न्यायपालिका बनाम सरकार के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने सीजेआई की सराहना की!

    भारत में कई भाषाएं हैं, जो हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को बढ़ाती हैं। केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रयास कर रही है, जिसमें इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का विकल्प शामिल है।

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    न्यायपालिका बनाम सरकार के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने सीजेआई की सराहना की!
    न्यायपालिका बनाम सरकार के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने सीजेआई की सराहना की!

    न्यायपालिका की सराहना करते नजर आए पीएम मोदी

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न्यायपालिका के फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की हालिया टिप्पणियों की सराहना की है। सीजेआई ने कल मुंबई में बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र एंड गोवा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में यह टिप्पणी की थी।

    पीएम मोदी ने ट्वीट किया, “हाल ही में एक समारोह में माननीय सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध कराने की दिशा में काम करने की बात कही। उन्होंने इसके लिए तकनीक के उपयोग का भी सुझाव दिया। यह एक प्रशंसनीय विचार है, जो कई लोगों की मदद करेगा, खास तौर पर युवाओं की।”

    पीएम मोदी ने पिछले साल कई बार अदालतों में स्थानीय भाषाओं के इस्तेमाल की जरूरत पर जोर दिया था। उन्होंने कहा था, “भारत में कई भाषाएं हैं, जो हमारी सांस्कृतिक जीवंतता को बढ़ाती हैं। केंद्र सरकार भारतीय भाषाओं को प्रोत्साहित करने के लिए कई प्रयास कर रही है, जिसमें इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे विषयों को अपनी मातृभाषा में पढ़ने का विकल्प शामिल है।”

    अक्टूबर में एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा था कि कानून की अस्पष्टता जटिलता पैदा करती है। नए कानूनों को स्पष्ट तरीके से और क्षेत्रीय भाषाओं में “न्याय में आसानी” लाने के लिए लिखा जाना चाहिए ताकि गरीब भी उन्हें आसानी से समझ सकें। उन्होंने कहा था कि कानूनी भाषा नागरिकों के लिए बाधा नहीं बननी चाहिए।

    उन्होंने इसी मामले पर मई में भी एक कार्यक्रम में अपनी बात कही थी। उस कार्य़क्रम में तत्कालीन चीफ जस्टिस एनवी रमना ने भाग लिया था। जस्टिस रमना ने कहा था, “यह एक गंभीर मुद्दा है… इसमें कुछ समय लगेगा… उच्च न्यायालयों में क्षेत्रीय भाषाओं के कार्यान्वयन में बहुत सारी बाधाएं, अड़चनें हैं।”

    जजों की नियुक्तियों में सरकार बड़ी भूमिका है और इस मुद्दे पर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध के बीच आज प्रधानमंत्री का उक्त ट्वीट आया है। इससे पहले आज केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस विषय पर एक सेवानिवृत्त जज की उस टिप्पणी का हवाला दिया था जिसमें उन्होंने “बहुमत” के “समझदार विचार” की बात कही थी।

    दिल्ली हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज आरएस सोढ़ी ने हाल ही में एक इंटरव्यू में सुप्रीम कोर्ट पर संविधान का “अपहरण” करने का आरोप लगाया है।

    रिजिजू ने अपने ट्विटर हैंडल पर इंटरव्यू का क्लिप पोस्ट करते हुए लिखा, “एक जज की आवाज… भारतीय लोकतंत्र की असली सुंदरता इसकी सफलता है। लोग अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से खुद पर शासन करते हैं। निर्वाचित प्रतिनिधि लोगों के हितों और कानूनों का प्रतिनिधित्व करते हैं। हमारी न्यायपालिका स्वतंत्र है और हमारा संविधान सर्वोच्च है।”

    उन्होंने कहा, “वास्तव में अधिकांश लोगों के समान विचार हैं। यह केवल वे लोग हैं जो संविधान के प्रावधानों और लोगों के जनादेश की अवहेलना करते हैं और सोचते हैं कि वे भारत के संविधान से ऊपर हैं।”

    [आईएएनएस इनपुट के साथ]

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