जम्मू-कश्मीर सरकार की इस कार्यवाही से नए उद्यमियों को मिलेगा मौका
जम्मू-कश्मीर में उद्योग स्थापित करने के लिए दी गई सरकारी जमीन अब सरकार वापस लेने जा रही है। वजह यह है कि 586 इकाइयों ने सिर्फ जमीन ही ली, जबकि उद्योग लगाने का काम नहीं शुरू किया। अगर किसी ने किया भी तो सिर्फ खानापूर्ति के लिए। सरकार की करोड़ों रुपए की जमीन इन इकाइयों ने कब्जा रखी थी। अब सरकार ने 3000 करोड के निवेश को मद्देनजर रखते हुए उन सभी इकाइयों से जमीन वापस लेने का नोटिस जारी कर दिया है, जिन्होंने उद्योग लगाने के लिए आवंटित जमीन पर कब्जा किया हुआ था। अब नए लोगों को उद्योग लगाने का अवसर मिलेगा। राज्य सरकार को उद्योग लगाने के लिए लगभग 4500 आवेदन मिले हैं।
इसी को देखते हुए सरकार ने यह बड़ा फैसला किया है। कुल 586 इकाइयों को अंतिम नोटिस जारी किया गया है। उन्हें 15 दिनों के भीतर उद्योग को लेकर अपना जवाब देना होगा, नहीं तो जमीन वापस ले ली जाएगी। हालांकि, सरकार ने पहले भी इन इकाइयों को कई नोटिस जारी किए थे, लेकिन अब उपराज्यपाल ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। इस बार नोटिस में साफ कहा गया है कि 15 दिन के भीतर जवाब दें और जवाब सतोंषजनक नहीं होने पर भूमि का आवंटन रद्द कर दिया जाएगा। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर सरकार जनवरी 2021 में नई औद्योगिक योजना लाई थी। इसके बाद से राज्य को 28400 करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव मिले। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में उद्योग शुरू करने के लिए 500 से 600 एकड़ जमीन आवंटित की गईं, जिन पर 586 इकाइयां पंजीकृत हुई थीं।
कश्मीर संभाग में 462 और जम्मू संभाग में 124 इकाइयां पंजीकृत हुई थीं। कई लोगों ने इस पर प्रीमियम जमा नहीं करवाया और कई लोगों ने योजना के तहत जमीन तो ली लेकिन खानापूर्ति के लिए इकाई खोली। अब इन इकाइयों को जम्मू-कश्मीर स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (सिडको) की प्रबंध निदेशक स्मित सेठी ने नोटिस जारी किया है। इस योजना के तहत 423 इकाइयां ऐसी थीं, जिन्हें जम्मू-कश्मीर स्माल स्केल इडंस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन ने जमीन आवंटित की थी, जबकि 163 को सिडको ने जमीन मुहैया करवाई थी। अब 3000 करोड़ रुपए के निवेश के लिए नए लोगों को अवसर मिलेगा और जिन लोगों ने आवेदन किया है उनको प्राथमिकिता के आधार पर जमीनों का आवंटन किया जाएगा।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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