कर्नाटक की भाजपा सरकार के एक विज्ञापन से शुरू हुआ विवाद!
केंद्र सरकार के हर घर तिरंगा कार्यक्रम पर कर्नाटक में एक नया विवाद पैदा हो गया है। ये विवाद कर्नाटक की भाजपा सरकार द्वारा अखबार में दिए गए विज्ञापन को लेकर है। दरअसल, राज्य सरकार ने हर घर तिरंगा अभियान के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की याद में उनकी तस्वीर अखबार के एक विज्ञापन में छपवाई है। जिसमें आजादी दिलाने वाले कई नायकों को जगह दी गई है, लेकिन खास बात ये है कि इस इस विज्ञापन से देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू गायब हैं, जबकि इनकी जगह विनायक सावरकर को जगह दी गई है।
कर्नाटक सरकार ने यह विज्ञापन 14 अगस्त को छपवाया था। भाजपा के प्रदेश महासचिव एन. रवि कुमार ने कहा- ‘नेहरू एक ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने महात्मा गांधी की बात नहीं मानी, और वह देश के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थे, इसलिए हम उनकी तस्वीर नहीं लगाएंगे।’ राज्य सरकार के इस विज्ञापन को लेकर अब कर्नाटक कांग्रेस ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है।
महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस गांधी, नेहरू, पटेल और अन्य नेताओं की विरासत को आगे बढ़ाते हुए राष्ट्र को एकजुट करने का प्रयास जारी रखेगी। नफरत की राजनीति हारेगी।
दूसरी तरफ भाजपा ने विभाजन विभीषिता स्मृति दिवस के मौके पर एक का वीडियो जारी किया। वीडियों में भाजपा ने 1947 की घटनाओं से जूड़ी से कहानी पेश की। सात मिनट के वीडियो में देश की बंटवारे के लिए नेहरू को जिम्मेदार ठहराया गया है। भाजपा के मुताबिक बंटवारे के दौरान पाकिस्तान बनाने के पीछे नेहरू का ही हाथ है, क्योंकि मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग की पाकिस्तान बनाने की मांग के आगे नेहरू को झुकना पड़ा था।
भाजपा के इस वीडियो पर कांग्रेस ने पलटवार किया। जयराम रमेश ने कहा कि 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाया गया। इसके पीछे की असली मंशा भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री की सबसे दर्दनाक ऐतिहासिक घटनाओं को अपने राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना है। उन्होंने कहा कि देश को बांटने के लिए आधुनिक दौर के सावरकर और जिन्ना का प्रयास आज भी जारी है।
पीएम मोदी ने पिछले साल 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का ऐलान किया था। 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि 1947 में विभाजन के दौरान भारतीयों के कष्टों और बलिदानों की देश को याद दिलाने के लिए हर साल 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस‘ के रूप में मनाया जाएगा।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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