यदि आंतरिक सुरक्षा, रक्षा बलों, न्यायपालिका और राजनीतिक पर्यवेक्षकों जैसे क्षेत्रों से निकाले गए पेशेवरों के समूह द्वारा किए गए निष्कर्ष कोई संकेत देते हैं, तो वह यह है कि तमिलनाडु लगभग चर्च-इस्लामवादी-वाम-पंथी-माओवा
वीएसआरसी दल द्वारा उद्धृत रिपोर्ट में दो प्रमुख व्यक्ति गैस्पर और मोहन लाजरुस है, पहला कैथोलिक पादरी है जबकि दूसरा एक प्रचारक है।
चेन्नई स्थित प्रबुद्ध मंडल वैदिक साइंस रिसर्च सेंटर (वीएसआरसी), ने पूरे राज्य में आयोजित एक विस्तृत अध्ययन में पाया कि तमिलनाडु पेरियारवादी, मार्क्सवादियों, चर्च, माओवादियों और इस्लामी आतंकवादियों द्वारा प्रायोजित किए जाने वाली गतिविधियों की वजह से सूक्ष्म तरीके से उबल रहा है।वीएसआरसी दल ने पाया कि मई 2018 में थूथुकुडी के दंगे, जिसमें 15 लोगों की मृत्यु हो गई, इस देशद्रोही अक्ष द्वारा भड़काया गया था। दंगों को बढ़ावा देने में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका की जांच की जानी चाहिए, वीएसआरसी की रिपोर्ट में कहा गया है जिसे टीम पीगुरूज ने प्राप्त किया है।
इस दल की विशुद्ध जांच ने चर्च और दंगाइयों के बीच संबंध का खुलासा किया। “थूथुकुडी में स्टरलाइट कॉपर इकाई के खिलाफ आंदोलन के पीछे चर्च के विभिन्न गुट हैं। उनका आरोप है कि थूथुकुडी क्षेत्र केवल स्टरलाइट कॉपर यूनिट की वजह से प्रदूषित है, ये विवादास्पद है। राज्य उद्योग संवर्धन निगम के तमिलनाडु औद्योगिक एस्टेट में सैकड़ों रासायनिक कारखाने हैं। प्रश्न यह है कि क्यों केवल स्टरलाइट कॉपर को निशाना बनाया जा रहा है?” थूथुकुडी दंगों की जांच करने वाले दल के एक सदस्य ने पूछा। उन्होंने चर्च द्वारा वित्त पोषित निजी सेना से प्रतिशोध के डर से नाम न छापने की शर्त पर बात की।
वीएसआरसी टीम ने यह भी पाया कि स्टरलाइट के खिलाफ आंदोलन तमिलनाडु में विकास पहल के खिलाफ ऐसे कई आंदोलनों और आगजनी के सिलसिले की निरंतरता है। वीएसआरसी जांचकर्ता इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि पुलिस ने केवल अंतिम उपाय के रूप में गोलीबारी की और वह भी 200 से अधिक निर्दोष लोगों को बचाने के लिए जो दंगाइयों का शिकार बन गए थे।
“कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा परियोजना के खिलाफ आंदोलन, मरीना बीच में जल्लीक्कट्टू पर सर्वोच्च न्यायालय प्रतिबंध को हटाने की मांग करते हुए किया गया धरना, भारत सरकार के खिलाफ कावेरी डेल्टा क्षेत्र में हाइड्रोकार्बन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रदर्शन, कावेरी जिलों से शेल गैस निकालने के लिए ओएनजीसी मिशन, तेनी में भारतीय न्यूट्रीनो वेधशाला को बंद करने की मांग करते हुए आंदोलन और कन्याकुमारी जिले में विश्व स्तरीय महाद्वीपीयों के बीच का पात्र लदान अवसान (इंटरकांटिनेंटल कंटेनर शिपमेंट टर्मिनल) की स्थापना के खिलाफ आंदोलन सभी एकदूसरे से जुड़े हुए हैं। वीएसआरसी के निदेशक रामकृष्णन गौथमन ने कहा, “अंतिम विचार देश के इस हिस्से में सभी तरह के विकास कार्यों को अवरुद्ध करना और रोकना है और एक अलगाववादी आंदोलन के लिए जमीन तैयार करना है, जो पहले ही इस क्षेत्र में आकार ले चुका है।”
रिपोर्ट में पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह का भी उद्धरण है जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन को बताया कि तिरुनेलवेली जिले के कुडनकुलम के आंदोलनियों को विदेशी देशों [1] की एजेंसियों द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा था। “डॉ मनमोहन सिंह ने कहा था कि तिरुनेलवेली और थूथुकुडी जिलों में गैर सरकारी संगठनों को संयुक्त राज्य अमेरिका और स्कैंडिनेवियाई देशों में स्थित संगठनों से धन प्राप्त हो रहा था। धन मुख्य रूप से चर्च आधारित एनजीओ अर्थात तुतीकोरिन डायओसिस एसोसिएशन और तुतीकोरिन बहुउद्देश्यीय सोशल सर्विस सोसाइटी के माध्यम से प्रसारित किया गया था, “रिपोर्ट में कहा गया है
वीएसआरसी द्वारा गृह मंत्रालय को प्रस्तुत की गई रिपोर्ट को एक बेहद श्रमसाध्य तरीके से तैयार किया गया है। रिपोर्ट में उल्लेखित प्रत्येक बिंदु को दस्तावेजी साक्ष्य, चित्र, ऑडियो / वीडियो क्लिपिंग और स्थानीय समुदाय के निवासियों द्वारा प्रदान किए गए सहयोग (इनपुट) द्वारा प्रमाणित किया गया है। “यह विवादास्पद संयंत्र कई राजनेताओं, नौकरशाहों, नागरिक समाज समूहों और चर्च पादरियों के लिए लंबे समय से धन अर्जित करने का साधन रहा है। हड़ताल का वर्तमान मुकाबला इस संयंत्र के विस्तार का विरोध करना है। गौथमन ने कहा, “इस संयंत्र के खिलाफ विरोध शांतिपूर्ण था और संयंत्र के अपराधों के खिलाफ जो भी कानूनी या विभागीय कार्रवाही हुई वह इस शांतिपूर्ण विरोध का परिणाम थी।”
रिपोर्ट में कुछ राजनीतिक और धार्मिक समूहों द्वारा सिवागंगा जिले के कीजादी में चल रहे खुदाई के काम के लिए भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के एक अधिकारी की सेवाओं को जारी रखने के लिए दिखाई गयी असामान्य दिलचस्पी और द्रविड़ एवँ वामपंथी दलों के तमिलनाडु पर हिंदी और संस्कृत आरोपित करने के कथित प्रयास, जब की ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है, के लिए केंद्र को दोषी ठहराने के अधिकांश प्रयासों की ओर भी इशारा किया गया है। ओखी चक्रवात के बाद कन्याकुमारी और तिरुनेलवेली जिलों में आयोजित चर्च प्रायोजित आंदोलनों को राष्ट्रीय-विरोधी पहल के हिस्से के रूप में रिपोर्ट में सूचीबद्ध किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, “ओखी चक्रवात के बाद केंद्र सरकार द्वारा आयोजित बचाव और राहत अभियान एक आदर्श मानक रहे हैं, लेकिन क्षेत्र के प्रमुख धार्मिक समुदाय ने झूठ फैलाकर सरकार के खिलाफ एक अव्यवस्थित युद्ध की पहल की है।” एनजीओ, व्यक्तियों और संगठन जो अलगाववाद और तमिल राष्ट्र की मांग को बढ़ावा देने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहे हैं उनका भी नाम रिपोर्ट में शामिल किया गया है।
वीएसआरसी दल द्वारा उद्धृत रिपोर्ट में दो प्रमुख व्यक्ति गैस्पर और मोहन लाजरुस है, पहला कैथोलिक पादरी है जबकि दूसरा एक प्रचारक है। जबकि गैसपर डीएमके के कनिमोझी, पार्टी अध्यक्ष एम करुणानिधि की बेटी, का करीबी सहयोगी है, लाजरुस को एमडीएमके नेता वैको (वाई गोपालस्वामी) समेत तमिलनाडु में सैकड़ों हजारों लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करने का श्रेय दिया जाता है। लाज़रुस ने एक टीवी साक्षात्कार में कहा कि वही वाइको को यीशु के मार्ग पर लाया [2]। लेकिन वैको ने, द हिंदू के बी कोलप्पन जैसे मीडिया में अपने दोस्तों द्वारा एक समाचार प्रकाशित करवाया जिसमें उसने बताया कि वह धर्मों के बीच भेदभाव नहीं करता है [3]। उन्हें यह कहते हुए उद्धृत किया गया है कि उन्हें ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है इस ख़बर से उनके राजनीतिक पेशे को नुकसान पहुंचने की संभावना है क्योंकि उन्हें डर है कि अगर लोगों को पता चल गया कि वे ईसाई हैं तो हिंदू उनके लिए मतदान नहीं करेंगे। तर्कसंगत वैको की पत्नी रेणुका सभी चर्चों में प्रार्थना कर रही है और राज्य के निर्वाचन क्षेत्रों में से अपने पति के चुनाव जीतने के लिए चर्चों में विशेष पूजा कर रही है।
टीम ने पाया कि थूथुकुडी, तिरुनेलवेली और कन्याकुमारी जिलों में तीन चर्च तमिलनाडु में सभी अलगाववादी और राष्ट्रव्यापी अभियान के केंद्र हैं। टीम के सदस्यों में से एक ने कहा, “परेशान करनेवाली बात यह है कि इन तीन जिलों के अधिकांश विधायक ईसाई हैं क्योंकि ईसाई समुदाय केवल चर्च द्वारा प्रस्तावित उम्मीदवारों के लिए वोट देता है।”
टीम पीगुरूज द्वारा प्राप्त की गयी पूर्ण वीएसआरसी रिपोर्ट को एक संलग्नक के रूप में शामिल किया गया है। वीएसआरसी के निष्कर्षों से अचंभित होकर एमजी देवसाहयम (पूर्व आईएएस अधिकारी), जैकब पुननोस (पूर्व आईपीएस अधिकारी), आरटी श्रीकुमार (पूर्व आईपीएस अधिकारी जिन्हें 1995 में जासूसी घोटाले की झूठी कहानी बनाकर भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम से छेड़छाड़ करने के लिए श्रेय दिया गया), कल्पना कन्नबीरन (माओवादी), हरि परंतमान (मद्रास उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और एक ज्ञात पेरियारवादी) और मछुआरों के कई नेताओं (सभी ईसाई समुदाय के सदस्य)जैसे सक्रिय ईसाईयों के समूह समेत चर्च द्वारा गठित एक स्वयं-घोषित समूह ने दंगों और पुलिस फायरिंग के लिए पुलिस और तमिलनाडु प्रशासन को दोषी ठहराया है [4]। पीपल्स इंक्वेस्ट नामक रिपोर्ट में कहा गया है कि सार्वजनिक प्रशंसापत्र बताता है कि जिला प्रशासन और पुलिस ने स्टरलाइट कॉपर प्रबंधन के कहने पर दंगाइयों पर हमला किया और छेड़छाड़ की। देवसाहयम, एक ज्ञात हिंदू विरोधी, 1947 से देश में हुई हर दुर्घटना के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहा है। अपेक्षा अनुसार कि पीपल्स इंक्वेस्ट टैगलाइन के तहत तैयार की गई रिपोर्ट पूर्णतः विफल हो गयी है।
संदर्भ:
[1] Manmohan criticises NGOs for protests in Kudankulam – Feb 24, 2012, The Hindu
[2] Vaiko & his family converted to Christianity Mohan C Lazarus confirms – Nov 8, 2017, YouTube
[3] MDMK chief Vaiko denies claims of conversion – Nov 8, 2017, The Hindu
[4] High-level People’s Inquest team finds Tamil Nadu Police/ Thoothukudi District Admin guilty of serious excesses – Jun 2, 2018, ESGIndia.org
वीएसआरसी की रिपोर्ट:
Interim Report on Thoothukudi Riots by VSRC by Sree Iyer on Scribd
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