सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा भारत
काफी समय से देश में समीकंडक्टर चिप को लेकर दिक्कत आ रही है। अब मोदी सरकार ने सेमीकंडक्टर चिप के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का फैसला किया है। मोदी सरकार ने सेमीकंडक्टर की कमी को दूर करने के लिए 76 हजार करोड़ रुपये की पीएलआई योजना को मंजूरी दी है। मोदी सरकार के इस फैसले से देश में ही सेमीकंडक्टर चिप बन सकेंगी और देश के इसके लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। मोदी सरकार का ये फैसला इसलिए भी बहुत बड़ा है, क्योंकि तमाम चीजों में सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल होता है। ऐसे में अगर आत्मनिर्भर भारत बनाना है तो पहले सेमीकंडक्टर को लेकर निर्भरता खत्म करनी होगी। मोदी सरकार के इस फैसले के तुरंत बाद ही Rs 76000 करोड़ ट्विटर पर ट्रेंड तक करने लग गया।
सरकार के फैसले से माइक्रोचिप के डिजाइन, मार्केटिंग, पैकिंग और टेस्टिंग में मदद मिलेगी, जिससे एक पूरा इकोसिस्टम विकसित होगा। इसके तहत सेमीकंडक्टर डिजाइन, कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग और डिस्प्ले फैब्रिकेशन यूनिट्स की स्थापना की जाएगी। सरकार का लक्ष्य डिस्प्ले के लिए 1 से 2 फैब यूनिट स्थापित करने का है। डिजाइनिंग और मैन्युफैक्चरिंग कंपोनेंट्स के लिए 10-10 यूनिट लगाने का प्लान है। करीब एक साल पहले सरकार से देश में सेमीकंडक्टर फैब यूनिट बनाने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव मांगे थे। सरकार ने तब 40 फीसदी कैपिटल सब्सिडी की भी पेशकश की थी लेकिन कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई थी।
सरकार के इस कदम के बाद अब देश में नौकरियों की बाढ़ आने वाली है। मोदी सरकार ने चिप्स टू स्टार्टअप प्रोग्राम की घोषणा की है, जिसके तहत करीब 85 हजार से भी अधिक इंजीनियर्स की जरूरत होगी। इनकी मदद से ही भारत को सेमीकंडक्टर पावरहाउस बनने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार चिप्स से लेकर डिस्प्ले यूनिट तक की पूरी वैल्यू चेन में भारत को लीडर बनाना चाहती है। मोदी सरकार के कदम से रोजगार के बहुत सारे मौके निकलेंगे और साथ ही भारत से सेमीकंडक्टर के निर्यात के मौके भी बनेंगे।
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोदी सरकार की इस योजना के तहत बहुत सारे स्टार्टअप के लिए बड़े मौके आएंगे। सरकार स्टार्टअप्स को भी सेमीकंडक्टर बनाने और डिजाइन करने के लिए इंसेंटिव देगी। इससे टैलेंट भी सामने आएगा और रोजगार के बहुत सारे मौके निकलेंगे। वैसे भी पीएम मोदी अक्सर ये कहते रहते हैं कि देश के युवा को आगे आना चाहिए और कुछ इनोवेशन करना चाहिए।
अभी तक इजराइल की टावर सेमीकंडक्टर, एप्प्ल की कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन और सिंगापुर की एक कंपनी के समूह ने भारत में सेमीकंडक्टर यूनिट लगाने को लेकर दिलचस्पी दिखाई है। कुछ समय पहले वेदांता ग्रुप ने भी सेमीकंडक्टर यूनिट को लेकर अपनी दिलचस्पी दिखाई थी। दुनिया भर में सेमीकंडक्टर की तगड़ी कमी है, जिसके चलते इसकी कीमतें भी आसमान छू रही हैं और यह बिजनस का एक बड़ा मौका है।
अगर भारत की बात करें तो भारत हर तरह के सेमीकंडक्टर का आयात ही करता है। मौजूदा समय में भारत करीब 24 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर आयात करता है, जो 2025 तक बढ़कर 100 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। इससे पहले भी सरकार ने सेमीकंडक्टर बनाने के लेकर कंपनियों को प्रस्ताव भेजे थे, लेकिन तब बहुत ही कम कंपनियों ने रुचि दिखाई थी। अब जब सेमीकंडक्टर की कमी से देश ही नहीं बल्कि दुनिया जूझ रही है तो सेमी कंडक्टर को लेकर भारत को सरकार आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश एक बार फिर से कर रही है।
सेमी कंडक्टर की किल्लत की सबसे बड़ी वजह है कोरोना वायरस, जिसके चलते दुनिया भर में लॉकडाउन लगे और बहुत सारी फैक्ट्रियों को अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा। जैसे ही दोबारा कंपनियां खुलीं उनके पास प्रोडक्ट्स की डिमांड बढ़ी और कंपनियों ने सेमी कंडक्टर के लिए भारी-भरकम ऑर्डर देना शुरू कर दिया। अचानक बहुत अधिक ऑर्डर आने की वजह से सेमी कंडक्टर की किल्लत हो गई। इतना ही नहीं, पिछले साल अगस्त में अमेरिका ने उन फॉरेन कंपनियों पर चीनी कंपनियों को चिप बेचने को लेकर रोक लगा दी, जो अमेरिकन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते थे। इससे भी चिप की किल्लत बढ़ी है।
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