बिशप सीपी सिंह के घर पर ईओडब्ल्यू की छापेमारी 48 बैंक अकाउंट, 1.65 करोड़ कैश, 18,000 डॉलर… बरामद
जबलपुर में बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के बिशप सीपी सिंह बिहार से आकर ईसाई बने। बिशप का पूरा नाम प्रेमचंद सिंह है। ईओडब्ल्यू की टीम बिशप सीपी सिंह के घर पर छापेमारी कर रही है और वह जर्मनी में हैं। अधिकारियों ने सर्च वारंट दिखाने के बाद परिवारवालों की उपस्तथिति में सर्चिंग की कार्रवाई की है। इस दौरान दौलत का भंडार मिला है। इस छापेमारी में ईओडब्ल्यू की टीम को बिशप के 48 अकाउंट के बारे में जानकारी मिली है। साथ ही उसके घर से 1.65 करोड़ रुपये नगद मिले हैं। कार्रवाई से ईसाई समुदाय में खलबली मच गई है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार दोपहर में अधिकारियों से कार्रवाई के बारे में जानकारी ली है। वहीं, ईओडब्ल्यू की कार्रवाई अभी भी बिशप के ठिकानों पर जारी है। अभी तक सात करोड़ रुपये के टैक्स की चोरी का मामला सामने आया है।
ईओडब्ल्यू के एसपी देवेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि 2015 में विभाग को बिशप पीसी सिंह के खिलाफ शिकायत मिली थी। उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए मूल सोसाइटी का नाम परिवर्तित कर लिया है और खुद चेयरमैन बन गए हैं। चेयरमैन बनने के बाद पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। सोसाइटी के माध्यम से संचालित विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों से मिलने वाली राशि का इस्तेमाल अनेक धार्मिक संस्थाओं के लिए कर रहा है। ईओडब्ल्यू ने इसकी जांच डीएसपी मंजीत सिंह से करवाई। जांच में पाया गया कि वर्ष 2004-05 से 2011-12 के शैक्षणिक सत्र के दौरान बिशप पीसी सिंह ने शैक्षणिक संस्थाओं से प्राप्त दो करोड़ 70 लाख रुपये अनेक धार्मिक संस्थाओं को ट्रांसफर किए।
वहीं, द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ इंडिया जबलपुर डायोसिस के चेयरमैन बिशप प्रेमचंद (पीसी) सिंह पर महाराष्ट्र में 11, पंजाब में 06, उत्तर प्रदेश में 42, मध्यप्रदेश में 4, राजस्थान में 24, दिल्ली, झारखंड और छत्तीसगढ़ में 06 सहित पंश्चिम बंगाल और हरियाणा में सैकड़ों आपराधिक मामले दर्ज हैं। विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि बिशप प्रेमचंद (पीसी) सिंह ने फर्म एवं संस्थाए जबलपुर के तात्कालीन असिस्टेंट रजिस्ट्रार बीएस सोलंकी के साथ मिलकर बनाई थी। उसका विस्तार मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक है। इस सोसाइटी की जबलपुर में 08, कटनी में 03, बिलासपुर और रायपुर 04 शैक्षणिक संस्थाएं है। बिशप के अधिकार क्षेत्र में 27 डायोसिस आते हैं।
ईओडब्ल्यू की टीम ने कार्रवाई गुरुवार को शुरू की थी। कार्यवाही के दौरान ईओडब्ल्यू को बिशप के घर से 1 करोड़ 65 लाख नगद, 18 हजार 352 डॉलर, 118 पाउंड, 48 बैंक खाते, 80 लाख 72 हजार रुपये मूल्य के सोने के गहने और 17 संस्थानों के दस्तावेज मिले हैं। बिशप के घर से इतनी बड़ी मात्रा में रुपये मिलने के बाद ईओडब्ल्यू अधिकरियों ने स्टेट बैंक आफ इंडिया से नोट गिनने वाली मशीन बुलानी पड़ी। इसके साथ ही आठ फोर व्हीलर भी मिले हैं।
बिशप सीपी सिंह मूल रूप से बिहार का रहने वाला है। वह 1986 में जबलपुर आया था। यहां उसने डायोसिस कार्यकर्ता के रूप में काम शुरू किया। साथ ही रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन कर लिया। 1988 में क्राइस्ट चर्च कैथेड्रल जबलपुर में एक डायोकान रूप में नियुक्त किया गया था। बताया जाता है कि द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ इंडिया डायोसिस का मुख्यालय नागपुर था। इस संस्था का पंजीयन 1959 में कराया गया था लेकिन बिशप ने कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर द बोर्ड ऑफ एजुकेशन चर्च ऑफ इंडिया डायोसिस का पंजीयन खुद के नाम पर जबलपुर से करा लिया। इसके बाद खुद ही बिशप बन गया।
इस खुलासे के बाद राज्य की सरकार सख्त है। ईओडब्ल्यू अधिकारियों के साथ मीटिंग के बाद सीएम ने कहा है कि इस पूरे छापेमारी में प्राप्त दस्तावेजों के आधार पर प्राप्त धन का उपयोग धर्मांतरण, अवैधानिक कार्य या गैरकानूनी कार्यों में तो नहीं हो रहा है। इसकी जांच ईओडब्ल्यू और जिला प्रशासन मिल कर करेगा।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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