चीन (बीजिंग) शीतकालीन ओलंपिक शर्मनाक
चीन में आयोजित किए जा रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों को लेकर न केवल उसकी एक अरब से अधिक आबादी की निगाहें हैं, बल्कि विश्व की भी इन पर नजर है और इसके लिए मौसम विज्ञानियों ने गुपचुप तरीके से जादुई छठा बिखेरने के लिए कृत्रिम प्रणालियों का सहारा लिया है। डेली मेल ने यह जानकारी दी है।
चीन के ‘जलवायु-इंजीनियरिंग’ अनुसंधान कार्यक्रम के प्रमुख एक ब्रिटिश वैज्ञानिक प्रोफेसर जॉन मूर के अनुसार अगर इनके लिए मौसमी परिस्थतियों में बदलाव नहीं किया गया तो यह आश्चर्यजनक होगा क्योंकि ये खेल ऐसे क्षेत्र में आयोजित किए जा रहे हैं जहां बर्फ बहुत कम है। इसकी आपूर्ति के लिए 49 मिलियन गैलन पानी को जमाना पड़ा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शायद 1936 के बर्लिन ओलंपिक के बाद से ये सबसे विवादास्पद माने जा रहे है।
मूर ने बताया, ऐसा कोई कारण नहीं है कि चीनी अधिकारी ओलंपिक के लिए मौसम में सुधार करने की कोशिश नहीं करेंगे। यह इस अर्थ में भी सही है कि इसका स्थानीय क्षेत्र के बाहर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आप हमेशा बर्फ और एक साफ नीला आकाश नहीं बना सकते हैं और शुरूआत में नमी होनी ही चाहिए।
उन्होंने समझाया कि इस क्षेत्र में प्रदूषित तत्व खासकर कालिख के कण प्रत्येक बूंद से चिपक जाते हैं और उन्हें इतना बड़ा होने से रोकते हैं कि ठंड में बादलों वाले दिनों में भी बर्फ के टुकड़े में परिवर्तित हो सकें। मूर ने कहा, भले ही रॉकेट नहीं दागे गए हों, कारखानों और कार्यालयों को बंद कर दिया जाएगा और खेलों के दौरान आसमान को साफ रखने के लिए यातायात पर पाबंदी लगा दी जाएगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सत्ता में अपने 10 वें वर्ष में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपनी शक्ति के प्रतीक के रूप में कोरोना महामारी के बीच एक शानदार खेल का आयोजन करने की चीन की क्षमता का दिखावा कर रहे हैं। इसे देखते हुए शायद शब्द पहेली इन खेलों के लिए अधिक उपयुक्त वर्णन है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन के उइघुर अल्पसंख्यक समुदाय के अनुमानित दस लाख सदस्य डिटेंशन शिविरों में सड़ रहे हैं, जहां उनके साथ नियमित रूप से बलात्कार किया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, और मुस्लिम धर्म को छोड़ने के लिए उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। यही हाल तिब्बतियों का भी है जो इसी तरह सताए और प्रताड़ित किए जा रहे हैं। हांगकांग के लोगों को लोकतंत्र प्रदान करने के लिए उनका क्रूर दमन किया जा रहा है।
सबसे शर्मनाक रवैया अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति का रहा है जो चीन में इन खेलों के आयोजन से भारी धनराशि प्राप्त करने के लिए उत्सुक है और चीन के इन जघन्य अपराधों की अनदेखी कर रहा है।
इसके अध्यक्ष, थॉमस बाख से जब झिंजियांग प्रांत में उइघुर नरसंहार के आरोपों की निंदा करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने जवाब दिया कि आईओसी कुछ ‘सुपर वैश्विक सरकार’ नहीं थी जो ऐसे मसलों से निपटने में सक्षम है, जिनसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद भी हार गई थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इन ओलंपिक खेलों को साधारण बनाए रखने के शी जिनपिंग के घोषित लक्ष्य के अनुरूप मात्र 3.2 अरब पाउंड की धनराशि खर्च की गई है लेकिन प्रमुख ऑनलाइन व्यापार पत्रिका इनसाइडर का दावा है कि चीन ने इनके आयोजन पर उस राशि का 10 गुना खर्च किया है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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