर एक भी ऐसा उदाहरण मिलता है तो मैं इस्तीफा दे दूंगा।
दरअसल, सीएम विजयन ने कहा था कि राज्य में गवर्नर आरिफ विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति पर राजनीतिक हस्तक्षेप कर रहे हैं।
गवर्नर आरिफ ने कहा कि कुलपति पद के लिए आरएसएस ही नहीं, बल्कि किसी भी इंसान को नॉमिनेट किया हो तो रिजाइन कर दूंगा। अगर सीएम इन आरोपों को साबित नहीं कर पाते तो क्या इस्तीफा देंगे?
आरिफ ने आगे कहा कि सीएम मुझ पर आरोप लगा रहे हैं कि मैं एक समानांतर सरकार चला रहा हूं और खुद दावा करते हैं कि वह एजुकेशन सिस्टम को बेहतर कर रहे हैं। मैं सीएम से पूछता हूं कि यूनिवर्सिटीज के खाली पदों पर अपनी पार्टी के नेताओं के अयोग्य रिश्तेदारों को भर्ती करके सिस्टम को बेहतर कर रहे हैं क्या?
आरिफ खान ने कहा कि मैंने कभी राज्य की राजनीति पर हस्तक्षेप नहीं किया, लेकिन अब मैं देख रहा हूं कि स्मगलिंग करने वालों को सीएमओ संरक्षण दे रहा है। अगर राज्य सरकार, सीएमओ और सीएम के करीबी लोग स्मगलिंग की गतिविधियों में शामिल हैं, तो निश्चित रूप से मैं हस्तक्षेप करूंगा।
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने 10 अक्टूबर को कहा था कि गवर्नर आरिफ आरएसएस के हथियार के रूप में काम कर रहे हैं। वे राज्य की यूनिवर्सिटीज के कामकाज को बाधित करते हुए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह अलोकतांत्रिक है और कुलपतियों की शक्तियों का अतिक्रमण है। राज्यपाल का पद सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि संविधान की गरिमा को बनाए रखने के लिए है।
विजयन ने यह भी कहा था कि राज्यपाल या कुलाधिपति को वाइस चांसलर को हटाने का अधिकार नहीं है और यूनिवर्सिटी एक्ट में ऐसा कोई विकल्प नहीं है।
केरल में राज्यपाल आरिफ खान ने 9 कुलपतियों को 10 अक्टूबर 11.30 बजे तक पद से इस्तीफा देने का आदेश दिया था। इस आदेश पर मचा बवाल केरल हाईकोर्ट तक पहुंच गया था। सभी 9 कुलपतियों ने अपने इस्तीफे के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सभी कुलपति अपने पद पर तब तक बने रह सकते हैं, जब तक कि राज्यपाल/कुलाधिपति उन्हें जारी किए गए शोकॉज नोटिस के बाद का अंतिम आदेश जारी नहीं कर देते।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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