इस श्रृंखला के भाग १ को यहां पहुंचा जा सकता है| यह भाग २ है|
इतिहास के पन्नो से :
यदि भारत के इतिहास को देखा जाए तो प्राचीन भारत में वेदों के समय या रामायण, महाभारत काल में , चाणक्य-चन्द्रगुप्त काल में भारत में इस्लाम नहीं था | 712 के लगभग मोहम्मद बिन कासिम ने भारत पर हमला किया | उसके बाद मोहम्मद गौरी , गजनवी, नादिर शाह, इत्यादि कई मुस्लिम लुटेरो ने तुर्की, अरब , मंगोल , अफगान आदि जगहों से आकर भारत को लूटा | इनमे सबसे अधिक ताकतवर मुग़ल थे जो मंगोल से आये थे | पंद्रहवी शताब्दी से सत्रहवी शताब्दी तक बाबर, अकबर से लेकर औरंगजेब तक सभी मुग़ल भारत के कई हिस्सों को लूटते रहे तथा इसी बीच इन्होने गैर मुस्लिम प्रजा पर जजिया कर भी लगाया जिसके कारण बहुत सी गरीब प्रजा ने इस्लाम कबूल किया | कई लोगों ने डर के कारण , कुछ ने लालच के कारण या हारने के बाद स्वयं को तथा परिवार को बचाने के लिए मुगलों के समय इस्लाम कबूल कर लिया |
मुग़ल बहुत ताकतवर होने के बाद भी पूरा भारत कभी नहीं जीत सके क्योंकि शिवाजी, महाराणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह, आदि निरंतर युद्ध लड़ते रहे | जब सिख कमजोर पढ़ते तो मराठा मोर्चा संभाल लेते , कभी राजपूत तो कभी दक्षिण भारत के राजा मुगलों को हमेशा कई युद्धों में परस्त करते रहे | इसके पहले भी पूर्वोत्तर में बरफुकन ने जहाँ मुस्लिम आक्रान्ताओं को प्रवेश नहीं करने दिया , वहीँ हरिहर और बुक्का ने दक्षिण भारत में विजयनगरम साम्राज्य की स्थापना करके कभी भी विदेशी आक्रान्ताओं को देश पर कब्ज़ा नहीं करने दिया |
मुगलों से आजादी की लड़ाई लड़ रहे भारतीय जब औरंगजेब की मृत्यु के बाद कमजोर होते मुग़ल साम्राज्य के ऊपर जीत हासिल ही करने वाले थे तभी अंग्रेजों ने हिन्दू मुस्लिम फूट का फायदा उठाते हुए भारत के कई राज्यों पर कब्ज़ा कर लिया | १७५७ के प्लासी के युद्ध को अंग्रेजों ने सिराजुद्दौलाह से जीता और बंगाल पर कब्ज़ा किया [i] तथा १८५७ तक अंग्रेज तथा बाकी भारत के बीच युद्ध चलता रहा | इसी बीच बहुत से हिन्दू और मुसलमान एक साथ मिलकर भी अंग्रेजों से लडे, यहाँ तक की मुगलों के आखिरी वंशज बहादुर शाह जफ़र ने १८५७ क्रांति में देश का साथ दिया | मगर इसके बाद अंग्रेजों से हार के कारण बहादुर शाह जफ़र को रंगून में ही अपने अंतिम दिन गिनने पड़े और इस तरह मुगलों का अंतिम वंश भी भारत से बाहर चला गया |
चौधरी रहमत अली (इनके भी पूर्वज पहले ‘गुज्जर’ थे) जो १९३१ में कैम्ब्रिज विश्विद्यालय में पढ़ रहे थे , इनके दिमाग में अंग्रेजों ने भारत को तोड़ने के लिए ‘पाकिस्तान’ का जहर बोया |
अब जो मुसलमान भारत में बचे हुए थे | उनमे से अधिकतर वही थे जिनके पूर्वजों का धर्मान्तरण मुगलों के काल में किया गया था | अंग्रेजों को इस बात का डर था की यह वापस भारत में अपने मूल धर्म की ओर लौट सकते हैं | इसके लिए आर्य समाज एवं कई लोगों ने कार्य शुरू भी कर दिया था | अतः अंग्रेजों ने फूट डालो राज करो नीति के तहत , मुसलमानों को भारतीय अस्मिता से दूर तथा अरबी अस्मिता से जोड़ने के प्रयास शुरू कर दिए | इसी दिशा में उन्होंने १८५७ क्रांति के बाद बंगाल में पहला गाय काटने का कत्लखाना खोला जिसमे मुसलमानों को गाय काटने का रोजगार दिया , जिससे हिन्दू और मुसलमानों में दूरियां और बढती चली गयीं | इसके बाद चौधरी रहमत अली (इनके भी पूर्वज पहले ‘गुज्जर’ थे) जो १९३१ में कैम्ब्रिज विश्विद्यालय में पढ़ रहे थे , इनके दिमाग में अंग्रेजों ने भारत को तोड़ने के लिए ‘पाकिस्तान’ का जहर बोया |[ii] सबसे पहले पकिस्तान बनाने का आन्दोलन अंग्रेजों के दिमाग की उपज रहमत अली द्वारा चलाया गया बादमे इसे इकबाल और जिन्ना ने अपना लिया तथा १९४२ में जब गांधी समेत सभी बड़े नेता भारत छोड़ो आन्दोलन के समय जेल में थे तब अंग्रेजों ने मुस्लिम लीग को देश भर में शक्तिशाली बना दिया | अंततः इन्होने पकिस्तान बना ही लिया | इसके बाद बंगाली अस्मिता के नाम पर पूर्वी पकिस्तान में से बांग्लादेश का जन्म हुआ |[iii]
आज़ादी के बाद का भारत :
आजादी के बाद भारत में दंगों की जो आग लगी उसमे लाखों हिन्दू और मुसलमानों की जान गयी | पकिस्तान बनने के बाद जब अधिकतर कट्टरपंथी पाकिस्तान में चले गए | उसके बाद भारत में कुछ साल शांति का माहोल रहा | धीरे धीरे भारतीय मुसलमान भारतीय परिवेश में फिरसे ढलने लगे तथा उन्होंने अपनी पुरानी भारतीयता को वापस अपनाना शुरू कर दिया | जैसे भाषा , कपडे, बोली, रहन-सेहन, त्यौहार इत्यादि | मगर पकिस्तान में बैठे कट्टरपंथियों को यह सब रास नहीं आया तथा उन्होंने समय समय पर भारत में घुसपैठ करके भारतीय मुसलमानों को भड़काना शुरू कर दिया | १९४७ में कश्मीर हमले के अलावा पकिस्तान ने १९६५, १९७२ तथा १९९९ में भारत पर सामने से हमले किये तथा कई बार घुसपैठ, मुंबई हमला, बम ब्लास्ट, संसद पर हमला, इत्यादि के जैसे अपरोक्ष हमले भी किये | इसमें पकिस्तान ने दाऊद इब्राहीम के भारतीय नेटवर्क का कई बार सहयोग लिया | जिससे भारतीयों के मन में इस्लाम और मुसलमानों के प्रति और नफरत बढती चली गयी |
‘वहाबी’ बनाना और कुछ नहीं बल्कि सऊदी की ‘सॉफ्ट पॉवर’ का हिस्सा था जिसमे यह चाहते थे की सभी इस्लामिक मुल्क या दुनिया के सभी मुसलमान अब साउदी अरब की नक़ल करने लगें
पकिस्तान के अलावा बढती कट्टरता का एक कारण और था वह था अचानक सऊदी अरब का तेल के भण्डार से बहुत अमीर हो जाना | अमीर होने के बाद सऊदी अरब ने दुनिया पर राज करने के लिए मजहब का रास्ता चुनने का फैसला किया | इससे अरब का एक फायदा मक्का-मदीना के पर्यटन से करोड़ों की कमाई करने का था तथा दूसरा सारी दुनिया के मुसलमानों को अपना गुलाम बनाकर दुनिया जीतना था | पहले सऊदी अरब ने अपने आस पास के देशों में मज्जिदों और मदरसों को वहाबी बनाना शुरू किया | ‘वहाबी’ बनाना और कुछ नहीं बल्कि सऊदी की ‘सॉफ्ट पॉवर’ का हिस्सा था जिसमे यह चाहते थे की सभी इस्लामिक मुल्क या दुनिया के सभी मुसलमान- जो अभी उनके अपने देशों के हिसाब से रहते हैं वो सभी अब साउदी अरब की नक़ल करने लगें (जैसे भाषा, कपडे, नियम, नाम , संस्कृति इत्यादि) | अमेरिकी एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार पिछले ४ दशकों में सऊदी अरब ने दुनिया में बाकी इस्लामो को खत्म करने तथा वहाबी इस्लाम को बढाने के लिए मज्जिदों तथा मदरसों को लगभग १० बिलियन डॉलर दिए हैं |[iv] इसमें मुसलमानों को जालीदार टोपी, कटे पजामे , दाड़ी बढ़ाना, बुरखा पहनना इत्यादि के साथ साथ बच्चों के नाम सऊदी अरब के नामो जैसे रखना , अरबी भाषा को सबसे बड़ा मानना, विज्ञान और बाकी देशों की सभी चीजों को हराम मानना आदि सिखाया जा रहा है | यही नहीं कई जगह आतंकवाद की फंडिंग भी सऊदी अरब कर रहा है |
२००० के बाद इन्टरनेट आने के बाद से दुनिया भर के युवाओं को सोशल मीडिया के माध्यम से आतंकी बनाया जा रहा है | सऊदी के अलावा क़तर, ईरान तथा अन्य मुल्क भी अब दुनिया को इलामिक कट्टरता की ओर धकेलने में लग गए हैं |[v] इसी कारण आज दुनियाभर में इस्लाम के विरोध में सभी देश उतर आये हैं | दुनिया में अधिकतर बम ब्लास्ट में कहीं ना कहीं से इस्लाम का नाम सुनने में आ जाता है | म्यानमार और अमेरिका जैसे कई देशों में इस्लाम के खिलाफ युद्ध छिड गया है | मुसलमानों को अभी भी सऊदी तथा कट्टर मुल्को द्वारा यह बोलकर भड़काया जा रहा है की दुनिया उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रही है | जबकि असलियत यह है की दुनिया अब कट्टरवाद से तंग आ चुकी है, इसलिए दुनियाभर में इस्लाम के खिलाफ मत तैयार हो रहा है |
आगे जारी रखा जायेगा…
संदर्भ:
i. http://www.historytoday.com/richard-cavendish/battle-plassey
ii.https://en.wikipedia.org/wiki/Choudhry_Rahmat_Ali#Education_and_career
iii. http://www.discoverybangladesh.com/history.html
iv.http://www.telegraph.co.uk/news/2016/03/29/what-is-wahhabism-the-reactionary-branch-of-islam-said-to-be-the/
v. https://www.nytimes.com/2017/06/19/opinion/saudi-arabia-qatar-isis-terrorism.html?mcubz=3
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