देश की आम जनता महंगाई और बेरोजगारी से त्रस्त है और जनता के तथाकथित सेवक सांसदों की संपत्ति दिन रात बढ़ रही
लाेकसभा के लिए 2009 और 2019 के बीच दाेबारा निर्वाचित हुए 71 सांसदों की संपत्ति औसतन 286 फीसदी तक बढ़ी है। 2009 में 71 सांसदों की औसत संपत्ति 6.15 कराेड़ थी जाे 2014 में बढ़कर 16.23 कराेड़ हाे गई। अगले पांच साल में यानी 2019 में यह 17.59 कराेड़ से बढ़कर 23.75 कराेड़ हाे गई। इन सांसदाें द्वारा दिए गए हलफनामे के आधार पर नेशनल इलेक्शन वाॅच की रिपाेर्ट में यह जानकारी दी गई है।
इनमें भाजपा के 43, कांग्रेस के 10, तृणमूल कांग्रेस के 7, बीजेडी और शिवसेना के 2-2 सांसद हैं। वहीं जेडीयू, एआईएमआईएम, एआईयूडीएफ, आईयूएमएल, एनसीपी, शिराेमणि अकाली दल और नेशनल काॅन्फ्रेंस के एक-एक सांसद हैं। भाजपा सांसदाें की संपत्ति औसतन 15 कराेड़, कांग्रेस सांसदाें की 10 कराेड़ और तृणमूल कांग्रेस की 5 कराेड़ बढ़ी है।
आंकड़े से देखें ताे सबसे ज्यादा 157 कराेड़ की संपत्ति अकाली दल की हरसिमरत काैर बादल की बढ़ी है। एनसीपी की सुप्रिया सुले की 89 कराेड़ बढ़ी है। बीजेडी के पिनाकी मिश्रा की दाैलत में 87 कराेड़ का इजाफा हुआ है।
प्रतिशत से कर्नाटक के बीजापुर के भाजपा सांसद रमेश चंदप्पा (72) की संपत्ति सबसे ज्यादा 4189% बढ़ी है। 2009 में उनकी संपत्ति 1.18 रुपए थी जाे 2014 में 8.94 कराेड़ और 2019 में 50.41 कराेड़ हाे गई।
यूपी इलेक्शन वॉच और एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे। इसमें महिला माननीयों की औसत संपत्ति पुरुष सांसद-विधायकों के मुकाबले 2 गुना से ज्यादा मिली थी। फिर चाहे 2017 के विधानसभा चुनाव में खड़ी होने वाली महिला उम्मीदवार हों या जीतकर विधायक बनीं नेत्री। ये रिपोर्ट यूपी की 403 विधानसभा के 396 विधायकों के वित्तीय, आपराधिक व अन्य विवरणों का विश्लेषण करके जारी की गई थी।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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