आतंकी यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग का दोषी ठहराया गया
कश्मीरी अलगाववादी नेता यासीन मलिक को यहां की एक विशेष एनआईए अदालत ने बुधवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। उसे 2017 के आतंकी फंडिंग मामले में दोषी ठहराया गया है। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत फैसला सुनाया जो जीवन पर्यंत प्रभावी रहेगा।
पटियाला हाउस कोर्ट में कड़ी सुरक्षा के बीच टेरर फंडिंग मामले में अपराध के लिए सजा का ऐलान किया गया।
सुनवाई के दौरान मलिक ने कहा, “मैं किसी चीज के लिए भीख नहीं मांगूंगा। मामला इस अदालत में है और मैं इस पर फैसला करना अदालत पर छोड़ता हूं।”
उसने कहा, “अगर भारतीय खुफिया एजेंसी यह साबित करती हैं कि मैं 28 साल में किसी आतंकवादी गतिविधि या हिंसा में शामिल रहा हूं, तो मैं भी राजनीति से संन्यास ले लूंगा। मैं फांसी कबूल करूंगा .. मैंने सात प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया है।”
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने सुनवाई के दौरान अदालत को बताया कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए मलिक जिम्मेदार है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने मलिक को मौत की सजा दिए जाने का भी तर्क दिया।
दूसरी ओर, न्याय मित्र ने मामले में न्यूनतम सजा के रूप में उम्रकैद की सजा की मांग की।
मलिक ने पहले इस मामले में अपना गुनाह कबूल कर लिया था। पिछली सुनवाई में उसने अदालत को बताया था कि वह उस पर लगाई गई धारा 16 (आतंकवादी अधिनियम), 17 (आतंकवादी अधिनियम के लिए धन जुटाने), 18 (आतंकवादी कृत्य करने की साजिश) और यूएपीए की धारा 20 (आतंकवादी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) और भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 124-ए (देशद्रोह) का प्रतिवाद नहीं कर रहा है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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