लेह में एलएसी पर बनेगा 135 किमी लंबा हाईवे, बीआरओ ने शुरू किया काम!

    400 करोड़ की लागत में बनने वाली यह सड़क मार्ग आने वाले दो सालों में तैयार हो जायेगी, इसमें मौजूदा सड़क को सिंगल लेन राष्ट्रीय राजमार्ग के मानकों के आधार पर तैयार किया जाएगा।

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    बीआरओ एलएसी पर बना रहा 135 किमी लंबा हाईवे
    बीआरओ एलएसी पर बना रहा 135 किमी लंबा हाईवे

    बीआरओ एलएसी पर बना रहा 135 किमी लंबा हाईवे

    चीन का सीमाओं को लेकर जो रवैया रहा है, वह नया नहीं है, लेकिन बीते कुछ सालों में उसकी गतिविधि खुलकर सामने आने लगी हैं, लेकिन बीते 6 दशकों में एक सबसे बड़ा फर्क यह आया है कि भारत अब चुप रहकर सहने वाला देश नहीं रहा है। चीन के साथ खुलकर सामना करने के चलते ही बीआरओ अगले दो सालों में चुशुल से देमचोक तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के साथ-साथ करीब 135 किमी लंबा सिंगल लेन राजमार्ग बनाकर तैयार कर देगा, यह राजमार्ग देश के लिए एक अहम रणनीतिक सड़क होगी।

    प्रक्रिया की शुरूआत करते हुए 23 जनवरी को सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने चुशुल-दुंगती-फुकचे-देमचोक राजमार्ग, जिसे सीडीएफडी सड़क के नाम से भी जाना जाता है, उसके निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की है। 400 करोड़ की लागत में बनने वाली यह सड़क मार्ग आने वाले दो सालों में तैयार हो जायेगी, इसमें मौजूदा सड़क को सिंगल लेन राष्ट्रीय राजमार्ग के मानकों के आधार पर तैयार किया जाएगा। नई सड़क सिंधु नदी के साथ-साथ चलेगी जो आभासीय तौर पर एलएसी के समांतर होगी, यानी यह लेह में भारत-चीन सीमा के बहुत करीब बनाई जाएगी।

    कई दशकों तक इस बात को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं कि भारत-चीन सीमा के इस अहम मार्ग के अब तक धूल भरा क्यों रहने दिया गया है और भारत यहां एक अच्छी सड़क क्यों तैयार नहीं करता है जबकि चीन ने सिंधु के इर्दगिर्द के क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कायापलट करके रख दी है। चुशुल वह इलाका है जहां 1962 में रेज़ांग ला की लड़ाई लड़ी गई थी। डेमचोक भी भारत और चीन की झड़पों का गवाह रहा है। ऐसे में नई वाली सड़क की बदौलत सैनिकों के दल और उपकरणों को जल्द से जल्द पहुंचाया जा सकेगा इसके साथ ही इस क्षेत्र को एक सर्किट में बदलकर यहां पर्यटन को विकसित करने में भी मदद मिलेगी।

    7.45 मीटर चौड़ी सड़क पर तीन अहम ब्रिज का निर्माण भी होगा। बीआरओ ने 2018 में इस सड़क मार्ग को लेकर विस्तार परियोजना रिपोर्ट तैयार कर ली थी। अब उसी के लिए 23 जनवरी को दो पैकेज में बोलियां आमंत्रित की गई हैं।

    लेह क्षेत्र में यह सड़क बुनियादी ढांचे में विकास के लिए दूसरा अहम कदम होगा, इससे पहले बीआरओ ने लद्दाख में न्यौमा एयरफील्ड के निर्माण के लिए बोलियां आमंत्रित की थी, जो विमानों की लैंडिंग के लिए एक आधुनिक जगह होगी जहां पर फाइटर प्लेन भी आसानी से उतर सकते हैं।

    214 करोड़ की लागत में बनने वाले इस अत्याधुनिक लैंडिग ग्राउंड में अगले दो सालों में फाइटर प्लेन का संचालन शुरू हो जाएगा और यह सीडीएफडी सड़क के नज़दीक होगा। यह नया लैंडिग ग्राउंड करीब 1235 एकड़ क्षेत्र में फैला होगा जहां संबंद्ध सैन्य बुनियादी ढांचे के साथ करीब 2.7 किमी लंबा रनवे तैयार किया जाएगा।

    [आईएएनएस इनपुट के साथ]

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