नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को नागरिकता देने का अधिकार 31 जिलाधिकारियों को
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि केंद्र सरकार ने नौ राज्यों के 31 जिलाधिकारियों को नागरिकता कानून के तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को नागरिक बनाने का अधिकार दिया है।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 16 की शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने 31 जिलों के जिला कलेक्टरों को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 5 के तहत पंजीकरण द्वारा और धारा 6 के तहत प्राकृतिककरण द्वारा नागरिक बनाने की अपनी शक्ति प्रत्यायोजित की है।
नित्यानंद राय ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि प्रतिनिधिमंडल का उद्देश्य ऐसे विदेशियों के आवेदनों का तेजी से निपटान करना है, क्योंकि अब प्रत्येक मामले की जांच के बाद जिला स्तर पर ही निर्णय लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि आवेदकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इन जिलों का चयन किया गया है।
राय ने आगे बताया कि 31 जिलों के जिलाधिकारियों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यक समुदायों के आवेदन को जल्द निपटाने के लिए कहा है। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई से संबंधित नागरिक शामिल हैं। बता दें कि छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के 31 जिलों शामिल हैं।
बताते चलें कि विवादास्पद नागरिक संशोधन अधिनियम, 2019 के बजाय नागरिक अधिनियम, 1955 के तहत ये नागरिकता दी जा रही है। 2019 में पारित सीएए में भी तीनों देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। हालांकि सीएए अभी तक लागू नहीं किया गया है, क्योंकि इसके तहत नियम बनाए जाने बाकी हैं। इसलिए इसके तहत किसी को अभी नागरिकता नहीं दी जा सकती है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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