बीएसएफ स्वदेशी एंटी ड्रोन टेक्निक का इस्तेमाल कर निपट रही हथियार और ड्रग्स लाते ड्रॉन्स से
मेक इन इंडिया‘ को लेकर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) बेहद संजीदा है और हर क्षेत्र में वह इसका इस्तेमाल कर रही है। पाकिस्तान से घातक हथियार, गोला-बारूद और ड्रग्स ला रहे ड्रोन को मार गिराने के लिए भी बीएसएफ आजकल “स्वदेशी तकनीक” का उपयोग कर रही है। बीएसएफ के डीजी पंकज सिंह ने मीडिया को बताया, “ड्रोन एक बड़ी चुनौती है। आसमान से आने वाला यह नया खतरा एक बड़ा मुद्दा है। हालांकि हमने सीमा पर एंटी ड्रोन टेक्निक स्थापित की है लेकिन हमारे पास ऐसा मेगा सेटअप नहीं है जो पूरे पश्चिमी क्षेत्र को कवर करता हो। इस दिशा में हम कई भारतीय कंपनियों के साथ बातचीत कर रहे हैं। आने वाले दिनों में हम इस नई तकनीक को कई और संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात कर सकते हैं।”
दिलचस्प बात यह है कि बीएसएफ ने ऐसे ड्रोन भी विकसित किए हैं जो सटीकता के साथ आंसू गैस के गोले छोड़ सकते हैं। डीजी पंकज सिंह ने बताया, “टेकनपुर में हमारी टीयर गैस यूनिट ने इस प्रकार के ड्रोन विकसित किए हैं जो न केवल एक बार में 5 से 6 आंसू गैस के गोले ले जा सकते हैं बल्कि इन गोलों को सटीकता से टारगेट पर भी गिरा सकते हैं। वैसे, अभी यह तकनीक केवल विकसित की गई है और इसे अमल में नहीं लाया गया है।
पिछले साल के 12 महीनों की तुलना में इस साल पहले 11 महीनों में ही 16 ड्रोन मार गिराए गए हैं। बीएसएफ के विश्लेषण के अनुसार, इनमें से ज्यादातर ड्रोन चीन के हैं और खुले बाजार में आसानी से उपलब्ध हैं। पंकज सिंह बताते हैं, “उनमें से ज्यादातर ‘फैब्रिकेटेड’ हैं। चूंकि ड्रोन में इनबिल्ट चिप्स हैं, इसलिए हम कुछ मामलों में डेटा को पुनः प्राप्त करने में सक्षम हैं।” उनके अनुसार, बीएसएफ अब अधिक से अधिक स्वदेशी आधारित तकनीकों का विकल्प चुन रहा है क्योंकि निगरानी के लिए इस्तेमाल की जा रही विदेशी तकनीक बहुत महंगी थी। उन्होंने बताया, “बीएसएफ ने अपनी प्रणाली विकसित करने पर जोर दिया है। हमने अपनी टीम की मदद से कम लागत वाले प्रौद्योगिकी समाधान विकसित किए हैं।” वास्तव में घने कोहरे में एंटी-टनल डिटेक्शन, आईईडी डिटेक्शन और सीमा चौकसी के लिए भी स्वदेशी तकनीक है। सीमा पर पश्चिमी क्षेत्र में क्या हो रहा है, इसे ध्यान में रखते हुए निगरानी बढ़ा दी गई है। व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (सीआईबीएमएस) पर काम तेजी से चल रहा है। डीजी ने कहा, “गृह मंत्रालय ने इस मुद्दे के लिए 30 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। हम अपनी सीमाओं पर 5500 कैमरे लगाने जा रहे हैं।”
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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