शीर्ष न्यायालय में केंद्र के प्रतिनिधियों की नियुक्ति की मांग
केंद्र सरकार ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को सलाह दी है कि शीर्ष न्यायालय के कॉलेजियम में केंद्र के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए। कानून मंत्री किरण रिजिजू ने सीजेआई को पत्र लिखा है और उनसे कहा कि जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया में सरकारी प्रतिनिधि शामिल करने से पारदर्शिता आएगी और जनता के प्रति जवाबदेही भी तय होगी।
किरण रिजिजू ने पिछले साल नवंबर कहा था कि कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी है। उन्होंने हाईकोर्ट में भी जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में संबंधित राज्य की सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए। इस संबंध में लोकसभा उपाध्यक्ष भी कह चुके हैं कि सुप्रीम कोर्ट अक्सर विधायिका के कामकाज में दखलंदाजी करता है।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून मंत्री के सुझाव को सुप्रीम कोर्ट मान ले, ऐसा मुश्किल है। सीजेआई चंद्रचूड़ की अगुआई वाले कॉलेजियम में 4 और सदस्य हैं। इनमें जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमआर शाह शामिल हैं। इन चारों जजों में से कोई भी सीजेआई का उत्तराधिकारी नहीं है। जस्टिस संजीव खन्ना को छठवें मेंबर के तौर पर कॉलेजियम में शामिल किया गया है, जो कि सीजेआई के उत्तराधिकारी होंगे।
कॉलेजियम इस सुझाव को सुप्रीम कोर्ट सरकार की नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन एक्ट (एनजेएसी) लाने की सरकार की नई कोशिश के तौर पर देख रहा है। एनजेएसी को 2015 में संसद में पास किया गया था, लेकिन अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया था।
जिस एनजेएसी को सुप्रीम कोर्ट 2015 में असंवैधानिक कह चुका है। उसमें जजों की नियुक्ति को लेकर कई बदलाव किए गए थे। इसमें एनजेएसी की अगुआई सीजेआई को करनी थी। इनके अलावा 2 सबसे वरिष्ठ जजों को रखा जाना था। इनके अलावा कानून मंत्री और 2 प्रतिष्ठित लोगों को एनजेएसी में रखे जाने की व्यवस्था थी। प्रतिष्ठित लोगों का चयन प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सीजेआई के पैनल को करने की व्यवस्था थी। अभी जजों की नियुक्ति पर रिजिजू का पत्र ऐसी ही व्यवस्था के लिए माना जा रहा है।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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