सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिका में चुनाव आयोग से मांग
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में चुनाव आयोग को उन पार्टियों की मान्यता रद्द करने का निर्देश देने की मांग की है जो अपने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि का विस्तृत ब्यौरा नहीं देते हैं।
देश में राजनीति का अपराध जगत से तालमेल पर वक्त-वक्त पर चिंताएं जताई जाती हैं, इस पर रोक लगाने की दिशा में बहुत ठोस कदम अब तक नहीं उठाया जा सका है। चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों की आपराधिक पृष्ठभूमि की विस्तृत जानकारी सार्वजनिक करना अनिवार्य करने की छोटी सी पहल तो की, लेकिन पार्टियां इसके लिए भी पूरी तरह इच्छुक नहीं दिखती हैं।
करीब-करीब सभी राजनीतिक दल न केवल अपराधियों को राजनीति में एंट्री देती हैं बल्कि उन्हें चुनाव में उतारते वक्त पूरी जानकारी देने में डंडी मार लेती हैं। अब सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई है कि ऐसी पार्टियों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उनकी मान्यता ही रद्द कर दी जाए।
सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि जो भी राजनीतिक दल ऐसे लोगों को चुनाव में खड़ा करता है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमें लंबित हैं और उनके बारे में डीटेल पब्लिक नहीं करता है, उसकी मान्यता रद्द करने का निर्देश चुनाव आयोग को दिया जाए। याचिकाकर्ता ने कहा कि शीर्ष अदालत ने दो साल पहले जो फैसला दिया है, उसके तहत हर राजनीतिक पार्टी को 48 घंटे के अंदर बताना है कि उसने क्रिमिनल को कैंडिडेट क्यों बनाया और उसके बारे में डीटेल अपनी वेबसाइट पर डालना होगा।
याचिकाकर्ता एडवोकेट अश्विनी उपाध्याय ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी 2020 को आदेश में सभी राजनीतिक पार्टियों से कहा था कि वह कैंडिडेंट के खिलाफ पेंडिंग क्रिमिनल केसों के बारे में जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड करें। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीति में अपराधीकरण की बढ़ती संख्या के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों से कहा था कि वह पेंडिंग क्रिमिनल केसों के बारे में डीटेल वेबसाइट पर डालें। साथ ही कहा है कि पेंडिंग क्रिमिनल केसों के बारे में एक स्थानीय और एक राष्ट्रीय अखबार में डीटेल में जानकारी दी जाए। अदालत ने राजनीतिक पार्टियों से कहा था कि वह क्रिमिनल केस जिनके खिलाफ पेंडिंग हैं, उन्हें कैंडिडेट के तौर पर सेलेक्ट करने का कारण बताएं।
याचिकाकर्ता वकील ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाते हुए कहा कि हाल ही में समाजवादी पार्टी ने 13 जनवरी 2022 को कैराना से जिसे कैंडिडेट बनाया है, उसके खिलाफ क्रिमिनल केस दर्ज है और कैंडिडेट बनाने के बाद भी समाजवादी पार्टी ने उस कैंडिडेट के बारे में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिये जानकारी पब्लिक नहीं किया कि क्या केस पेंडिंग है। इस तरह से देखा जाए तो समाजवादी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के 25 सितंबर 2018 और उस फैसले के बाद कंटेप्ट अर्जी पर दिए 13 फरवरी 2020 के फैसले का पालन नहीं किया है।
इसी कारण यह अर्जी दाखिल की गई है। याचिका में चुनाव आयोग को निर्देश देने की गुहार लगाई है कि वो राजनीतिक दलों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का सख्ती से पालन करवाए।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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