कश्मीर के पंडितों की जान फिर खतरे में
आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान घाटी में जगह-जगह तिरंगा फहराए जाने से भड़के आतंकी कश्मीरी पंडितों को निशाना बना सकते हैं। गृह मंत्रालय ने इसको लेकर चेतावनी जारी कर दी है। मंगलवार को कश्मीर के शोपियां में दो कश्मीरी पंडितों पर अटैक होने के बाद सुरक्षा एजेंसियों को भी सतर्क रहने के लिए कहा गया है।
इधर, शोपियां में कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद जम्मू में केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हो गया है। शोपियां में कश्मीरी पंडित की हत्या के बाद श्रीनगर स्थित कश्मीरी पंडित संघर्ष समिति (केपीएसएस) के अध्यक्ष संजय कुमार टिक्कू ने मंगलवार को सभी पंडितों को घाटी छोड़ने के लिए कहा।
केपीएसएस ने अपने बयान में कहा- कश्मीर घाटी में कोई भी कश्मीरी पंडित सुरक्षित नहीं है। कश्मीरी पंडितों के लिए, केवल एक ही विकल्प बचा है कि वह कश्मीर छोड़ दें या मजहबी कट्टरपंथियों द्वारा मारे जाएं, जिन्हें स्थानीय आबादी का समर्थन प्राप्त है।
कश्मीरी पंडितों पर हमला करने के पीछे अल बद्र नाम का आतंकी संगठन है। संगठन के आदिल वानी की पहचान भी कर ली गई है, जो कटोपोरा जिले का रहने वाला है। वहीं हमले के बाद अल बद्र ने बयान जारी कर कहा है- तिरंगा रैली के लिए दोनों भाइयों ने लोगों को प्रोत्साहित किया था, जिस वजह से उस पर हमला किया गया।
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान कश्मीर में टारगेट किलिंग के लिए ऑपरेशन रेड वेव चला रहा है। 1980-90 के दशक में ऑपरेशन टुपाक या टोपाक चलाया था।
घाटी में ऑपरेशन रेड वेव के लिए पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने 200 लोगों की लिस्ट बनाई है, जिसे अमल में लाने के लिए हाइब्रिड आतंकी संगठन तैयार किया जा रहा है।
इसी साल जून में लगातार टारगेट किलिंग के बाद कश्मीरी पंडित घाटी छोड़ने लगे थे, जिसके बाद सरकार ने सरकारी नौकरी कर रहे पंडितों के लिए ट्रांसफर पॉलिसी में बदलाव किया था। हालांकि, पंडितों का कहना था कि उनका ट्रांसफर घाटी के बजाय जम्मू में कर दिया जाए।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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