इंदौर सफाई में लगातार अव्वल होकर अब पानी की दौड़ में

नगर निगम जलप्रदाय विभाग इंदौर और मंडलेश्वर में कार्यरत नर्मदा के इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि स्वच्छता की तरह इंदौर पेयजल सर्वेक्षण में भी अव्वल आए।

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इंदौर सफाई में लगातार अव्वल होकर अब पानी की दौड़ में
इंदौर सफाई में लगातार अव्वल होकर अब पानी की दौड़ में

इंदौर के सामने जल प्रबंधन एक बहुत बड़ा मुद्दा है!

स्वच्छता की तरह अब पेयजल को लेकर सर्वेक्षण होगा। देश में पहली बार इस तरह का सर्वे हो रहा है। इसमें शामिल होने वाले शहरों को अवॉर्ड मिलेगा। केंद्र सरकार ने पेयजल सर्वेक्षण को लेकर मापदंड निर्धारित कर दिए हैं। इसके अनुसार क्या काम करना और कैसे करना है, इसको लेकर नगर निगम जलप्रदाय विभाग इंदौर और मंडलेश्वर में कार्यरत नर्मदा के इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि स्वच्छता की तरह इंदौर पेयजल सर्वेक्षण में भी अव्वल आए। सर्वेक्षण के चलते नॉन रेवेन्यू वाटर (एनआरडब्ल्यू) और पानी की गुणवत्ता पर ज्यादा फोकस रहेगा।

शहर में सबसे ज्यादा बुरी स्थिति जलप्रदाय को लेकर है। इसको सुधारने के प्रयास में नगर निगम वर्षों से लगा है, सफलता आज तक नहीं मिली। नर्मदा के तीनों चरण मिलाकर शहर को तकरीबन 540 एमएलडी पानी मिलने के बावजूद एक दिन छोडक़र यानी महीने में 15 दिन नलों में पानी आता और 15-20 मिनट से ज्यादा नल नहीं चलते। शुरुआती दौर में 5 से 7 मिनट तक गंदा पानी ही चलता है। शहर के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां रोज नलों में पानी आने के साथ घंटों नल चलते और पानी व्यर्थ बहता रहता है। कई कॉलोनी-मोहल्ले ऐसे हैं, जिनमें गंदा पानी लगातार आता रहता है। शहर में बिगड़ी जलप्रदाय व्यवस्था को लेकर शिकायतों का ढेर सीएम हेल्पलाइन और मोबाइल एप इंदौर-311 पर लगा है। गर्मी में जलसंकट का सामना करना पड़ता है।

शहर में जलप्रदाय का मैनेजमेंट पूरी तरह फैल है। ऐसे में नगर निगम स्वच्छता की तरह देश में पहली बार हो रहे पेयजल सर्वेक्षण में शामिल होने की तैयारी कर रहा है। पेयजल सर्वेक्षण की घोषणा केंद्र सरकार ने की है। इसको लेकर सरकार ने मापदंड निर्धारित कर जारी कर दिए हैं। मापदंड के हिसाब से क्या काम और कैसे करना है, इसको लेकर निगम जलप्रदाय विभाग इंदौर के कार्यपालन यंत्री, सहायक यंत्री और उपयंत्रियों के साथ मंडलेश्वर में नर्मदा के इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि शहर की बिगड़ी जलप्रदाय व्यवस्था को सर्वे शुरू होने से पहले दुरुस्त कर लिया जाए।

स्वच्छता की तरह पेयजल सर्वेक्षण में भी हर काम के अलग अंक रहेंगे। जो निर्धारित मापदंड के अनुसार काम करके ज्यादा से ज्यादा अंक अर्जित करेगा, उसे इनाम दिया जाएगा। जलप्रदाय व्यवस्था के लिए जो मापदंड निर्धारित किए गए हैं, उसमें लोगों को जलापूर्ति की व्यवस्था, कवरेज, पानी की गुणवत्ता, मीटरिंग, नॉन रेवन्यू वॉटर (एनआरडब्ल्यू), तालाबों का संरक्षण और वेस्ट वॉटर रीयूज आदि शामिल है। इनके आधार पर ही काम का आकलन किया जाएगा। इसके लिए दिल्ली से टीम आएगी।

पेयजल सर्वेक्षण के तहत लोगों के यहां नलों में आने वाले पानी की गुणवत्ता की जांच होगी। नर्मदा पाइप लाइन के जरिए कितने वार्ड की कितने कॉलोनियों-मोहल्ले कवर होते हैं। शहर में जलप्रदाय पर कितना पैसा खर्च कर रहे और कितना मिल रहा है। नॉन रेवेन्यू वाटर (एनआरडब्ल्यू) यानी पानी का पैसा नहीं मिलना, जो कि पानी चोरी होने, लीकेज व लाइन फूटने से लॉस होने, अवैध नल कनेक्शन और जलकर बकाया वसूली न होने से नहीं मिलता है। सर्वेक्षण के चलते सबसे ज्यादा फोकस एनआरडब्ल्यू पर ही रहेगा, क्योंकि इन कामों को करने में निगम हमेशा से नाकाम रहा है, इसलिए पेयजल को लेकर होने वाले सर्वे में एनआरडब्ल्यू पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।

कंसल्टेंट डीआरए और चीमटेक द्वारा निगम व नर्मदा के इंजीनियरों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। साथ ही प्रश्नपत्र के आधार पर सभी इंजीनियरों का टेस्ट भी लिया जा रहा है, ताकि मालूम पड़ सके कि सर्वेक्षण को लेकर फील्ड में काम करने के लिए इंजीनियर कितने तैयार हुए हैं। हालांकि पेयजल को लेकर सर्वेक्षण कब से शुरू होगा, इसको लेकर अभी कुछ तय नहीं है। केंद्र से जारी हुए मापदंड के आधार पर निगम ने सर्वेक्षण को लेकर तैयारी शुरू कर दी है, ताकि जलप्रदाय व्यवस्था को सर्वे शुरू होने से दुरूस्त करने के साथ सारी कमी-पेशी को दूर कर लिया जाए।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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