ममता बनर्जी और सोनिया गाँधी के राजनैतिक रिश्तों में दरार?

ममता बनर्जी से सोनिया गांधी से मुलाकात के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हर बार सोनिया से मिलना मेरे लिए जरूरी नहीं है।

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ममता ने सोनिया से दिल्ली में नहीं की मुलाकात
ममता ने सोनिया से दिल्ली में नहीं की मुलाकात

ममता-सोनिया के बीच की दूरियों की वजह

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी चार दिनों तक दिल्ली में थी। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात न करके कांग्रेस के अन्य नेताओं से भेंट की। मेघालय में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है और पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा कुछ दिन पहले टीएमसी में शामिल हो गए थे। वहीं, दिल्ली में कीर्ति आजाद और अशोक तंवर भी ममता की पार्टी में शामिल हो गए। हालांकि, तंवर ने 2019 में टीएमसी छोड़ दी थी।

ममता बनर्जी ने इस सप्ताह अपने दौरे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की, लेकिन जब उनसे सोनिया गांधी से मुलाकात के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हर बार सोनिया से मिलना मेरे लिए जरूरी नहीं है। वहीं, ममता बनर्जी का अगला दौरा मुंबई का है जिसमें उनके राकांपा सुप्रीमो शरद पवार और शिवसेना पार्टी के नेताओं से मुलाकात करने की संभावना है।

हालांकि कांग्रेस इन घटनाक्रमों पर कड़ी नजर बनाए हुए है, लेकिन मामले में अभी तक ममता बनर्जी पर कोई टिप्पणी नहीं की है। कांग्रेस ने प्रशांत किशोर पर कांग्रेस नेताओं को टीएमसी में शामिल करने का आरोप लगाया है।

बता दें कि, ममता बनर्जी बंगाल के अलावा अन्य राज्यों में भी अपनी पार्टी को बढ़ाना चाहती हैं और अन्य राज्यों में टीएमसी का उतरना विपक्ष को संकट में डाल सकती है। जिसका सीधा उदाहरण मेघायल में देखा जा सकता है।

कांग्रेस के गोवा प्रभारी दिनेश गुंडू राव ने प्रशांत किशोर पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वह टीएमसी प्रमुख को गुमराह कर रहे हैं। उनके इरादे और कुछ हैं, वो यहां सिर्फ बीजेपी की मदद के लिए आए हैं। और मुझे नहीं पता कि ममता दीदी यह जानती हैं या नहीं। लेकिन जो लोग इस पार्टी को चला रहे हैं, उनका एक अलग एजेंडा है। मुझे लगता है, वे ममता दीदी को भी धोखा दे रहे हैं।

हालांकि, संसद के शीतकालीन सत्र से पहले कांग्रेस सरकार के खिलाफ मजबूत गठबंधन बनाने के लिए टीएमसी से बात चल रही है। संविधान दिवस पर विपक्ष ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया था लेकिन अब कांग्रेस टीएमसी को शक की नजर से देख रही है। मेघालय के विभाजन ने पार्टी में कोहराम मचा दिया है क्योंकि कांग्रेस पहले से ही पूर्वोत्तर में भाजपा के हमले का सामना कर रही थी।

मुकुल संगमा ने कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद कहा था, एक प्रभावी विपक्षी दल बनने और लोगों की इच्छा के अनुसार उनकी सेवा करने के लिए हम तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए हैं। विंसेंट एच पाला ने कहा कि जो नेता छोड़ के जा रहे हैं उससे पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लेकिन मैं कांग्रेस छोड़ रहे नेताओं को रोकने के लिए कुछ खास नहीं कर सका। कांग्रेस इन सभी नेताओं को उच्च सदन में नहीं भेज सकी। यह राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब को छोड़कर अधिकांश राज्यों में सत्ता से बाहर है और महाराष्ट्र और झारखंड में गठबंधन सरकार चला रही है।

बता दें कि, मेघालय में कांग्रेस पार्टी को बड़ा झटका लगा है, कांग्रेस के 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए हैं। उनमें मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी शामिल हैं। वह पार्टी के राज्य में दिग्गज नेता माने जाते थे।

[आईएएनएस इनपुट के साथ]

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