श्री कृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर समझौता नहीं करेगा हिंदू पक्ष
श्री कृष्ण जन्मभूमि– शाही ईदगाह मामले में हिंदू पक्ष ने समझौते से स्पष्ट रूप से इनकार कर दिया है। ईदगाह केस में पक्षकार सोहन लाल आर्य ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अब समझौते का सवाल ही नहीं उठता है। क्योंकि हम 1968 में धोखा खा चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हिंदू पक्ष को स्वामित्व के अलावा कुछ भी मंजूर नहीं है। वाराणसी के ज्ञानवापी केस की तरह यहां भी सर्वे कराया जाए ताकि ईदगाह की सच्चाई सामने आए। साथ ही सोहन लाल आर्य ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुस्लिम पक्ष जानबूझकर मामले को लटकाने की कोशिश कर रहा है।
इसके अलावा शाही ईदगाह के अमीन निरीक्षण मामले को लेकर मुस्लिम पक्ष की तरफ से 2 प्रार्थना पत्र लगाए गए हैं। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता तनवीर अहमद के मुताबिक पहला प्रार्थना पत्र रिकॉल का है। जबकि दूसरा प्रार्थना पत्र इसके लिए है कि जब तक रिकॉल प्रार्थना पत्र पर सुनवाई न हो तब तक अमीन निरीक्षण ना कराया जाए। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता नीरज शर्मा के अनुसार कोर्ट में दोनों मामलों की सुनवाई 20 जनवरी को होगी। तब तक अमीन निरीक्षण के लिए नहीं जाएंगे।
बता दें कि ये पूरा विवाद 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है। हिंदू पक्ष का कहना है कि ये मस्जिद जिस जगह बनी है, वो भगवान श्रीकृष्ण का जन्मस्थान है। सिविल जज सीनियर डिविजन (आईआईआई) सोनिका वर्मा ने शाही ईदगाह मस्जिद का सर्वे कराने का आदेश दिया है। ये सर्वे आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की टीम करेगी। एएसाई को 20 जनवरी तक रिपोर्ट भी सौंपनी है। ये आदेश उस याचिका पर दिया गया था, जिसमें शाही ईदगाह मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की गई है।
हिंदू पक्ष का दावा है कि औरंगजेब ने काशी और मथुरा में मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनवा दी। औरंगजेब ने 1669 में काशी में विश्वनाथ मंदिर तुड़वाया था और 1670 में मथुरा में भगवान केशवदेव का मंदिर तोड़ने का फरमान जारी किया था। इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद बना दी गई।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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