राजस्थान में राजनीतिक उलझनों को निपटाने के लिए कांग्रेस हाई कमान तैयार किया प्लान
प्रियंका गांधी के नजदीकी कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इशारों-इशारों में राजस्थान में जल्द सीएम बदलने का दावा किया है। उन्होंने कहा- राजस्थान को लेकर कांग्रेस हाईकमान बहुत जल्द बड़ा फैसला करने वाला है। फैसला लिखा जा चुका है, सिर्फ सुनाना बाकी है। यह फैसला राजस्थान की जनता की भावनाओं के हिसाब से होगा। कांग्रेस का हर एमएलए हाईकमान के फैसले के साथ खड़ा है।
आचार्य प्रमोद शनिवार सुबह 10.45 बजे स्पीकर सीपी जोशी से मिलने उनके सिविल लाइंस स्थित सरकारी बंगले पर पहुंचे। दोनों ने करीब दो घंटे तक चर्चा की। जोशी से मिलने के बाद आचार्य प्रमोद ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस नेतृत्व के फैसले को हर विधायक मानेगा। उसमें सचिन पायलट, अशोक गहलोत, सीपी जोशी भी हैं। विधायक तो सब हैं।
यहां जो कुछ हुआ वह मल्लिकार्जुन खड़गे की मौजूदगी में हुआ। यहां ऑब्जर्वर आए थे। खड़गे के साथ अजय माकन भी थे। यहां पर जो कुछ हुआ। उसमें किसी को कुछ कहने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस नेतृत्व को सब कुछ पता है। कांग्रेस नेतृत्व जो भी फैसला लेगा वह सब परिस्थितियों को ध्यान में रखकर लेगा और जल्दी लेगा।
गहलोत समर्थक विधायकों के इस्तीफे पर आचार्य प्रमोद ने कहा- किस एमएलए ने इस्तीफा दिया है यह तो स्पीकर ही बता सकते हैं। स्पीकर भी मानते हैं कि कांग्रेस लीडरशिप का फैसला पार्टी का हर विधायक मानेगा। सियासी विवाद के जिम्मेदार तीन नेताओं को नोटिस के बाद अब एक्शन पेंडिंग होने के सवाल पर कहा कि जिन्हें कार्रवाई करनी है वे जानें। इतना तय है कि राजस्थान को बहुत जल्द अच्छा सवेरा देखने को मिलेगा।
25 सितंबर को शाम साढ़े 7 बजे सीएम निवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। इसमें नए सीएम पर फैसले का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित किया जाना था। गहलोत गुट के विधायकों ने इस बैठक का बहिष्कार किया था, साथ ही यूएचडी मंत्री शांति धारीवाल के बंगले पर अलग से विधायक दल की बैठक बुला ली थी। इसमें गहलोत गुट के विधायकों ने प्रभारी अजय माकन पर आरोप लगाया था कि वे सचिन पायलट को सीएम बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे हैं।
मौजूदा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, अजय माकन के साथ विधायक दल की बैठक के लिए आब्जर्वर बनकर आए थे। खड़गे और माकन सीएम निवास पर रात 1 बजे तक इंतजार करते रहे थे, लेकिन गहलोत गुट के विधायक नहीं गए थे। खड़गे और माकन के सामने गहलोत गुट के विधायकों ने शर्त रखी थी कि वे एकसाथ मिलेंगे, वन-टु-वन नहीं मिलेंगे। इसके अलावा पायलट और उनके साथ मानेसर जाने वाले किसी विधायक को सीएम नहीं बनाने की शर्त रखी। इसके अगले दिन खड़गे और माकन दिल्ली लौट गए थे।
कांग्रेस के इतिहास में यह पहला मौका था जब विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ने का एक लाइन का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था। खड़गे और अजय माकन ने इस मसले पर सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में गहलोत गुट के विधायकों द्वारा बैठक का बहिष्कार करने को अनुशासनहीनता बताया गया था।
इसके साथ ही विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने के लिए यूएचडी मंत्री शांति धारीवाल, सरकारी मुख्य सचेतक और जलदाय मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को जिम्मेदार ठहराया था। तीनों नेताओं को 27 सितंबर को ही नोटिस जारी किए गए थे।
विधायक दल की बैठक के बहिष्कार का जिम्मेदार ठहराते हुए मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ को 27 सितंबर को ही नोटिस देकर 10 दिन में जवाब मांगा था। तीनों नेता नोटिस का जवाब दे चुके हैं। अब तक कांग्रेस हाईकमान ने इस मुद्दे पर कोई एक्शन नहीं लिया है। तीनों के खिलाफ एक्शन पेंडिंग है।
25 सितंबर की बैठक में नए सीएम पर फैसले का अधिकार हाईकमान पर छोड़ने का प्रस्ताव पारित नहीं हो सका था। अब फिर विधायक दल की बैठक बुलाकर नए सिरे से एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाया जा सकता है।
25 सितंबर तक सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनने की कतार में सबसे आगे थे। गहलोत 28 से 30 सितंबर के बीच कांग्रेस अध्यक्ष पद पर नामांकन करने वाले थे। इस बीच 25 सितंबर को गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया, इसके बाद पूरी सियासत घूम गई।
गहलोत ने 29 सितंबर को दिल्ली जाकर सोनिया गांधी से माफी मांगी और इसकी सार्वजनिक घोषणा की। इसके साथ ही गहलोत ने पूरे सियासी बवाल का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष पद पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा की। 25 सितंबर को हुए सियासी बवाल के वक्त सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थीं।
[आईएएनएस इनपुट के साथ]
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