पाकिस्तान से लगी सीमा पर ड्रोन घुसपैठ में बढ़ोतरी
बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (बीएसएफ) के डीजी पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ड्रोन के जरिए साल 2021 के मुकाबले 2022 में पश्चिमी मोर्चे पर घुसपैठ 250% बढ़ी है। पाकिस्तान सीमा पार से इसके जरिए ड्रग्स, हथियार और गोला-बारूद सप्लाई किया जाता है। सबसे ज्यादा ऐसी घटनाएं पंजाब में देखी गईं। यहां सीमा पार से फोर्स ने अब तक 215 ड्रोन को मार गिराया गया है।
डीजी ने शनिवार को फोरेंसिक लैब के उद्घाटन के लिए आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को यह जानकारी दी। मंत्री वेबिनार के जरिए इस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने बताया कि इस लैब के जरिए ड्रोन फोरेंसिक पर स्टडी की जाएगी, ताकि सुरक्षा एजेंसियां सीमा पार से अवैध गतिविधि में शामिल अपराधियों के जरिए उड़ाए जा रहे ड्रोन के फ्लाइट पाथ और यहां तक कि उनके पते पर भी नजर रख सकें।
डीजी ने कहा कि बीएसएफ काफी समय से ड्रोन खतरे का सामना कर रहा है। इसकी क्वालिटी हमारे लिए समस्याएं पैदा कर रही है। बीएसएफ ने 2020 में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास लगभग 79 ड्रोन का पता लगाया था, जो पिछले साल बढ़कर 109 हो गए। इस साल इनकी संख्या बढ़कर 266 हो गई। सिंह ने कहा- सबसे ज्यादा 215 ड्रोन पंजाब में दिखे। इसके बाद जम्मू में लगभग 22 ड्रोन देखे गए।
उन्होंने कहा- यह समस्या गंभीर है। हमारे पास अभी तक इसका कोई पुख्ता समाधान नहीं है। ड्रोन के जरिए नशीले पदार्थ, हथियार और गोला-बारूद, हर तरह की चीजें सीमा पार से यहां भेजी जा रही हैं। शुरू में बीएसएफ को यह नहीं पता था कि क्या करना है। यहां तक कि जब ड्रोन गिर जाता, तो उन्हें कोई सुराग नहीं था कि यह कहां से आ रहा था या कहां जा रहा था।
सिंह ने कहा- हमने फिर फोरेंसिक पार्ट में जाना शुरू कर दिया, क्योंकि हमें इन ड्रोनों में कंप्यूटर और मोबाइल फोन जैसे कंप्यूटिंग उपकरणों के समान चिप्स मिले। डिजिटल फोरेंसिक साइबर अपराधों को सुलझाने में मदद करते हैं, इसलिए हमें उनकी मदद ली।
बीएसएफ को गुजरात, राजस्थान, पंजाब और जम्मू से होकर गुजरने वाली भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा की 3,000 किलोमीटर से ज्यादा की रक्षा का काम सौंपा गया है। डीजी ने बताया कि पिछले साल सितंबर में दिल्ली में एक ड्रोन रिपेयर लैब स्थापित की और अक्टूबर में पंजाब पुलिस और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की ओर से गिराए गए या बरामद किए गए ड्रोन की फोरेंसिक स्टडी के लिए इसे बढ़ाया गया।
इस फोरेंसिक लैब को बनाने में लगभग 50 लाख रुपए खर्च किए गए। बीएसएफ प्रमुख ने बताया कि ड्रोन की फोरेंसिक स्टडी के बाद उसके फ्लाइट पाथ, लॉन्चिंग और लैंडिंग प्वाइंट्स समय, जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) और यहां तक कि उसके द्वारा सेंड-रिसीव किए गए मैसेज की इंफॉर्मेशन मिली। हमे लगा कि अगर इस पर और काम हो तो हम संदिग्धों के पते, स्थान और बहुत कुछ पता कर सकते हैं।
डीजी ने कहा कि इस साल फोर्स की ओर से 11 ड्रोन गिराए गए हैं। बल ने अब ड्रोन को गिराने वाली अपनी सीमा टीमों को प्रोत्साहन देने और नकद पुरस्कार देने की शुरुआत की है। हमारी फोर्स अब इस खतरे को रोकने के लिए दोतरफा रुख अपना रही है। हम ड्रोन गिरने के बाद गहराई से गश्त कर रहे हैं, ताकि लोग सीमा पर ड्रोन का मलबा लेने न आ सकें।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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