भारतीय इस्लाम और अरबी जेहाद – भाग ३

पकिस्तान की जेहादी मानसिकता तथा साउदी की वहाबी – सलाफी मानसिकता के कारण झगडे और बढ़ते चले जायेंगे तथा कभी भी शांतिपूर्ण हल नहीं निकल सकेगा |

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इस श्रृंखला के भाग १ को यहां पहुंचा जा सकता है| इस श्रृंखला के भाग २ को यहां पहुंचा जा सकता है| यह भाग ३ है|

भारतीय परिपेक्ष्य :

भारत के मुसलमानों में भी वहाबिस्म बहुत तेजी से पनप रहा है | हिन्दू, बौद्ध, सिख, जैन, सुन्नी, सूफी, अहमदिया, यजीदी इत्यादि के खिलाफ तो यह विचारधारा पहले से ही थी , अब सुन्नियों की मज्जिदे भी धीरे धीरे छीनी जा रही हैं तथा मजार, दरगाह , मकबरा आदि को भी तोड़ा जा रहा है | सूफियों के संगीत , फिल्मो तथा कपड़ों पर भी पाबन्दी लगाई जा रही है | इसीके साथ मुसलमान जो पहले भारतीय नाम रखते थे , अब सऊदी अरब के नाम रखने लगे है | केरल के मल्लापुरम या बंगाल के मालदा में हालात बहुत बिगड़ चुके हैं | आज कट्टर इस्लाम की वहाबी सोच के कारण भारत बारूद के ढेर पर बैठा है जो कभी भी सुलग सकता है, जिसका खामियाजा हो सकता है अच्छे मुसलमानों को भी भुगतना पड़े | इस लड़ाई को भारतीय देशभक्त मुसलमानों को स्वयं ही लड़ना होगा , क्योंकि दूसरे धर्म का कोई भी इस विषय पर आवाज उठाता है उसे काफिर घोषित कर दिया जाएगा |

जैसे पकिस्तान में आज भी भारत से गए मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है वैसे ही सऊदी वाले शुद्ध नस्ल की बात करके बाद में उन्हें नकार देंगे |

जिस तरह देशभक्त सिक्खों ने खालिस्तान आन्दोलन के खिलाफ खुद अपनों से लड़ाई लड़कर देश को बचाया था उसी तरह भारतीय मुसलमानों को अपने साथियों को तथा आने वाली युवा पीड़ियों को यह समझाना होगा की उनका इतिहास भारत के साथ जुड़ा है ना की सऊदी अरब के साथ | यदि वह कट्टरपंथ की राह पर चलते हुए अलतकिया या लव जिहाद करते हैं और कट्टरपंथ के रास्ते से गजवा-ए- हिन्द बनाने में कामयाब हो भी जाते हैं तो भी साउदी अरब या तुर्की कभी भी उन्हें अपने बराबर का नहीं मानेगा | जैसे पकिस्तान में आज भी भारत से गए मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है वैसे ही सऊदी वाले शुद्ध नस्ल की बात करके बाद में उन्हें नकार देंगे | इस समय जब दुनियाभर में इस्लाम को आतंक के साथ जोड़ दिया जा चूका है , वहां हिन्दुस्तानी मुसलमानों को चाहिए की अब उन पुरानी पुस्तकों में परिवर्तन करके दुनिया के इस्लाम को एक मानवतावादी भारतीय दृष्टिकोण दें | और भारतीय मुसलमान यह कर सकते हैं क्योंकि उनके पूर्वज तुर्की, मुग़ल नहीं बल्कि वो महान ऋषि हैं जिन्होंने वेदों , उपनिषदों तथा आयुर्वेद एवं योग की रचनाएं की हैं | भारतीय मुसलमानों को भारत के अन्य धर्मो जैसे बुद्ध, सिख, हिन्दू, जैन इत्यादि के साथ मिलकर भारतीय परिपेक्ष्य में इस्लाम की व्याख्या करनी चाहिए तथा मदरसों के पाठ्यक्रम में भी भारत तथा मानवता के अनुसार बदलाव करना चाहिए तभी दुनिया भर को एक नयी शांतिपूर्ण विचारधारा मिल सकती है | अन्यथा पकिस्तान की जेहादी मानसिकता तथा साउदी की वहाबी – सलाफी मानसिकता के कारण झगडे और बढ़ते चले जायेंगे तथा कभी भी शांतिपूर्ण हल नहीं निकल सकेगा | आशा है आने वाले समय में भारत में दारा शिकोह या अब्दुल कलाम जैसे लोग निकलेंगे जो वेदों , उपनिषदों तथा भारतीय कलाओं से सीखकर दुनिया को शांति, प्रेम और सदभाव का सन्देश देंगे |

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