ताइवान संकट: जिनपिंग को अब इकोनॉमी की चिंता, 20वीं पार्टी कांग्रेस से पहले संकट सुलझाने की कोशिश

अमेरिका सहित ताइवान के समर्थक देशों ने चीन की प्रतिक्रिया के जवाब में कठोर आर्थिक कदम उठाए तो पहले से ही निगेटिव ग्रोथ दिखा रही चीन की इकोनॉमी और खस्ताहाल हो सकती है।

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ताइवान संकट: जिनपिंग को अब इकोनॉमी की चिंता, 20वीं पार्टी कांग्रेस से पहले संकट सुलझाने की कोशिश
ताइवान संकट: जिनपिंग को अब इकोनॉमी की चिंता, 20वीं पार्टी कांग्रेस से पहले संकट सुलझाने की कोशिश

ताइवान को आंखे दिखाने वाले चीन को इकोनॉमी की चिंता

अमेरिकी हाउस स्पीकर नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद उसे घेरकर एक बड़ा सैन्य अभ्यास करके राष्ट्रवादी भावनाओं को हवा देने वाले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अब इकोनॉमी की चिंता सता रही है। अगर अमेरिका सहित ताइवान के समर्थक देशों ने चीन की प्रतिक्रिया के जवाब में कठोर आर्थिक कदम उठाए तो पहले से ही निगेटिव ग्रोथ दिखा रही चीन की इकोनॉमी और खस्ताहाल हो सकती है।

न्यूज एजेंसी एएनआई की एक खबर के मुताबिक अब ताइवान का मामला केवल चीन की राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारने भर का नहीं रह गया है। इसके साथ ही इकोनॉमी और अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ राजनयिक संबंधों का सवाल भी घनिष्ठ रूप से जुड़ा है। शी जिनपिंग अब अमेरिकी हाउस स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद कड़ी प्रतिक्रिया देकर खुद पैदा किए गए संकट से निपटने के लिए एक रास्ता निकालने के लिए छटपटा रहे हैं।

यह शी जिनपिंग के लिए राजनीतिक रूप से संवेदनशील समय है क्योंकि उनको 20वीं पार्टी कांग्रेस का सामना करना हैं। जिसका समय तेजी से नजदीक आ रहा है। तब तक वह ताइवान मुद्दे पर कोई रास्ता निकालकर जिनपिंग चीनी लोगों को दिखाना चाहेंगे कि ताइवान जलडमरूमध्य में तनाव से निपटने में वे सक्षम हैं और एक चीन की नीति के अपने संकल्प पर भी अडिग हैं। चीन के सैनिक ताकत के प्रदर्शन के कुछ नतीजे भी होंगे और शी जिनपिंग यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि चीनी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाए बिना उनसे प्रभावी तरीके से निपटने में वे सक्षम साबित हों।

शी जिनपिंग एक ऐसी कठिन स्थिति में फंस गए हैं जहां उन्हें आर्थिक विकास को बनाए भी रखना है। अगर अमेरिका ने कोई कठोर प्रतिक्रिया की तो ऐसा करना असंभव हो जाएगा। साथ ही ताइवान की बढ़ती अंतर्राष्ट्रीय मान्यता से भी चीन को गंभीर चिंता होने लगी है। इसके साथ ही जिनपिंग चीन के अंदर राष्ट्रवादी ताकतों के जबरदस्त दबाव में हैं। इसके कारण ताइवान की अर्थव्यवस्था को पंगु बनाने के लिए चीन ने केवल सैन्य अभ्यास ही नहीं किया है। चीन ने 2,000 से अधिक ताइवानी खाद्य उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है और ताइवान को रेत निर्यात रोक दिया है। इसके अलावा इस हफ्ते ताइवान की सरकारी वेबसाइटों पर विदेशी साइबर हमले भी हुए।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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