एलएसी पर दो दिवसीय युद्धाभ्यास शुरू
भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुई झड़प के बाद भारतीय वायुसेना की पूर्वी कमान आज से दो दिवसीय युद्धाभ्यास करने जा रही है। यह युद्धाभ्यास असम और अरुणाचल प्रदेश सहित उत्तर पूर्व के सभी राज्यों के एयर स्पेस में किया जाएगा। इसके लिए वायुसेना ने नोटम यानी नोटिस टू एयरमैन भी जारी कर दिया है। हालांकि, यह युद्धाभ्यास तवांग की घटना से पहले ही तय हो चुका था, लेकिन इस युद्धाभ्यास से अरुणाचल प्रदेश से सटे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वायुसेना की ताक़त का नमूना ज़रूर दिखाई देगा। माना जा रहा है कि पूर्वी कमान के सभी एयरबेस इस युद्धाभ्यास में हिस्सा लेंगे। इस युद्धाभ्यास के दौरान रफ़ाल और सुखोई उड़ान भरकर चीन को संदेश देंगे।
समाचार एजेंसी एएनआई की जानकारी के मुताबिक, तवांग सेक्टर में एलएसी पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच झड़प 9 दिसंबर की रात हुई थी। इस झड़प में दोनों सेनाओं के सैनिकों को मामूली चोटें आईं हैं। इस झड़प के बाद भारत के कमांडरों ने शांति बहाल करने के लिए चीन के कमांडर के साथ फ्लैग मीटिंग की। इसके बाद मामला सुलझा लिया गया। हालांकि, एक सूत्र ने संकेत दिया कि इसमें 200 से अधिक चीनी सैनिक शामिल थे। वे डंडे और लाठियां लिए हुए थे और चीनी पक्ष की ओर घायलों की संख्या अधिक हो सकती है।
समाचार एजेंसी एएनआई की जानकारी के मुताबिक, तवांग में चीन की पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी एलएसी तक पहुंचना चाह रही थी। चीनी सैनिकों के इस कदम का वहां तैनात भारतीय सैनिकों ने विरोध किया और यही झड़प का कारण बनी। भारतीय थलसेना ने एक बयान में कहा, “पीएलए के सैनिकों के साथ तवांग सेक्टर में एलएसी पर 9 दिसंबर को झड़प हुई। हमारे सैनिकों ने चीनी सैनिकों का दृढ़ता के साथ सामना किया। इस झड़प में दोनों पक्षों के कुछ जवानों को मामूली चोटें आईं।”
थलसेना ने अपने बयान में कहा, “दोनों पक्ष तत्काल क्षेत्र से पीछे हट गए। इसके बाद हमारे कमांडर ने स्थापित तंत्रों के अनुरूप शांति बहाल करने के लिए चीनी समकक्ष के साथ ‘फ्लैग बैठक‘ की।” सेना के बयान में झड़प में शामिल सैनिकों और घटना में घायल हुए सैनिकों की संख्या का उल्लेख नहीं किया गया।
सेना ने कहा, “अरुणाचल प्रदेश में तवांग सेक्टर में एलएसी से सटे अपने दावे वाले कुछ क्षेत्रों में दोनों पक्ष गश्त करते हैं। यह सिलसिला 2006 से जारी है।” रिपोर्ट्स के मुताबिक, 17 हजार फीट की ऊंचाई पर यह झड़प हुई। बड़ी तादाद में चीन के सैनिकों ने घुसपैठ की कोशिश की थी, लेकिन भारतीय सैनिक इस तरह की हरकत के लिए पहले से ही तैयार थे।
इससे पहले 15 जून 2020 को लद्दाख के गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 सैनिक मारे गए थे। हालांकि, चीन ने 4 सैनिक मारे जाने की बात ही कबूली थी।
पिछले साल, चीन ने अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे क्षेत्र में 15 स्थानों के नाम चीनी और तिब्बती रख दिए थे। चीन की सिविल अफेयर्स मिनिस्ट्री ने कहा था- यह हमारी प्रभुसत्ता और इतिहास के आधार पर उठाया गया कदम है। यह चीन का अधिकार है। इसके पहले 2017 में चीन ने 6 जगहों के नाम बदले थे। चीन के इस कदम का भारत ने भी करारा जवाब दिया। चीन दक्षिणी तिब्बत को अपना क्षेत्र बताता है। उसका आरोप है कि भारत ने उसके तिब्बती इलाके पर कब्जा करके उसे अरुणाचल प्रदेश बना दिया। वहीं, सितंबर में दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख के गोगरा-हॉट स्प्रिंग क्षेत्र में ‘पेट्रोलिंग प्वाइंट 15‘ से समन्वित और योजनाबद्ध तरीके से अपने सैनिकों के पीछे हटने की घोषणा की थी। हालांकि, बाद में चीन ने सैनिकों को पीछे हटाने से इनकार कर दिया था।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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