माघ मेले में बिना मास्क, वैक्सीन सर्टिफिकेट के नो एंट्री : योगी सरकार
वार्षिक माघ मेला नजदीक आने के साथ ही, योगी आदित्यनाथ सरकार ने मेला क्षेत्र (टाउनशिप) में आने वाले संतों और भक्तों को पूर्ण टीकाकरण प्रमाण पत्र के साथ आने की सलाह जारी की है। मेला प्रशासन द्वारा बस्ती में उनके प्रवास के दौरान मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया है।
माघ मेला स्वास्थ्य अधिकारियों ने 14 जनवरी से 1 मार्च, 2022 तक 47-दिवसीय धार्मिक समारोह के दौरान टीकाकरण में तेजी लाने और कोविड के प्रसार को रोकने के लिए खाका तैयार किया है। देश भर में कोविड के मामलों में वृद्धि को देखते हुए योगी सरकार द्वारा सख्त उपायों की योजना बनाई जा रही है और देश भर से लोगों के मेले में आने की उम्मीद है।
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मेला से पहले धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक संगठनों के संतों और स्वयंसेवकों ने वार्षिक धार्मिक मेले से पहले अपने शिविर लगाने के लिए माघ मेला परिसर में पहुंचना शुरू कर दिया है।
कोविड प्रोटोकॉल सुनिश्चित करने के लिए सभी 15 प्रवेश बिंदुओं पर चिकित्सा दल तैनात किए जा रहे हैं। टाउनशिप में सभी प्राथमिक चिकित्सा चौकियों पर टीकाकरण और कोविड परीक्षण केंद्र होंगे। इसके अलावा, शिविरों में नियमित परीक्षण और जाँच होगी, मेला अधिकारियों ने कहा।
जिलाधिकारी (माघ मेला) शेषमणि पांडेय ने बताया कि टीकाकरण की आवश्यकता को लेकर मेला प्रशासन ने प्रमुख संतों एवं आध्यात्मिक संस्थाओं के साथ बैठक की है। उन्होंने कहा कि अगर आगंतुक टाउनशिप में रहना चाहते हैं तो उन्हें 72 घंटे की नकारात्मक आरटी-पीसीआर रिपोर्ट और पूरी तरह से टीकाकरण प्रमाण पत्र लेकर आना होगा।
स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा कोविड -19 नियंत्रण कक्ष स्थापित किए गए हैं जो चौबीसों घंटे काम करेंगे। एंटीजन और आरटी-पीसीआर परीक्षणों के लिए नमूने एकत्र करने के लिए स्टेटिक बूथ स्थापित किए जा रहे हैं।
मेला अधिकारियों ने सभी आगंतुकों से कोविड के बदलते परिदृश्य के मद्देनजर नियमों का पालन करने और टीकाकरण प्रमाण पत्र के साथ 72 घंटे से अधिक की सत्यापन योग्य आरटी-पीसीआर रिपोर्ट लाने का आग्रह किया है।
नमूना संग्रह के लिए 20 मोबाइल मेडिकल यूनिट टीमों को लगाया गया है। ये दल नमूने लेने के लिए अलग-अलग धार्मिक, सामाजिक और आध्यात्मिक शिविरों का नियमित अंतराल पर दौरा करेंगे। एंट्री गेट पर भी रैंडम सैंपलिंग की जाएगी। परीक्षण रिपोर्ट मेला अधिकारियों द्वारा संकलित और अनुरक्षित की जाएगी।
कोविड रोगियों की देखभाल के लिए और जिला निगरानी अधिकारी के परामर्श के बाद अस्पताल में उनका उचित उपचार सुनिश्चित करने के लिए कुल 12 रैपिड रिस्पांस टीमों को शामिल करने की भी योजना है।
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