पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए, ईडी की छापेमारी; 100 से ज्यादा जिहादी गिरफ्तार

पीएफआई पर एनआईए - ईडी और केंद्र सरकार की पैनी नजर

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पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए, ईडी की छापेमारी
पीएफआई के ठिकानों पर एनआईए, ईडी की छापेमारी

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई ठिकानों पर छापेमारी; टेरर फंडिंग केस में हो रही कार्रवाई

नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने गुरुवार सुबह 3.30 बजे से 10 राज्यों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कई ठिकानों पर छापेमारी की, जो अब तक जारी है। टेरर फंडिंग केस में हो रही इस कार्रवाई में उत्तर प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, मध्यप्रेदश में संगठन से जुड़े 100 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के मुताबिक इस रेड को एनआईए के करीब 200 अधिकारी अंजाम दे रहे हैं।

एनआईए, ईडी और राज्य पुलिस की तरफ से जारी इस रेड के विरोध में पीएफआई के कार्यकर्ता विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केरल के मल्लपुरम, तमिलनाडु के चेन्नई, कर्नाटक के मंगलुरु समेत कई जगहों पर संगठन के कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए हैं। पीएफआइ ने बयान जारी करते हुए कहा है कि आवाज दबाने के लिए यह कार्रवाई की जा रही है। सेंट्रल एजेंसी हमें प्रताड़ित कर रही है।

जुलाई में पटना पुलिस ने फुलवारी शरीफ में छापेमारी कर आतंकी साजिश का खुलासा किया था। खुलासे के मुताबिक आंतकियों के निशाने पर प्रधानमंत्री मोदी थे। इस केस में पीएफआई के कार्यकर्ताओं का नाम सामने आने के बाद सितंबर में एनआईए ने बिहार में छापेमारी की थी।

कर्नाटक के उडुपी में इसी साल के शुरुआत में हिजाब का विवाद शुरू हुआ। कर्नाटक सरकार के मुताबिक इस विवाद के पीछे भी पीएफआई के कार्यकर्ता थे। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पीएफआई की साजिश की वजह से कर्नाटक में हिजाब का विवाद पैदा हुआ।

समाज में सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में पीएफआई अभी सिर्फ झारखंड में ही बैन है। इसके खिलाफ संगठन ने कोर्ट में अपील भी की है। वहीं केंद्र सरकार भी पीएफआई पर शिकंजा कसने की तैयारी में है। इसके लिए अगस्त में ही एक टीम बनाई गई थी, जिसे 3 मोर्चे पर काम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।

1.देश के उन सभी इलाकों का एक मैप तैयार होगा जहां पीएफआई से जुड़ा एक भी व्यक्ति रहता है।

2.पीएफआई की फंडिंग के सोर्सेज का का पता लगाना। साथ ही उससे जुड़े सारे डॉक्युमेंट कलेक्ट करना।

3.पीएफआई का नाम जिन-जिन दंगों या फिर घटनाओं में आया उन सभी मामलों को जॉइंट टीम रीविजिट करेगी।

18 सितंबर को केरल के कोझिकोड में एक रैली के दौरान पीएफआई नेता अफजल कासिमी ने कहा- संघ परिवार और सरकार के लोग हमें दबाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन इस्लाम पर जब भी खतरा होगा तब हम शहादत देने से पीछे नहीं हटेंगे। कासिमी ने कहा- यह आजादी की दूसरी लड़ाई है और मुसलमानों को जिहाद के लिए तैयार रहना है।

2010 में केरल में प्रोफेसर टीजे जोसेफ का हाथ काटने की घटना के बाद पीएफआई सबसे पहले चर्चा में आया था। प्रोफेसर जोसेफ पर एक प्रश्नपत्र में पूछे गए सवाल के जरिए पैगंबर मोहम्मद साहब के अपमान का आरोप लगा था। इसके बाद आरोप है कि पीएफआई कार्यकर्ताओं ने प्रोफेसर जोसेफ के हाथ काट दिए थे।

2007 में मनिथा नीति पसाराई (एमएनपी) और नेशनल डेवलपमेंट फंड (एनडीएफ) नामक संगठन ने मिलकर पॉपुलर फ्रंट इंडिया का गठन किया था। ये संगठन शुरुआत में दक्षिण भारत के राज्यों में ही सक्रिय था, लेकिन अब UP-बिहार समेत 20 राज्यों में इसका विस्तार हो चुका है।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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